J&K Waqf Board: केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में वक्फ की 50 प्रतिशत से अधिक संपत्तियों पर अतिक्रमण या अवैध कब्जा है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. दरख्शां अंद्राबी ने बताया कि वक्फ संपत्ति के अतिक्रमण के बारे में श्वेत पत्र अगले साल अप्रैल में सार्वजनिक किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड लगभग 32,000 संपत्तियों की देखभाल करता है, जिसमें UT भर में मुस्लिम धर्मस्थल, मस्जिद, शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं. इनमें से लगभग 20 हजार कश्मीर संभाग में और 12 हजार जम्मू संभाग में हैं.


केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद, अप्रैल 2021 में WAQF बोर्ड का पुनर्गठन किया और डॉ. अंद्राबी को इसका पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया, जो इस पद को संभालने वाली पहली महिला थीं. अधिग्रहण के तुरंत बाद वक्फ की संपत्तियों का आंतरिक ऑडिट शुरू किया गया और एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया.


अधिकारियों के अनुसार वक्फ की लगभग सभी संपत्तियों पर या तो कब्जा कर लिया गया है या उन किरायेदारों और पट्टेदारों का अवैध कब्जा था, जो बाजार दरों के अनुसार किराया भी नहीं दे रहे थे. पिछले सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार, वक्फ बोर्ड की लगभग 800 एकड़ भूमि पर क्षेत्र के विभिन्न व्यक्तियों और सरकारी संगठनों द्वारा कब्जा कर लिया गया है.


WAQF बोर्ड की श्रीनगर जिले में सबसे अधिक संपत्ति


आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कश्मीर संभाग के 10 जिलों में 19,888 वक्फ संपत्तियां हैं. श्रीनगर जिले में सबसे अधिक 4,179 वक्फ संपत्तियां हैं, इसके बाद बारामूला 3,224, बडगाम 3,152, अनंतनाग 2,998, पुलवामा 2,250, कुलगाम 1,398, गांदरबल 1,138, कुपवाड़ा 557, शोपियां 532 और बांदीपोरा 460 हैं.


WAQF बोर्ड के संपत्ति को लेकर अंद्राबी ने क्या कहा


अंद्राबी ने कहा कि बड़ी मछलियों का पर्दाफाश करने के लिए फाइलें तैयार की जा रही हैं और अगले साल अप्रैल में जब वक्फ दिवस मनाया जाएगा तब श्वेत पत्र सार्वजनिक किया जाएगा. अंद्राबी ने अपनी बातों पर ध्यान न देते हुए कहा कि सार्वजनिक संपत्ति की इस लूट के लिए पूर्व के सभी मुख्यमंत्री, जो पुरानी व्यवस्था के तहत वक्फ के प्रमुख थे, जिम्मेदार हैं.


WAQF ने किया अपनी संपत्ति का डिजिटलीकरण


नई प्रणाली के तहत, WAQF ने पहले ही अपनी संपत्तियों के डिजिटलीकरण और जियो-टैगिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है और बाद में उन संपत्तियों के रिकॉर्ड को वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया (WAMSI) पोर्टल पर अपलोड कर दिया है.


WAQF बोर्ड अक्सर राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण विवादों में रहा है क्योंकि सत्तारूढ़ दलों ने इसके कामकाज और कार्यों के निष्पादन में अत्यधिक हस्तक्षेप किया है. नए WAQF बोर्ड ने पहले ही लगभग 2500 रहने वालों को नोटिस भेजा है, जो या तो इसकी संपत्तियों में रुके हुए हैं, या मानदंडों के अनुसार किराए का भुगतान नहीं कर रहे हैं.


"इसकी संपत्ति के मूल्य को देखते हुए, बोर्ड को आज की तुलना में बहुत अधिक कमाई करनी चाहिए. इसकी संपत्तियों में व्यावसायिक भवन, स्कूल, दुकानें और जमीन शामिल हैं. लेकिन वार्षिक कारोबार अपेक्षित राजस्व से बहुत कम है, जिससे हमें वृद्धि करने के लिए मजबूर होना पड़ता है." WAQF बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि किराए में 120% बढ़ोतरी एक मजबूरी है और दुकानदारों, किरायेदारों और और खाली पड़ी संपत्ति को पट्टे पर लेने वालों को बाजार दर से भुगतान करना होगा.


जहां वक्फ के अवैध कब्जे को हटाने के काम की हर तरफ से सराहना हो रही है, वही कारोबार जगत से जुड़े लोग इस बात से नाराज हैं कि दशकों से वक्फ के किरायेदार रहने के बावजूद उनको चोर साबित करने और उनकी आजीविका पर हमला करने की कोशिश हो रही है. 


ज़ुबैर अहमद वक्फ मार्किट एसोसिएशन के एक सदस्य ने कहा, "हम वक्फ के साथ बातचीत कर इस समस्या का हल ढूंढ सकते हैं और अब भी हम वक्फ को 200% की बढ़ोतरी के साथ किराया दे रहे है. लेकिन अगर वक्फ बॉर्ड एकतरफा फैसला करके हम सब को गैरकानूनी कब्जे वाला बोलेगा तो इसका विरोध करेंगे."  


वक्फ हर साल लगभग 25 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाता है, जिसमें से लगभग 10 करोड़ रुपये इसके शिक्षण संस्थानों के प्रबंधन, 1200 कर्मचारियों के वेतन और लगभग 800 गरीब परिवारों को वित्तीय मदद पर खर्च किए जाते हैं. 


जम्मू और कश्मीर सरकार ने पूरे कश्मीर संभाग में 19,888 वक्फ संपत्तियों में से 15,109 की जियोटैगिंग पूरी कर ली है. यह अब तक मौजूदा वक्फ संपत्तियों की लगभग 80% जियोटैगिंग के बराबर है. हालांकि, विभिन्न जिलों में संबंधित राजस्व अधिकारियों ने बताया है कि वक्फ की सूची में शामिल कई संपत्तियों का या तो पता नहीं लगाया जा सका, या विशेष रूप से गांवों में मालिकाना भूमि के रूप में दर्ज किया गया.


जम्मू-कश्मीर में वक्फ संपत्तियों की जियोटैगिंग केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की "कौमी वक्फ बोर्ड तरक्कियाती योजना" का हिस्सा है. परियोजना की समय सीमा अब मार्च 2022 से संशोधित कर नवंबर 2023 कर दी गई है.


औकाफ [वक्फ] का ऐतिहासिक रूप से कश्मीर में परोपकार की एक इस्लामी संस्था की तुलना में एक राजनीतिक संस्था के रूप में अधिक उपयोग किया गया है. दशकों तक, ट्रस्ट नेशनल कांफ्रेंस के शीर्ष नेतृत्व के सीधे नियंत्रण में रहा, जिसके पास कश्मीर में राजनीतिक सत्ता भी थी.


2003 में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और कांग्रेस गठबंधन सरकार ने मुस्लिम औकाफ ट्रस्ट की संपत्तियों पर नियंत्रण कर लिया, इसे जम्मू और कश्मीर मुस्लिम वक्फ बोर्ड का नाम दिया और वक्फ संपत्तियों को कैसे प्रबंधित किया जाना चाहिए, इसके बारे में नए कानून पारित किए. यह व्यवस्था 2019 तक चली, जब केंद्रीय कानून के तहत बोर्ड का पुनर्गठन किया गया.


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