नॉर्थ-ईस्ट के 2 राज्यों में जीत की खुशखबरी और एक राज्य में गठबंधन के जरिए सत्ता के करीब पहुंची बीजेपी को सुप्रीम कोर्ट के 2 फैसलों से करारा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा है कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए एक कॉलेजियम बनाई जाए, जिसमें प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष (न होने पर सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता) शामिल हों.


एक अन्य फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने शेयर बाजार में निवेशकों के भविष्य सुरक्षित करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन का आदेश दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार की सिफारिश वाले नामों को खारिज कर दिया है. रिटायर जज एएम सप्रे के नेतृत्व में 6 सदस्यों की कमेटी अडानी-हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार पर क्या असर हुआ, इसकी जांच करेगी.


इस स्टोरी में विस्तार से जानते हैं कि कैसे खुशखबरी के साथ ही कोर्ट से बीजेपी सरकार को झटका लगा है...


त्रिपुरा की सत्ता में वापसी- 60 सदस्यों वाली त्रिपुरा विधानसभा में बीजेपी फिर से सत्ता में वापसी की है. बीजेपी को यहां 60 में से 33 सीट मिली हैं जो सरकार बनाने के लिए काफी हैं. बहुमत के  लिए 31 सीटों की जरूरत है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीपरा मोथा पार्टी ने भी बीजेपी को समर्थन देने की बात कही है.


2018 में बीजेपी पहली बार त्रिपुरा की सत्ता में आई थी. चुनाव से पहले पार्टी ने जीत के लिए मुख्यमंत्री भी बदल दिए. बिप्लव देब की जगह माणिक साहा को मुख्यमंत्री बनाया गया था. 


चुनाव से पहले त्रिपुरा में लेफ्ट और कांग्रेस ने गठबंधन कर लिया था, जिसके बाद करीब 20 सीटों पर बीजेपी की मुश्किल बढ़ती दिखाई दे रही थी. हालांकि, बीजेपी ने यहां सरकार विरोधी माहौल के बीच फिर से सरकार बनाने में कामयाब दिख रही है.


नगालैंड में एकतरफा जीत- नगालैंड में विधानसभा की कुल 60 सीटें हैं. यहां बीजेपी को 37 सीटें मिली हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी एनपीएफ की करारी हार हुई है. कांग्रेस का खाता तक नगालैंड में नहीं खुला है. पार्टी के बड़े नेता चुनाव में हार की ओर बढ़ रहे हैं.


नेफ्यू रियो के नेतृत्व में बीजेपी यहां भी सत्ता में वापसी की है. 2018 में नगालैंड में बीजेपी ने पहली बार सत्ता हासिल की थी. नगालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी और बीजेपी की गठबंधन सरकार है. पिछले चुनाव में एनडीपीपी 18 और बीजेपी 12 सीटों पर जीत दर्ज की थी.


मेघालय में बहुमत नहीं: मेघालय की 60 में से 59 सीटों के लिए मतदान हुआ है. जिसमें बीजेपी को 2 और एनपीपी को 26 सीटें मिली हैं. बहुमत के लिए 30 सीटों की जरूरत है. माना जा रहा है बीजेपी एनपीपी को समर्थन दे सकती है. कांग्रेस को 5 सीटें मिली हैं. अन्य को 26 सीटें मिली हैं.


अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला, जिसने बढ़ाई बीजेपी की टेंशन


चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के नियम बदले- अब तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कैबिनट अप्वॉइंटमेंट कमेटी की सिफारिश पर होती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे बदल दिया है. अब प्रधानमंत्री, सीजेआई और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (न होने पर सबसे बड़े विरोधी दल के नेता) चुनाव आयुक्त का चयन करेंगे.


एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस केएम जोसेफ के नेतृत्व वाली संवैधानिक बेंच ने कहा कि चुनाव आयोग को स्वतंत्र रूप से कार्य करने के लिए यह फैसला अनिवार्य है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र जब तक इस पर अलग से कानून नहीं बनाती है, तब तक यही नियम चलता रहेगा.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त की तरह ही चुनाव आयुक्त को भी सुरक्षा प्रदान की जाए. साथ ही चुनाव आयुक्तों के वेतन आदि भुगतान के लिए अलग से वित्त कोष बनाया जाए. केंद्र ने चुनाव आयुक्त के चयन में किसी भी तरह की गड़बड़ से इनकार करते हुए वर्तमान के चयन कमेटी को बरकरार रखने की मांग की थी.


सेबी नियमों का सुप्रीम कमेटी करेगी जांच- अडानी समूह पर अमेरिकी रिसर्च एजेंसी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद शेयर बाजार धड़ाम हो गया. यह मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इस पर भी अब फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को भी केंद्र सरकार के लिए झटका माना जा रहा है.


कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि शेयर बाजार में लोगों का पैसा सुरक्षित हो, इसके लिए जो नियम हैं उसकी समीक्षा होनी चाहिए. हम चाहते हैं कि एक एक्सपर्ट कमेटी बनाई जाए. सरकार ने कमेटी के सदस्यों के नाम की सिफारिश करने की बात कही थी, लेकिन कोर्ट ने इसे नहीं माना.


कोर्ट ने जस्टिस एएम सप्रे के नेतृत्व में 6 सदस्यों वाली एक कमेटी बनाई है. साथ ही सेबी से कहा है कि अडानी मामले में 2 महीने में रिपोर्ट दें और बताएं कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट का सच क्या है? हालांकि, कोर्ट के इस फैसले का अडानी समूह ने स्वागत किया है.