'इलेक्टोरल बॉन्ड से हुए लेनदेन की जांच करे SIT', याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को करेगा सुनवाई
Electoral Bond Scheme: सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को असंवैधानिक करार दिया था. इस बीच चुनावी बॉन्ड के जरिए हुए कथित लेनदेन की जांच कराने के मामले को लेकर SC में याचिका दायर की गई.
Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक दलों, कॉरपोरेट और अधिकारियों के बीच कथित लेनदेन की विशेष जांच दल (SIT) से जांच कराने को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को सुनवाई करेगा. याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना की अदालत की निगरानी में SIT के जरिए जांच का अनुरोध किया गया है.
याचिका में दावा किया गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा से पता चलता है कि ज्यादातर कॉरपोरेट ने लाभ के लिए या केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्रवाई से बचने के लिए राजनीतिक दलों को चंदा दिया था.
PIL seeking court-monitored probe into electoral bonds scheme is listed for hearing on July 22: SC
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2024
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका में चुनावी बॉन्ड योजना को एक घोटाला करार देते हुए मुखौटा और घाटे में चल रही उन कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत की जांच का अधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है, जिन्होंने विभिन्न राजनीतिक दलों को चंदा दिया.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार की शुरू की गई गुमनाम राजनीतिक चंदे की इलेक्टोरल बॉन्ड योजना रद्द कर दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजनीतिक दलों के योगदान को गुमनाम करके इलेक्टोरल बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त मतदाता की सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है. कोर्ट ने कहा था कि चुनावी प्रक्रिया में काले धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से मतदाताओं के सूचना के अधिकार के उल्लंघन को उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
इनपुट भाषा से भी.