Delhi High Court: दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि अर्धसैनिक बलों में आवास किराया भत्ता (एचआरए) अधिकारी स्तर से नीचे के कर्मियों (पीबीओरआर) तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि रैंक की परवाह किए बिना सभी को यह मिलना चाहिए. जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस सौरभ बनर्जी की पीठ ने कहा कि अपने परिवारों से दूर रहने की सुरक्षाकर्मियों की इच्छा शक्ति का वे हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में और आम लोग सम्मान करते हैं.


कोर्ट ने केंद्र को उन्हें आवास किराया भत्ते का लाभ देने के लिए छह सप्ताह के भीतर आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है. अदालत ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और सीमा सुरक्षा बल (BSF) में सहायक कमांडेंट, डिप्टी कमांडेंट और सेकेंड-इन-कमांड रैंक वाले ग्रुप ए के अधिकारियों की याचिकाओं पर यह आदेश दिया है.


सभी कर्मचारियों मिले HRA
याचिकाकर्ताओं ने केंद्र सरकार के कार्यालयी आदेशों को चुनौती दी थी, जिसमें केवल अधिकारी स्तर से नीचे के कर्मियों के बलों में अपने परिवारों को तैनाती वाली जगह के अलावा दूसरे स्थानों पर रखने के लिए एचआरए देने की बात कही गई थी.


कर्मचारियों में खुशी की लहर
कोर्ट के फैसले से कर्मचारियों में खुशी की लहर है. इससे हजारों कर्मचारियों को फायदा पहुंचेगा और कोर्ट ने इस फैसले को लागू करने के लिए सरकार को छह हफ्ते का समय दिया है.


क्या होता है HRA
एचआरए का हिंदी में मतलब होता है- मकान किराया भत्ता (हाउस रेंट अलाउंस). HRA ऐसा भत्ता होता है जो मकान का किराया चुकाने के लिए कंपनी या सरकार की ओर से मिलता है. यह भत्ता कर्मचारी के हाथ में टैक्सेबल होता है लेकिन आयकर अधिनियम धारा 10(13 ए) के तहत एचआरए की छूट ली जा सकती है.


ये भी पढ़ें-


Delhi Fire: ग्रेटर कैलाश में फीनिक्स अस्पताल के बेसमेंट में लगी आग, दमकल की 5 गाड़ियां मौके पर