पंजाब: कैप्टन के बेटे पर ABP की खबर पर मुहर, काली कमाई से जुड़े केस में ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया
आयकर विभाग ने अमरिंदर सिंह और रणइंद्र पर आयकर अधिनियम 1961 की धारा 277 और इंडियन पीनल कोड की धारा 177-181 के तहत लुधियाना कोर्ट में मुकदमा किया है. मामला फॉरेन एक्सचेंज से जुड़ा है इसलिए अब भी ED इस मामले की जांच कर रही है.
चंडीगढ़: पंजाब की सियासत में एबीपी न्यूज़ की एक खबर पर हड़कंप मचा हुआ है. यह खबर आज से दो साल पहले एबीपी न्यूज़ ने आपके सामने रखी थी. एबीपी न्यूज़ की इस खबर पर अब प्रवर्तन निदेशालय की मुहर भी लग गयी है. दरअसल बात पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के बेटे रणइंदर सिंह के स्विस बैंक अकाउंट की है.
इस खाते में करोडों रुपए जमा कराए गए लेकिन किसने और क्यों इसका कोई पता नहीं है. इसी केस में ED ने रणइंद्र को पूछताछ के लिए समन भेजा और पेश होने के लिए कहा है. कल पूरे मामले में ईडी रणइंदर से पूछताछ करेगी. ईडी की तरफ से समन मिलने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे समन मिलते रहते हैं.
वकील और कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने काह कि ईडी के समन मिले हैं. ये एक पुराना मामला है. 2016 में भी ईडी ने चार घंटे पूछताछ की थी. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह राजनीती से प्रभावित केस है.
ईडी से पहले आयकर विभाग भी कर चुका है मामले की जांच ED से पहले आयकर विभाग ने काले धन के इस मामले की जांच की थी. रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि कालेधन का पूरा खेल साल 2005 में शुरू हुआ था, तब अमरिंदर सिंह पंजाब के सीएम थे.
अमरिंदर जब 2007 में सत्ता से हटे तब रणइंद्र की तीन विदेश कंपनियों के खाते में 31 करोड़ रुपये थे. आज रुपये के मुकाबले डॉलर की जो कीमत है उसके हिसाब से ये रकम बढ़कर 41 करोड़ हो चुकी है. ED अब ये जानना चाहता है कि इतना पैसा रणइंद्र के खाते में कहां से आया.
इस पूरी कमाई का नेटवर्क समझिए जुलाई 2005 में स्विट्जरलैंड के HSBC बैंक में रणइंद्र का खाता खुला, लंदन और दुबई में निवेश के लिए जकरांदा ट्रस्ट बना. फिर ट्रस्ट ने ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में चार कंपनियों का अधिग्रहण किया, ये कंपनियां मुलवाला होल्डिंग लिमिटेड, ऑलवर्थ वेनचर चिलिंहघम होल्डिंग लिमिटेड और लाइमरलॉक इंटरनेशनल लिमिटेड थीं.
ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में ये ट्रस्ट 22 जुलाई 2005 को सेटल हुआ. ट्रस्ट में लाभपात्री रणइंद्र और उनकी संतान के अलावा अमरिंदर सिंह और उनकी पत्नी पूर्व विदेश राज्य मंत्री परणीत कौर थे. इस ट्रस्ट में अन्य लाभपात्री वही शख्स बन सकता था जिसे ट्रस्टी बनाना चाहे.
मनमोहन सरकार में हुआ था पूरे मामले का खुलासा कैप्टन परिवार के इस कालेधन के खेल का पर्दाफाश मनमोहन सरकार के दौरान ही हुआ था. उस वक्त फ्रांस सरकार ने सेंट्रल बोर्जड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेशन को एक गोपनीय रिपोर्ट सौंपी थी. इसके बाद एजेंसियों ने अमरिंदर और उनके बेटे से सफाई मांगी लेकिन दोनों ने आरोपों से इनकार कर दिया.
कालाधन छुपाने के लिए कैप्टन परिवार ने चली चाल! आयकर विभाग की ही रिपोर्ट के मुताबिक कालेधन को छुपाने के लिए अमरिंदर परिवार ने एक और चाल चली. रिपोर्ट के मुताबिक 27 जून 2013 में रणइंद्र ने जकरांदा ट्रस्ट का सारा पैसा और प्रॉपर्टी न्यूजीलैंड के 'द फैंगीपानी ट्रस्ट' को ट्रांसफर कर दिया. 'द फैंगीपानी ट्रस्ट' रणइंद्र की साली दीप्ती ढींगरा का है जिनके पास ब्रटिश नागरिकता है, ये ट्रस्ट साल 2012 में बना था. मतलब ये कि पैसे कहीं जब्त ना हो जाए, इसलिए समय रहते ही पैसा सुरक्षित कर लिया गया.
इन दस्तावेजों पर रणइंद्र का नाम, पता, जन्म स्थान और दस्तखत हैं. लेकिन रणइंद्र ये मानने को तैयार नहीं थे कि विदेशी खाते और ट्रस्ट डीड उनके हैं. क्योंकि ऐसा करने पर काली कमाई का ब्यौरा देना होता. उनके पिता के लिए भी राजनीतिक संकट खड़ा होता. क्योंकि जांच कांग्रेस राज में जो हुई थी.
पैसों के इस लेन-देन पर आयकर विभाग ने अमरिंदर सिंह और रणइंद्र पर आयकर अधिनियम 1961 की धारा 277 और इंडियन पीनल कोड की धारा 177-181 के तहत लुधियाना कोर्ट में मुकदमा किया है. मामला फॉरेन एक्सचेंज से जुड़ा है इसलिए अब भी ED इस मामले की जांच कर रही है.
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