What is Electoral Bonds Controversy: इलेक्टोरल बॉन्ड (चुनावी बॉन्ड) से जुड़े मामले में आज यानी सोमवार (11 मार्च, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई है. यह हियरिंग भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस याचिका पर होनी है, जिसमें राजनीतिक पार्टियों की ओर से भुनाए गए हर चुनावी बॉन्ड के ब्योरे का खुलासा करने के लिए डेडलाइन (समयसीमा) को 30 जून तक बढ़ाने की गुजारिश की गई है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच 1 अलग याचिका पर भी सुनवाई करेगी, जिसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया है. इस याचिका में आरोप लगाया गया कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के जरिए सियासी दलों को मिले चंदे के डिटेल निर्वाचन आयोग (ईसी) को 6 मार्च तक सौंपे जाने से जुड़े टॉप कोर्ट के निर्देश की ‘‘जानबूझकर’’ अवज्ञा की.
SC की बेंच में कौन-कौन से जस्टिस हैं शामिल?
सुप्रीम कोर्ट के केसों की लिस्ट (जो सोमवार के लिए निर्धारित हैं) के मुताबिक, बेंच इन दोनों याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सुबह साढ़े 10 बजे बैठेगी. बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी.आर. गवई, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा हैं.
तमिलनाडु के चेन्नई शहर में एसबीआई के कदम के विरोध में प्रदर्शन करते हुए सीपीआई(एम) के कार्यकर्ता. (फाइल)
चुनावी बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक दे चुका है करार
वैसे, चुनावी बॉन्ड को सुप्रीम कोर्ट असंवैधानिक बता चुका है. 15 फरवरी, 2024 को दिए ऐतिहासिक फैसले में टॉप कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम रद्द कर दी थी. देश की सबसे बड़ी अदालत ने तब इसे असंवैधानिक करार देते हुए ईसी को चंदा देने वालों, चंदे के रूप में दी गई रकम और इसे हासिल करने वालों का 13 मार्च तक खुलासा करने का आदेश दिया था.
फौरन बंद करिए चुनावी बॉन्ड स्कीम- SC का था आदेश
टॉप कोर्ट ने तब इस स्कीम को फौरन बंद करने का आदेश देते हुए योजना के तहत अधिकृत बैंक एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड के डिटेल्स 6 मार्च तक ईसी को सौंपने का निर्देश भी दिया था. अदालत ने इस दौरान ईसी से उसकी वेबसाइट पर 13 मार्च तक यह जानकारी भी सार्वजनिक करने के लिए कहा गया था.
चुनावी बॉन्ड को लेकर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कही थी अहम बात
सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़ के लिखे फैसले में कहा गया था कि किसी राजनीतिक दल को वित्तीय मदद संभावित रूप से बदले की व्यवस्था का कारण बन सकती है. राजनीतिक दलों के योगदान को गुमनाम करके चुनावी बॉन्ड योजना संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत प्रदत्त मतदाता की सूचना के अधिकार का उल्लंघन करती है.