चुनावी बॉन्ड योजना मामले में कब सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट? NGO की मांग- चंदा देने वाली कंपनियों, राजनीतिक दल और अधिकारियों से जुड़े केस की हो SIT जांच
जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा, 'यह मुख्य न्यायाधीख के कार्यालय के विचारार्थ है और वह इसे सूचीबद्ध करेंगे.'
दो गैर सरकारी संगठनों (NGO) ने सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार (14 मई) को चुनावी बॉन्ड योजना से जुड़ी जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया है. याचिका में चुनावी बॉण्ड योजना में राजनीतिक दलों, कॉर्पोरेट संस्थाओं और जांच एजेंसियों के अधिकारियों से जुड़े बदले में लाभ पहुंचाने के कथित मामलों की एक विशेष जांच दल (SIT) से कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की गई है.
यह याचिका एनजीओ कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंट्रेस्ट लिटिगेशन (CPIL) ने दाखिल की है. एनजीओ की तरफ से सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कोर्ट में दलील दी. उन्होंने कोर्ट से सुनवाई के लिए याचिका को जल्द से जल्द सूचीबद्ध करने की अपील की. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने प्रशांत भूषण के अनुरोध पर संज्ञान लिया.
जस्टिस संजीव खन्ना ने प्रशांत भूषण से कहा, 'यह मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय के विचारार्थ है और वही इसे सूचीबद्ध करेंगे.' 15 फरवरी को पांच जजों की संविधान पीठ ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) नीत केंद्र सरकार की ओर से लाई गई चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था.
दोनों एनजीओ की याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को घोटाला करार दिया है. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि अधिकारियों को निर्देश दिए जाएं कि वह उन शेल कंपनियों और घाटे में चल रही कंपनियों के वित्त पोषण के स्रोत की जांच करें, जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निर्वाचन आयोग की ओर से दिए गए आंकड़ों में खुलासा हुआ कि इन कंपनियों ने पॉलिटिकल पार्टियों को चंदे में बड़ी रकम दी थीं.
याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि कंपनियों की ओर से लाभ पाने के ऐवज में दिए गए उस चंदे को भी वसूला जाए, जो अपराध की आय के रूप में अर्जित पाया जाता है.
(इनपुट पीटीआई-भाषा से)
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