Engineer's Day: आज है ‘भारतरत्न’ डॉ विश्वेश्वरैया का जन्मदिन, जानें इनके बारे में सबकुछ
डॉ विश्वेश्वरैया साल 1912 से 1918 तक मैसूर के 19वें दीवान थे.विश्वेश्वरैया को मांड्या ज़िले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य स्तंभ माना जाता है.साल 1955 में इन्हें भारत रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.
नई दिल्ली: डॉ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या का आज जन्मदिन है. डॉ विश्वेश्वरय्या भारत के महान इंजीनियर थे. इसलिए आज 15 सितंबर को उनके जन्मदिन के मौके पर इंजीनियर्स डे मनाया जाता है. विश्वेश्वरैया का जन्म मैसूर में 1861 को हुआ था. विश्वेश्वरैया भारतीय सिविल इंजीनियर, विद्वान और राजनेता थे. साल 1955 में इन्हें भारत रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.
डॉ विश्वेश्वरैया ने अपनी शुरुआती पढ़ाई चिकबल्लापुर में की थी. इसके के बाद वो बैंगलोर चले गए, जहां से उन्होंने 1881 में बीए डिग्री हासिल की. इसके बाद पुणे में उन्होंने कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग में पढ़ाई की.
1918 तक मैसूर के 19वें दीवान थे डॉ विश्वेश्वरैया
डॉ विश्वेश्वरैया साल 1912 से 1918 तक मैसूर के 19वें दीवान थे. डॉ विश्वेश्वरैया को मांड्या ज़िले में बने कृष्णराज सागर बांध के निर्माण का मुख्य स्तंभ माना जाता है. अपने कौशल से उन्होंने हैदराबाद शहर को बाढ़ से बचाने का सिस्टम भी मनाया था. अंग्रेज भी उनकी इंजीनियरिंग का लोहा मानते थे.
विश्वेश्वरैया से जुड़ा है रेल यात्रा का ये दिलचस्प किस्सा
एक बार डॉ विश्वेश्वरैया ब्रिटिश भारत में एक रेलगाड़ी से यात्रा कर रहे थे. इस रेल में ज़्यादातर अंग्रेज़ सवार थे. अंग्रेज़ उन्हें मूर्ख और अनपढ़ समझकर मज़ाक उड़ा रहे थे. इस दौरान डॉ विश्वेश्वरैया ने अचानक रेल की जंज़ीर खींच दी. थोड़ी देर में गार्ड आया और सवाल किया कि जंज़ीर किसने खींची?
तब डॉ विश्वेश्वरैया ने कहा कि जंजीर मैंने खीचीं है, क्योंकि मेरा अंदाजा है कि यहां से लगभग कुछ दूरी पर रेल की पटरी उखड़ी हुई है. इसपर गार्ड ने पूछा कि आपको कैसे पता चला? तब विश्वेश्वरैया ने कहा कि'गाड़ी की स्वाभाविक गति में अंतर आया है और आवाज़ से मुझे खतरे का आभास हो रहा है. इसके बाद पटरी की जांच हुई तो पता चला कि एक जगह से रेल की पटरी के जोड़ खुले हुए हैं और सब नट-बोल्ट खुले हुए हैं.
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