Northeast States Election 2023: पूर्वोत्तर भारत के तीन राज्यों मेघालय (Meghalaya), त्रिपुरा (Tripura) और नगालैंड (Nagaland) में हुए विधानसभा चुनाव (Assembly Election) के परिणाम 2 मार्च को जारी किए जाएंगे. मतगणना के लिए चुनाव आयोग ने पुख्ता तैयारियां कराई हैं. वहीं, सियासी दलों की निगाहें भी चुनाव परिणाम की ओर हैं. चुनाव में अपनी-अपनी जीत के लिए बीजेपी, कांग्रेस, टीएमसी जैसे राष्ट्रीय दलों और कई क्षेत्रीय दलों ने एड़ी-चोट का जोर लगाया था. इन चुनावों की एक बड़ी बात यह रही कि ये चुनाव हिंदुत्व के नाम पर नहीं लड़े गए.


हिंदुत्व का शोर नगालैंड-मेघालय में नहीं गूंजा


नगालैंड-मेघालय में हिंदुत्व का शोर इसलिए नहीं गूंजा, क्योंकि दोनों ही राज्य ईसाई बहुल हैं. मेघालय की आबादी में 75% ईसाई हैं. जबकि, नगालैंड में करीब 88% आबादी ईसाई धर्म को मानती है. इसीलिए चुनावों के दौरान क्षेत्रीय पार्टियां और कांग्रेस इन राज्यों में अपने पुराने तरीकों से वोटरों को साधने में जुटी थीं. वहीं, बीजेपी की रणनीति भी इन राज्यों के लिए देश के अन्य राज्यों से काफी अलग रही. बीजेपी का फोकस यहां हिंदुत्व के बजाए स्थानीय मुद्दों पर रहा. मेघालय में पार्टी सभी 60 सीटों पर चुनाव लड़ी.


यहां बीजेपी के सभी उम्मीदवार गैर-हिंदू ही


नगालैंड में बीजेपी 20 उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतरी. इस प्रकार, मेघालय के 60 और नगालैंड 20 उम्मीदवारों को मिलाकर दोनों राज्यों में बीजेपी के कुल 80 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा. इन 80 उम्मीदवारों में से बीजेपी के 75 उम्मीदवार ईसाई ही बनाए गए. इसी प्रकार, ममता बनर्जी वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के मेघालय में 56 में से 55 यानी 99% प्रत्याशी ईसाई हैं. कांग्रेस ने भी दोनों राज्यों में बड़ी संख्या ईसाइयों को टिकट दिया था.


मेघालय कांग्रेस की समन्वयक बबीता शर्मा के एक बयान में कहा गया कि नगालैंड में कांग्रेस के 23 प्रत्याशी जनजातीय ईसाई समुदाय से चुने गए. बबीता ने कहा था कि उनकी पार्टी ने मजहब देखकर टिकट नहीं बांटे, बल्कि उनका फोकस इलाके के विकास करने वाले लोगों के चयन पर था.


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