Terror Funding Case: दिल्ली हाईकोर्ट में जम्मू-कश्मीर से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद की जमानत याचिका का जांच एजेंसी NIA ने कड़ा विरोध किया. NIA ने कोर्ट में दलील दी कि राशिद को अपने सांसद होने का फायदा उठाकर जेल से रिहाई का अधिकार नहीं दिया जा सकता. दरअसल इंजीनियर राशिद ने संसद सत्रों में भाग लेने के लिए अंतरिम हिरासत पैरोल की मांग की थी.


NIA ने कहा कि बारामुला से निर्वाचित सांसद राशिद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गंभीर आरोप हैं, इसलिए उनकी निरंतर हिरासत पूरी तरह उचित है. जांच एजेंसी ने स्पष्ट किया कि कानूनी हिरासत में रहते हुए राशिद को संसद सत्र में भाग लेने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें अंतरिम जमानत या हिरासत पैरोल देना कानूनन उचित नहीं होगा.


NIA ने जमानत याचिका को बताया कानून का दुरुपयोग


दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान NIA ने आरोप लगाया कि राशिद "फोरम शॉपिंग" कर रहे हैं और कानूनी प्रक्रिया का गलत इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहे हैं. एजेंसी ने कहा कि उनका अपने निर्वाचन क्षेत्र की सेवा करने का दावा अस्पष्ट है और इस आधार पर कोई राहत नहीं दी जा सकती. NIA ने ये भी तर्क दिया कि संसद सदस्य होने से किसी व्यक्ति को न्यायिक हिरासत से छूट नहीं मिलती. जांच एजेंसी ने अदालत में स्पष्ट किया कि निर्वाचित प्रतिनिधि होने का हवाला देकर अस्थायी रिहाई का दावा नहीं किया जा सकता.


UAPA धारा 43D(5) के तहत याचिका खारिज करने की मांग


NIA ने राशिद को एक बेहद प्रभावशाली व्यक्ति बताया और कहा कि उनकी रिहाई से जम्मू-कश्मीर में गवाहों को प्रभावित करने की संभावना है. एजेंसी ने UAPA की धारा 43D(5) का हवाला देते हुए तर्क दिया कि यदि आरोप prima facie (प्रथम दृष्टया) सही प्रतीत होते हैं तो जमानत नहीं दी जा सकती. NIA ने कहा कि राशिद की याचिका इस धारा के तहत आवश्यक दोनों शर्तों को पूरा नहीं करती इसलिए इसे खारिज किया जाना चाहिए.


जांच एजेंसी ने ये भी स्पष्ट किया कि हिरासत पैरोल का अर्थ यह नहीं होता कि आरोपी को पूरी स्वतंत्रता मिल जाएगी बल्कि यह सशस्त्र पुलिसकर्मियों की निगरानी में निर्धारित जगह पर ले जाने तक सीमित होता है.


टेरर फंडिंग मामले में जेल में बंद हैं इंजीनियर राशिद


इंजीनियर राशिद ने 2024 लोकसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को हराकर चौंकाने वाली जीत दर्ज की थी. हालांकि वह फिलहाल आतंकवाद वित्तपोषण (टेरर फंडिंग) मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं. उन पर जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी समूहों और आतंकवादी संगठनों को फंड मुहैया कराने का आरोप है. 2019 से राशिद तिहाड़ जेल में बंद हैं. उन्हें 2017 में दर्ज एक आतंकवाद वित्तपोषण मामले में NIA ने गिरफ्तार किया था.


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