मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने मेडिकल आधार पर बीमार कवि वरवरा राव को आज छह महीने की अंतरिम जमानत दे दी है. एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले के आरोपी 82 वर्षीय राव का मुंबई के नानावटी अस्पताल में इलाज चल रहा है. राव को अदालत की फटकार के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इलाज की सुविधा मुहैया कराई थी.
कवि वरवरा राव को छह महीने की अंतरिम जमानत
राव 28 अगस्त 2018 से ही न्यायिक हिरासत में हैं और मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं. न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने आदेश दिया कि राव को अस्पताल से छुट्टी दी जाए. पीठ ने ये भी कहा कि अस्पताल से छुट्टी के तुरंत बाद उन्हें जमानत पर छोड़ा जाए. अदालत ने मेडिकल आधार पर जमानत देने को मानवाधिकार सिद्धांत की रक्षा करने की बात कही. पीठ ने जमानत देने के साथ कठोर शर्तें भी लगाई हैं.
कोर्ट ने कहा कि जमानत की अवधि में आरोपी को मुंबई की एनआईए अदालत के न्यायाधिकार क्षेत्र में रहने का निर्देश भी शामिल है. राव को अपना पासपोर्ट एनआईए की अदालत में जमा कराना होगा और मामले के सह अभियुक्तों से किसी तरह का संपर्क स्थापित करने की कोशिश नहीं करेंगे. अदालत ने 50 हजार रुपये का व्यक्तिगत बांड जमा करने के साथ ही बराबर राशि के दो मुचलके भरने को कहा.
मेडिकल आधार पर अदालत ने छोड़ने का दिया आदेश
मेडिकल आधार पर वरवरा राव को जमानत देने की याचिका पर बहस एक फरवरी को पूरी हो गई थी. बहस पूरी होने के बाद अदालत के फैसले का इंतजार किया जा रहा था. पति की जमानत के लिए याचिका दाखिल करनेवाली पत्नी ने उचित इलाज न मिलने की बात अदालत के सामने रखी. उनका कहना था कि कैद में रखने से वरवरा राव के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है.
आपको बता दें कि 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. पुलिस का दावा है कि कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए और अगले दिन भीमा-कोरेगांव में हिंसा फैली. पुलिस ने आयोजकों का माओवादियों से संबंध होने की बात भी कही है. एल्गार परिषद मामले की जांच एनआईए कर रही है.
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