एल्गार परिषद मामला: जेल में बंद गौतम नवलखा को किया जाएगा हाउस अरेस्ट, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
NIA ने दावा किया था कि नवलखा कश्मीरी चरमपंथियों और ISI के भी संपर्क में था. एजेंसी एक्टिविस्ट को हाउस अरेस्ट के दौरान मेल लिखने से नहीं रोक पाएगी.
House Arrest To Gautam Navlakha: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले (Elgar Parishad Case) में जेल में बंद एक्टिविस्ट गौतम नवलखा को नजरबंद करने की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले के आरोपी गौतम नवलखा को उनकी स्वास्थ्य स्थिति और बुढ़ापे को देखते हुए घर में नजरबंद रखने की अनुमति दी है. नवलखा ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि थाकि उन्हें तलोजा जेल, महाराष्ट्र में न्यायिक हिरासत के बजाय घर में नजरबंद रखा जाए.
बता दें कि मेडिकल आधार पर आदेश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कई शर्ते लगाई हैं. नवलखा को पुलिस पर होने वाले खर्च के लिए 2 लाख 40 हजार रुपए जमा करवाने होंगे. नवलखा को इंटरनेट और मोबाइल की सुविधा नहीं मिलेगी. हर दिन पुलिस की तरफ से उपलब्ध कराए गए मोबाइल पर पुलिस अधिकारी के सामने 10 मिनट तक फोन पर बात करने की अनुमति होगी. हफ्ते में एक बार अपनी बहन और बेटी से 3 घंटे के लिए मिलने की अनुमति होगी.
'ISI के संपर्क में था नवलखा'
इससे पहले, जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय ने बुधवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नवलखा को चिकित्सा आधार पर नजरबंद करने के लिए लगाए जाने वाले प्रतिबंधों से अवगत कराने का निर्देश दिया था. एनआईए ने दावा किया था कि नवलखा कश्मीरी चरमपंथियों और यहां तक कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के भी संपर्क में था. एनआईए ने आगे कहा कि एजेंसी एक्टिविस्ट को हाउस अरेस्ट के दौरान मेल लिखने से नहीं रोक पाएगी.
NIA ने कोर्ट को और क्या बताया?
एनआईए के वकील ने अमेरिकी अदालत से प्राप्त दस्तावेज पेश किए, जिसमें कथित तौर पर कार्यकर्ता को आईएसआई एजेंट गुलाम नबी फाई से जोड़ा गया था, जिसे आईएसआई से धन स्वीकार करने के लिए अमेरिका में दोषी ठहराया गया था. एनआईए के अनुसार, दस्तावेजों से पता चलता है कि नवलखा को आईएसआई के निर्देश पर भर्ती के लिए आईएसआई जनरल से 'परिचय' कराया गया था.
'हाउस अरेस्ट को हिरासत के रूप में दी गई है मान्यता'
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने हाउस अरेस्ट को हिरासत के रूप में मान्यता दी है. यह कहते हुए कि हाउस अरेस्ट अनंत काल तक नहीं चलेगा, अदालत ने एनआईए से कहा कि वह उसके सामने उन प्रतिबंधों को रखे जो वह आरोपियों की नजरबंदी के लिए लगाना चाहती थी. इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने आगे नवलखा की याचिका पर ध्यान दिया, जिसमें संदिग्ध कैंसर के लिए कोलोनोस्कोपी से गुजरने की अनुमति के अलावा दंत समस्याओं और त्वचा की एलर्जी का हवाला दिया गया था.
HC के खिलाफ SC गया था नवलखा
इससे पहले, 29 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने तलोजा जेल अधीक्षक को नवलखा को तुरंत इलाज के लिए मुंबई के जसलोक अस्पताल में शिफ्ट करने का निर्देश दिया था. नवलखा ने बॉम्बे हाई कोर्ट के 26 अप्रैल के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, जिसने मुंबई के पास तलोजा जेल में पर्याप्त चिकित्सा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी की आशंकाओं पर नजरबंदी की उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जहां वह वर्तमान में बंद हैं. हालांकि, अब उन्हें हाउस अरेस्ट में रखा जाएगा.
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