नई दिल्ली: बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा है कि ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर भारत में भी ऐसा कानून बनाया जाना चाहिए ताकि फेसबुक और गूगल जैसे बड़े कंपनियों को विज्ञापन से मिलने वाले राजस्व का हिस्सा भारतीय मीडिया को भी मिले.


राज्यसभा में शून्यकाल के दौरान बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने पारम्परिक प्रिंट मीडिया और टेलीविजन चैनलों की आर्थिक स्थिति का मामला उठाते हुए कहा कि यह क्षेत्र अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है.


उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि ऑस्ट्रेलिया के समान भारत में कानून बनाया जाए ताकि गूगल आदि को विज्ञापन के राजस्व हिस्से के लिए बाध्य किया जा सके और भारत के प्रिंट और न्यूज़ टीवी चैनल को आर्थिक संकट से उबारा जा सके.’’ सुशील मोदी ने कहा कि देश का प्रिंट मीडिया और न्यूज़ चैनल भारी संकट के दौर से गुजर रहे हैं.


बीजेपी सदस्य ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में जब पारंपरिक मीडिया के साथ ‘‘राजस्व बंटवारे’’ के लिए कानून बनाने की बात आई तो गूगल में सात दिनों तक कंटेंट को रोक दिया.


उन्होंने कहा, ‘‘अंतत: ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने न्यूज़ मीडिया सौदा संहिता कानून बनाया और गूगल को राजस्व बंटवारे के लिए बाध्य कर दिया.’’ उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया की तर्ज पर अनेक देशों में कानून बनाने की पहल हुई है.


इसी मुद्दे पर सुशील मोदी ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, ''जो प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया है उसकी आमदनी का सबसे बड़ा जरिया है विज्ञापन. लेकिन जबसे गूगल और फेसबुक आया है तो इस मीडिया की कमाई का एक बड़ा हिस्सा गूगल और फेसबुक के पास चला जा रहा है.''


सुशील मोदी ने आगे कहा कि अभी ऑस्ट्रेलिया में एक कानून बना है जिसमें गूगल से यह कहा गया है कि जो उसे आमदनी होगी उसमें से प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ उसे शेयर करना पड़ेगा.


उन्होंने कहा कि जो टेक जाइंट्स हैं गूगल, फेसबुक और यूट्यूब उनके 80 फीसदी राजस्व की कमाई हो रही है जबकि प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मीडिया के लोग जो करोड़ों रुपये खर्च कर समाचार का संग्रह करते हैं, गूगल उसी समाचार को बिना भुगतान किए उसका इस्तेमाल कर रहा है.


सुशील मोदी ने कहा कि इसलिए भारत सरकार से आग्रह किया है कि जैसे सोशल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए नियम लेकर आए हैं उसी प्रकार गूगल, फेसबुक से होने वाले विज्ञापन का हिस्सा मीडिया हाउस में वितरित किए जाने की आवश्यकता है.


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