DETAIL: आज की हार का ब्रैंड मोदी पर क्या होगा असर?
कांग्रेस के लिए आज का चुनाव परिणाम जहां संजीवनी है वहीं बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए खतरे की घंटी है.
नई दिल्ली: आज से ठीक एक साल पहले कांग्रेस ने राहुल गांधी को अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया था. आज बीजेपी शासित तीन राज्यों में कांग्रेस की वापसी करती दिख रही है. ये सबकुछ 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले हो रहा है. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दो ऐसे राज्य हैं जहां 15 सालों से बीजेपी की सरकार रही है. कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए साफ कर दिया कि ये 'प्रचंड आरंभ' है तो वहीं राहुल गांधी ने भी कहा कि आज बीजेपी को हराया है 2019 में भी हराएंगे.
इस बार के चुनाव नतीजे कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए बेहद अहम हैं और दोनों पार्टियां इस बात को बखूबी समझ रही हैं. 2019 में कांग्रेस का सामना नरेंद्र मोदी की दमदार छवि से होगा. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 'संजीवनी' तो हासिल कर ली है लेकिन आम चुनावों में उसकी रणनीति जमीनी स्तर अभी साफ नहीं है. विपक्ष को संगठित कर मोदी के खिलाफ कैसे खड़ा किया जाए ये कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी? अकेले कांग्रेस 2019 में मोदी को मात नहीं दे सकती, राजनीतिक विश्लेषकों को तो यही मानना है. ऐसे में आज के चुनाव परिणाम 2019 के आम चुनाव में सियासी दलों के लिए क्या निर्णायक रास्ता दिखाएंगे? यह सवाल राजनीतिक हलकों में सबसे बड़े विमर्श का विषय बनने जा रहा है. कांग्रेस के लिए आज का चुनाव परिणाम जहां संजीवनी है वहीं बीजेपी और पीएम नरेंद्र मोदी के लिए खतरे की घंटी है.
पीएम नरेंद्र मोदी के लिए इन राज्यों के चुनाव परिणाम के क्या मायने हैं, आइए समझते हैं.
मोदी ब्रैंड पर असर मोदी ब्रांड बीजेपी का ब्रह्मास्त्र है, जो 2014 से लगातार विरोधियों को परास्त कर रहा है. बीजेपी इसी के सहारे कांग्रेस मुक्त भारत का सपना देख रही है. इन विधानसभा चुनावों में हार की वजह से सबसे बड़ी चोट इसी पर पड़ी है. चाहे किसानों का मुद्दा हो, राफेल हो, रोजगार हो या फिर भ्रष्टाचार... कांग्रेस हर बार इन आरोपों के जरिए इसी पर ही चोट कर रही है. जिसका असर इन चुनाव परिणाम में झलक रहा है. सहयोगी दलों पर प्रभाव 2019 के लिए सीटों के बंटवारे पर विधानसभा चुनाव परिणाम का सबसे अधिक असर होगा. बीजेपी की इस हार के बाद बिहार, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों में सहयोगी दल बारगेन करने पर जोर देंगे. अब बीजेपी सहयोगी दलों पर दबाव बनाने में बहुत सफल नहीं हो पाएगी. उसे अब सहयोगी दलों के नखरे सहने पड़ सकते हैं. विपक्षी हमलों की धार पर असर डीजल-पेट्रोल के दाम, राफेल डील पर विवाद, एससीएसटी एक्ट से सवर्णों में उपजी नाराजगी बीजेपी के लिए संकट के बादल की तरह हैं. राहुल गांधी के आज के प्रेस कॉन्फ्रेंस से स्पष्ट हो गया कि विपक्ष हमला और तेज कर देगा. 2019 के लिए विपक्ष का आत्मविश्वास बढ़ता जाएगा और राफेल विवाद 2019 में बड़ा चुनावी मुद्दा बनेगा.