नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद से विपक्षी नेताओं की लगातार मांग रही है कि उन्हें जम्मू कश्मीर जाने दिया जाए. लेकिन इन नेताओं को अभी तक प्रशासन की तरफ से जम्मू कश्मीर नहीं जाने दिया. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को दो बार श्रीनगर एयरपोर्ट से लौटा दिया गया. लेकिन आज 11 विपक्षी नेताओं के नेतृत्व में एक दल जम्मू कश्मीर की यात्र पर जा रहे हैं. हालांकि, प्रशासन ने विपक्षी दलों के नेताओं को श्रीनगर शहर एंट्री की इजाजत ना देने का फैसला किया है. इन सभी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से ही वापस भेजा जाएगा.
श्रीनगर रवाना होने से पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने जम्मू कश्मीर में शांति के दावों पर सवाल उठाए. बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राहुल गांधी को जम्मू कश्मीर आकर यहां की सामान्य स्तिति देखने का आमंत्रण दिया था. हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि वह उपयुक्त समय पर राहुल गांधी को राज्य में बुलाएंगे.
गुलाम नबी आजाद का बयान
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ''हालात सामान्य हैं तो हमें रोक क्यों रहे हैं? मुझे मेरे घर क्यों नहीं जाने दे रहे? उमर अब्दुल्ला, फारुख अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को घूमने क्यों नहीं दे रहे हैं. मंत्री सासंदों को नहीं जा रहे हैं, विपक्ष के नेताओं को नहीं जाने देते, इसका मतलब कुछ छिपा रहे हैं. क्या छिपा रहे हैं यह देश को बताना चाहिए.'' बीजेपी की ओर से राजनीति के सवाल पर आजाद ने कहा कि राजनीति करनी थी इसीलिए तो राज्य के टुकड़े किए गए.
वहीं, बीजेपी ने विपक्षी नेताओं के जम्मू कश्मीर दौरे पर सवाल उठाए हुए इसे राजनीतिक पर्यटन का नाम दिया है. केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ''राजनीतिक पर्यटन नहीं होना चाहिए, आज जम्मू कश्मीर और लद्दाख के लोग तरक्की और विश्वास के रास्ते पर बढ़ रहे हैं. लेकिन आप अलगाववादियों के तुष्टिकरण के लिए राजनीतिक पर्यटन के लिए जा रहे हैं. अलगावादियों से हमदर्दी पूरे देश के लिए सिरदर्दी नहीं होनी चाहिए.''
जम्मू कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष बोले- नेताओं को आने देना चाहिए
एक तरफ बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व विपक्ष को निशाने पर ले रहा है तो वहीं जम्मू कश्मीर के बीजेपी अध्यक्ष रवींद्र रैना ने पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया है. रवींद्र रैना ने कहा कि है कि अगर विपक्ष के नेता घाटी में आना चाहते हैं तो उन्हें आने देना चाहिए. रविंद्र रैना ने कहा, ''आज कश्मीर घाटी के दौरे पर विपक्ष के नेता आ रहे हैं, इन्हें आने देना चाहिए. भारत लोकतांत्रिक देश है, किसी पर कोई प्रतिबंध नहीं है. लेकिन कश्मीर घाटी के अंदर आकर अलगावादियों और आतंकियों बढ़ावा देने काम ना करें. कांग्रेस का और विपक्ष के नेताओं ने जम्मू कश्मीर के आंदर आतंकवाद और अलगावाद को बढ़ावा दिया है.''
प्रशासन का फैसला, सभी नेताओं को एयरपोर्ट से ही वापस भेजेंगे
प्रशासन ने विपक्षी दलों के नेताओं को श्रीनगर शहर एंट्री की इजाजत ना देने का फैसला किया है. इस सभी नेताओं को श्रीनगर एयरपोर्ट से ही वापस भेजा जाएगा. बता दें कि इन नेताओं के दौरे की खबर आने के बाद ही प्रशासन से अपील की थी कि वो फिलहाल श्रीनगर का दौरा न करें. जम्मू-कश्मीर सरकार ने कहा कि ऐसे समय में जब सरकार सीमा पार से आने वाले आतंकवाद और आतंकियों के खतरे का सामना कर रही है, शरारती तत्वों, अलगाववादियों और बदमाशों का हौसला तोड़कर सामान्य स्थिति बहाल करने की कोशिश कर रही है, वरिष्ठ राजनेताओं को इस सामान्य स्थिति के होने में बाधा नहीं डालनी चाहिए.
बता दें कि अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने के बाद से सरकार ने अबतक किसी भी सियासतदान को राज्य में आने की इजाजत नहीं दी है. पूर्व मुख्यमंत्रियों- फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं को नज़रबंद किया हुआ है, जबकि कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आज़ाद को दो बार राज्य में प्रवेश करने से रोका गया है. उन्हें एक बार श्रीनगर में और दूसरी बार जम्मू में रोका गया.
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