Electoral Bonds: मुंबई की 66 कंपनियों ने दिया 1344 करोड़ रुपये का चंदा, इलेक्टोरल बॉन्ड में 11% की हिस्सेदारी
Electoral Bonds News: मुंबई में रजिस्टर्ड प्रमुख कंपनियां जिन्होंने बॉन्ड खरीदा है, उसमें वेदांता, क्विक सप्लाई चेन, सिप्ला, इनऑर्बिट मॉल्स, ओमकार रियल्टर्स, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स, पीरामल आदि हैं.
Electoral Bonds Details: चुनाव आयोग की ओर से राजनीतिक पर्टियों के इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री से संबंधित डिटेल अपलोड करने के बाद रोज नए-नए खुलासे हो रहे हैं. आंकड़ों पर नजर डालें तो मुंबई एरिया में रजिस्टर्ड 66 कंपनियों ने 2019 से सामूहिक रूप से कुल 1,344 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे. यह संख्या राष्ट्रीय स्तर पर खरीदे गए कुल बॉन्ड का 11% है.
इसमें चंदे की राशि 2 लाख रुपये से लेकर 410 करोड़ रुपये तक है. खरीदारों में बिल्डर, फार्मास्युटिकल कंपनियां, पैथोलॉजी लैब, हीरा फर्म, इन्वेस्टमेंट, ट्रेडिंग फर्म और टेक कंपनियां शामिल हैं. इनका मुख्यालय शहर, ठाणे और नवी मुंबई में है.
छोटी कंपनियों ने भी खूब खरीदे बॉन्ड
भारतीय चुनाव आयोग की ओर से प्रकाशित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के आंकड़ों से पता चलता है कि छोटी कंपनियों ने भी खूब बॉन्ड खरीदे हैं. इनमें से अधिकतर खरीदारी 2019 में की गई थी. यह भी पता चला है कि अधिकतर बॉन्ड एक ही दिन में लिए गए.
पुणे, नासिक और कोल्हापुर से भी मिला काफी चंदा
राजनीतिक पार्टियों को पुणे, नासिक और कोल्हापुर सहित अन्य जिलों से भी काफी चंदा मिला. यह राशि कुल मिलाकर करीब 218 करोड़ रुपये तक हो गई और राज्य में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की संख्या 76 हो गई. खरीदे गए चुनावी बॉन्ड में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी बढ़कर 1,562 करोड़ रुपये तक पहुंची.
पूरे भारत में खरीदे गए 12,156 करोड़ रुपये के बॉन्ड का 13% तक को लेकर पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त और आरटीआई कार्यकर्ता शैलेश गांधी ने कहा कि शहर की वित्तीय राजधानी की स्थिति को देखते हुए मुंबई का 10% योगदान रूढ़िवादी लगता है. उन्होंने कहा कि यहां 20-30% तक बॉन्ड खरीदे गए होंगे.
क्विक सप्लाई चेन कंपनी ने दिया सबसे ज्यादा चंदा
मुंबई में रजिस्टर्ड प्रमुख कंपनियां जिन्होंने बॉन्ड खरीदा है, उसमें वेदांता, क्विक सप्लाई चेन, सिप्ला, इनऑर्बिट मॉल्स, ओमकार रियल्टर्स, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स, पीरामल, सुला शामिल हैं. नवी मुंबई में रजिस्टर्ड वेयरहाउस और स्टोर कंपनी क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड सबसे अधिक चंदा देने वाली कंपनी थी. इस कंपनी ने 410 करोड़ रुपये का बॉन्ड खरीदा था. इसने जनवरी 2022 और नवंबर 2023 के बीच में चार मौकों पर बॉन्ड खरीदा.
वेदांता 400 करोड़ से अधिक के बॉन्ड लेकर दूसरे नंबर पर
दूसरी तरफ अंधेरी में रजिस्टर्ड वेदांता लिमिटेड जो सेमीकंडक्टर बिजनेस में एंट्री की तैयारी में थी ने 400 करोड़ रुपये से अधिक के बॉन्ड खरीदे. इसने 2019 में 52.6 करोड़ रुपये, 2021 में 24 करोड़ रुपये, 2022 में 253 करोड़ रुपये और 2023 में 70 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. तीसरा सबसे बड़ा चंदा पीरामल ग्रुप ने दिया. उसने 48 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे. इसके बाद सिप्ला लिमिटेड का नंबर आता है जिसने 39.2 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे.
इन कंपनियों ने पिछले 5 साल में सिर्फ एक बार खरीदे बॉन्ड
लिस्ट में कई ऐसी कंपनियां भी हैं जिन्होंने पिछले पांच साल में सिर्फ एक बार खरीदारी की. आईआरबी एमपी एक्सप्रेसवे प्राइवेट लिमिटेड ने 4 जुलाई 2023 को एक ही दिन में एक-एक करोड़ रुपये के 25 बॉन्ड खरीदे. नासिक में अंगूर के बागानों वाली एक प्रमुख वाइनरी कंपनी सुला, जिसका ऑफिस मुंबई में है ने भी 20 अप्रैल 2019 को एक ही दिन में 25 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदे.
मुंबई से बाहर की भी कई कंपनियों ने दिल खोलकर दिया चंदा
मुंबई के बाहर दान देने वाली प्रमुख कंपनियों में पुणे से बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड रही, जिसने 117 करोड़ रुपये दान दिए. कंपनी ने यह खरीदारी जनवरी 2023 से जनवरी 2024 के बीच की थी. पिछले साल समूह ने महाराष्ट्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 20,448 फ्लैट बनाने के लिए 4,652 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था. बजाज समूह ने 48 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे, जबकि नासिक में अलाया कंस्ट्रक्शन जैसे छोटे समूहों ने भी एक करोड़ का चंदा दिया.
इन कंपनियों ने दिया सबसे कम चंदा
लिस्ट में सबसे नीचे आरआर काबेल और राज कमल ड्रग्स जैसी कंपनियां हैं. इनका दान 10 लाख रुपये से कम है. तार और केबल बनाने वाली कंपनी आरआर काबेल ने 11 अप्रैल 2023 को 2 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदे. राज कमल ड्रग्स ने हाल ही में जनवरी 2024 में 5 लाख रुपये के बॉन्ड खरीदे.
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