भारत दौरे पर आई इंग्लैंड की क्रिकेट टीम के इस कदम से चीन को लगेगी मिर्ची
इंग्लैंड की क्रिकेट टीम और मैनेजमेंट ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा के आवास पर उनसे मुलाकात की. इंग्लैंड और भारत के बीच 5वां टेस्ट 7 मार्च से धर्मशाला में ही खेला जाना है.
England Cricket players met Dalai Lama: इंग्लैंड की क्रिकेट टीम इन दिनों भारत दौरे पर है. भारत दौरे के इंग्लैंड के खिलाड़ियों ने ऐसा कदम उठाया, जिससे चीन को मिर्ची लगना तय है. दरअसल, इंग्लैंड टीम के खिलाड़ियों ने तिब्बत के धर्मगुरु दलाई लामा से मुलाकात की. इस दौरान इंग्लैंड की क्रिकेट मैनेजमेंट टीम के सदस्य भी साथ रहे. इतना ही नहीं इंग्लैंड क्रिकेट टीम के ट्विटर हैंडल से इस मुलाकात की तस्वीरें भी शेयर की हैं.
इंग्लैंड की क्रिकेट टीम और मैनेजमेंट ने हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में दलाई लामा के आवास पर उनसे मुलाकात की. इंग्लैंड और भारत के बीच 5वां टेस्ट 7 मार्च से धर्मशाला में ही खेला जाना है. ऐसे में इंग्लैंड की टीम ने धर्मशाला पहुंचकर दलाई लामा से मुलाकात की.
England Cricket players and management met Tibetan spiritual leader Dalai Lama at his residence in Mcleodganj, Dharamshala in Himachal Pradesh.
— ANI (@ANI) March 6, 2024
(Pic: England Cricket 'X' handle) pic.twitter.com/8B45qdZCka
दलाई लामा से क्यों चिढ़ता है चीन?
दरअसल, तिब्बती धर्म गुरु दलाई लामा ऐसे व्यक्ति हैं, जिनका नाम चीन का ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए काफी हैं. दलाई लामा ने मार्च 1959 से भारत की शरण ले रखी है. दलाई लामा को भारत में शरण दिए जाने का चीन कड़ा विरोध करता आया है.
चीन ने 1959 में तिब्बत पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद दलाई लामा को भारत आना पड़ा था. तब से वे भारत में रह रहे हैं. चीन की दलाई लामा से चिढ़न इस कदर है कि वे जिस देश की यात्रा पर जाते हैं, चीन वहां की सरकारों से आपत्ति जताने लगता है. चीन तिब्बत को अपना हिस्सा बताता है. दलाई लामा इसके खिलाफ हैं, यही वजह है कि चीन दलाई लामा को अलगाववादी मानता है.
दलाई लामा की क्या मांग है?
दलाई लामा तिब्बत की आजादी और शांति की अपील करते रहे हैं. उन्होंने 2003 में तवांग को तिब्बत का हिस्सा करार दिया था. 2008 में उन्होंने इसे सुधारते हुए मैकमोहन रेखा पहचाना. इसके बाद उन्होंने तवांग को भारत का हिस्सा करार दे दिया. दलाई लामा को भारत की शरण मिलना चीन को अच्छा नहीं लगा. इसके बाद से चीन के शासन और दलाई लामा के बीच तनाव बढ़ता चला गया. वे अभी भी हिमाचल प्रदेश में निर्वासन की जिंदगी जी रहे हैं.