ED File Case Against PFI Member: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शनिवार (19 नवंबर) को दिल्ली की एक कोर्ट में प्रतिबंधित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और उसके तीन सदस्यों के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोप पत्र दाखिल किया गया. आरोप पत्र पर सोमवार (21 नवंबर) को स्पेशल जज शैलेंद्र मलिक की कोर्ट के सामने सुनवाई की संभावना है.


आरोपपत्र में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के अलावा परवेज अहमद, मोहम्मद इलियास और अब्दुल मुकीत को भी आरोपी के तौर पर नामजद किया गया है. प्रवर्तन निदेशालय ने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) नवीन कुमार मट्टा और एडवोकेट मोहम्मद फैजान खान के साथ दिल्ली की अदालत में आरोप पत्र दायर किया. जज देवेंद्र कुमार जांगला ने कहा कि इसकी जांच की जाए और इसे पंजीकृत किया जाए. 21 नवंबर, 2022 को संबंधित अदालत के समक्ष विचार के लिए रखा जाए.


देश और विदेश से संदिग्ध धन जुटाया गया


ईडी की तरफ से चार्जशीट में बताया गया कि आरोपियों ने खुलासा किया है कि उन्होंने PFI की ओर से नकद दान में सक्रिय भूमिका निभाई है और अज्ञात और संदिग्ध स्रोतों के जरिये PFI की बेहिसाब नकदी को बेदाग और वैध बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई है.


ईडी ने ये भी कहा, "PMLA जांच से पता चला है कि पिछले कई वर्षों में PFI के पदाधिकारियों की तरफ से रची गई आपराधिक साजिश के तहत, देश और विदेश से PFI और संबंधित संस्थाओं की तरफ से संदिग्ध धन जुटाया गया है और इसे गुप्त रूप से भेजा गया. भारत में गुप्त तरीके से बैंक खातों में जमा किया गया.


परवेज अहमद का जुर्म


प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले आरोप लगाया था कि परवेज अहमद 2018 से एक आपराधिक साजिश का हिस्सा था. PFI के मददगार से मिले पैसों के लेनदेन फर्जी थे, इसलिए, संदिग्ध स्रोतों से लिए गए पैसे और कुछ नहीं बल्कि अपराध की कमाई थी. ये भी स्पष्ट है कि परवेज़ अहमद ने PMLA 2002 की धारा 50 के तहत अपने बयानों की रिकॉर्डिंग के दौरान जानबूझकर सही तथ्यों का खुलासा नहीं किया और जानबूझकर झूठ बोला और जांच अधिकारी को गुमराह करने की कोशिश की.


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