सच साबित होने वाला है एलन मस्क का प्लान! मंगल पर पानी को लेकर आ गई ये गुड न्यूज
Mars Mission: वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह का रंग उसकी सतह पर मौजूद जंग के रंग की धूल के कारण है, जिसे इसे फेरिहाइड्राइट कहा जाता है. इसी धूल के कारण मंगल ग्रह का रंग लाल है.

Mars Mission: एक नए अध्ययन के अनुसार मंगल ग्रह का लाल रंग लौह-युक्त खनिज की उपस्थिति के कारण हो सकता है, जिसके निर्माण के लिए ठंडे पानी की आवश्यकता होती है. इससे यह संभावना मजबूत होती है कि यह ग्रह पहले में रहने योग्य रहा होगा. नेचर कम्युनिकेशन्स पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में सुझाव दिया गया है कि लाल ग्रह पर स्थित धूल विभिन्न खनिजों का मिश्रण है, जिसमें आयरन ऑक्साइड भी शामिल है, जिनमें से एक फेरिहाइड्राइट ग्रह के रंग का कारण हो सकता है.
मंगल ग्रह पर पानी होने के मिले संकेत
ब्राउन यूनिवर्सिटी, अमेरिका में पोस्टडॉक्टरल फेलो और स्टडी के प्रमुख लेखक एडम वैलेंटिनास ने कहा, ‘‘हम फेरिहाइड्राइट को मंगल ग्रह के लाल होने का कारण मानने वाले पहले व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन अब हम अवलोकन डेटा और प्रयोगशाला के नए तरीकों का उपयोग करके इसका बेहतर परीक्षण कर सकते हैं, ताकि अनिवार्य रूप से प्रयोगशाला में मंगल ग्रह की धूल बनाई जा सके.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे विश्लेषण से हमें विश्वास है कि फेरिहाइड्राइट धूल में हर जगह है और संभवतः चट्टान संरचनाओं में भी है.’’ हालांकि, चूंकि फेरिहाइड्राइट ठंडे पानी की मौजूदगी में बनता है और पहले लाल रंग देने वाले माने जाने वाले हेमेटाइट जैसे खनिजों की तुलना में कम तापमान पर बनता है, इसलिए निष्कर्ष बताते हैं कि मंगल पर टिकाऊ तरल पानी को बनाए रखने में सक्षम वातावरण हो सकता है.
अरबों साल पहले बदला मंगल ग्रह का वातावरण
माना जाता है कि मंगल का वातावरण अरबों साल पहले नम से शुष्क हो गया था जब इसका वातावरण सौर हवाओं के प्रभाव में आ गया था. मंगल पर एक कमजोर चुंबकीय क्षेत्र था, जो इसे सौर हवाओं से बचाने में विफल रहा, जिससे मंगल शुष्क और ठंडा हो गया. अध्ययन में नासा और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सहित अंतरिक्ष एजेंसियों की ओर से मंगल पर संचालित कई मिशनों से जमा किए गए आंकड़ों का विश्लेषण किया गया. फिर टीम ने परिणामों की तुलना प्रयोगशाला में प्रयोगों से की, जहां उन्होंने परीक्षण किया कि मंगल ग्रह की कृत्रिम परिस्थितियों के तहत प्रकाश फेरिहाइड्राइट कणों और अन्य खनिजों के साथ कैसे संपर्क करता है.
मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु को समझना चाहते वैज्ञानिक
मंगल से नमूनों का विश्लेषण, जो वर्तमान में नासा के पर्सिवियरेंस रोवर की ओर से एकत्र किया जा रहा है, यह बताएगा कि क्या टीम के निष्कर्ष निश्चित रूप से सही हैं. ये निष्कर्ष मंगल के गठन के लिए एक सिद्धांत के रूप में प्रस्तावित हैं. रोवर को जुलाई 2020 में प्रक्षेपित किया गया था और यह फरवरी 2021 में मंगल ग्रह पर उतरा. रिसर्चर्स का लक्ष्य मंगल ग्रह की प्राचीन जलवायु और इसकी रासायनिक प्रक्रियाओं को बेहतर ढंग से समझना है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि ग्रह कभी रहने योग्य था या नहीं.
वैलेंटिनास ने कहा, ‘‘इसे समझने के लिए, आपको इस खनिज के निर्माण के समय की परिस्थितियों को समझने की आवश्यकता है. वे परिस्थितियां आज के शुष्क, ठंडे वातावरण से बहुत अलग थीं.’’ अध्ययन के प्रमुख लेखक ने कहा, ‘‘हम इस अध्ययन से जो जानते हैं वह यह कि सबूत फेरिहाइड्राइट के बनने की ओर इशारा करते हैं, और ऐसा होने के लिए, ऐसी स्थितियां होनी चाहिए जहां हवा या अन्य स्रोतों से ऑक्सीजन और पानी लोहे के साथ प्रतिक्रिया कर सकें.’’
मंगल को लेकर सच साबित हुआ एलन मस्क का सपना
एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स अगले दो सालों में मंगल ग्रह पर अपने सबसे बड़े रॉकेट स्टारशिप को भेजने की योजना बना रही है. कंपनी के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि बताया कि मंगल ग्रह पर सुरक्षित लैंडिंग को परखा जाएगा, जिसके बाद वहां शहर बसाने की योजना बनाई जाएगी. अब एलन मस्क की भविष्यवाणी सही साबित होती नजर आ रहा है, क्योंकि वैज्ञानिकों को इस बात के संकेत मिले हैं कि मंगल ग्रह पर पानी है.
ये भी पढ़ें : अगले महीने बांग्लादेश जा रहे हैं UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस, जबरन विस्थापित रोहिग्याओं के मुद्दे पर होगी चर्चा
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
