SBI Electoral Bonds Data: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ओर से चुनाव आयोग को दी गई इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी में सामने आया कि करोड़ों रुपये की कीमत के चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन पर ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाई हो चुकी है. इनमें से कुछ कंपनियों पर 2019 में भी ईडी की छापेमारी की कार्रवाई हुई हैं और इस दौरान इन्होंने 5 साल में अलग-अलग समय पर इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. इनमें 1300 करोड़ से भी ज्यादा रकम के सबसे महंगे चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विस प्राइवेट लिमिटे का भी नाम है.
चुनाव आयोग की ओर से जारी की गई लिस्ट में 22 कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने चुनावी बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों को 100 करोड़ से ज्यादा का चंदा दिया है. 2019 से 2024 के बीच सबसे ज्यादा चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली 30 कंपनियों में से 14 ऐसी हैं, जिन पर छापेमारी हो चुकी है. आइए जानते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले डोनर्स की लिस्ट में वो कौन सी कंपनियां हैं, जिन पर ईडी और इनकम टैक्स ने छापेमारी की-
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड
चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वालों की जो लिस्ट जारी की है, उसमें सबसे ज्यादा कीमत के बॉन्ड खरीदने वालों की लिस्ट में फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड का नाम सबसे ऊपर है. इस कंपनी ने 2019 से अब तक 1,368 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. कंपनी का संबंध लॉटरी इंडस्ट्री से है और सेंटियागो मार्टिन नाम के शख्स ने साल 1991 में यह कंपनी बनाई थी. इस कंपनी की 13 राज्यों में ब्रांच है और ज्यादातर यह दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों में काम करती है. कंपनी का कहना है कि इसके तहत 1000 कर्मचारी काम करते हैं. साल 2022 में प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के केस में कंपनी पर छापेमारी की और 409 करोड़ की संपत्ति जब्त की.
कंपनी पर आरोप थे कि 2014 से 2017 के बीच कंपनी ने लॉटरी टिकेट के जरिए गैरकानूनी तरीके से 400 करोड़ रुपये कमाए. सेंटियागो मार्टिन के दामाद आधव अर्जुन से जुड़े ठिकानों पर भी तमिलनाडु में ईडी ने इसी साल 9 मार्च को छापेमारी की. यह कार्रवाई राज्य में गैरकानूनी तरीके से सैंड माइनिंग केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई थी. इसके अलावा, मई 2019 में भी कंपनी पर छापेमारी हुई थी. इसके एक साल बाद ही कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. 2 अप्रैल, 2022 की छापेमारी के बाद 7 अप्रैल को कंपनी ने 100 करोड़ के चुनावी बॉन्ड खरीदे. इसी तरह तमिलनाडु विधानसभा चुनाव के दौरान भी कंपनी की तरफ से कई इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए.
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड
मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड की चुनावी बॉन्ड खरीदने की भी लंबी लिस्ट है. कंपनी ने 966 करोड़ की कीमत के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. 12 अप्रैल, 2019 से कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने शुरू किए और एक दिन में ही एक करोड़ की कीमत वाले कई बॉन्ड खरीदे. 2019 से 12 अक्टूबर, 2023 तक कंपनी ने कई इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. साल 2019 में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड पर अक्टूबर, 2019 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने रेड मारी थी. इस कार्रवाई में हैदराबाद और अन्य जगहों पर कंपनी से जुड़े कई कार्यालयों पर छापेमारी की गई थी. इस कंपनी के मालिक तेलुगु बिजनेसमैन कृष्णा रेड्डी हैं.
हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड
हल्दिया इंजीनियरिंग लिमिटेड ने 377 करोड़ रुपये इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए डोनेट किए हैं. कंपनी पर सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन की कार्रवाई हुई थी. साल 2020 में कंपनी पर यह कार्रवाई हुई थी.
वेदांता लिमिटेड
वेदांता ग्रुप कंपनी तलवंडी साबो पावर लिमिटेड पर साल 2022 में ईडी ने छापेमारी की थी. यह छापेमारी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में हुई थी. चुनाव आयोग की ओर से भेजी गई लिस्ट में बताया गया कि कंपनी ने 400 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल
यशोदा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल की ओर से 162 करोड़ रुपये चुनावी बॉन्ड के जरिए पॉलिटिकल पार्टी को चंदा दिया है. कंपनी पर भी इनकम टैक्स की छापेमारी हो चुकी है. यह छापेमारी साल 2020 में हुई थी और कंपनी ने 2021 में चुनावी बॉन्ड खरीदे.
डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड
डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स लिमिटेड पर साल 2019 में सीबीआई की ओर से जमीन आवंटन में अनियमितता के मामले में कार्रवाई की गई थी. इसके बाद 2023 में ईडी ने कंपनी के गुरुग्राम में कार्यालयों पर भी छापेमारी की थी. यह छापेमारी रियल एस्टेट फर्म सुपरटेक से जुड़े एक मामले में जांच के दौरान हुई थी. कंपनी ने 130 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे.