बिहार: श्रमिक पंजीकरण पोर्टल के जरिए श्रमिकों का होगा नामांकन, स्किल के आधार पर सभी को मिलेगा काम
कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण लाखों की संख्या में मजदूर वापस बिहार में पहुंचे हैं. राज्य सरकार के सामने उन्हें रोजगार देने की चुनौती सबसे बड़ी है.
पटनाः बिहार श्रम संसाधन विभाग ने प्रवासियों के लिए रोज़गार सृजन की क़वायद शुरू कर दी है. एबीपी न्यूज़ ने बिहार के श्रम मंत्री से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि सरकार ने श्रमिकों के लिए तैयारियां पूरी कर ली हैं. इनका कहना है कि लगातार स्किल मैपिंग का काम चल रहा है.
आपदा में मिला सरकार को सबक
एबीपी न्यूज़ से अपनी बातचीत में श्रम मंत्री ने कहा कि इस बार बहुत कुछ सीखने को मिला है. जो प्रवासी बिहार आए हैं उनमें सभी अनस्किल्ड नहीं है. वैसे श्रमिक भी आयें हैं जिनमें सुपरवाइज़र भी हैं और क्लर्क भी, सबकी मैपिंग होगी. इस बार चूंकि आपदा आयी है इसलिए सबक़ लेने की ज़रूरत है.
मोबाइल ऐप के ज़रिए की जाएगी स्किल मैपिंग
बिहार श्रमिक पंजीकरण पोर्टल के ज़रिए श्रमिकों का नाम-पता पूछे जाने के बाद उनके कइ तरह के सवाल किए जाएंगे. जिसमें उनके पूछा जाएगा कि बाहर अकेले गए थे या परिवार के साथ. बिहार के बाहर किस तरह का काम करते थे. जिस काम को करते थे उसमें कितने दिनों का अनुभव था. किस तरह का काम करते थे. निर्माण कामगार थे या खेतों में काम करते थे.
उदाहरण के लिए अगर बाहर कोई बतौर कम्प्यूटर ऑपरेटर, फ़ोरमैन, फ़ैक्टरी मज़दूर, ईंट भट्टा में काम करने वाले, मैन्युफ़ैक्चरर काम करते हैं तो उन्हें उसी काम के आधार पर काम दिया जाएगा. इसके अलावा उनसे ऐप के ज़रिए ये ज़रूर पूछा जाएगा कि वो बिहार में आगे काम करना चाहते हैं या नहीं.
शिविर लगाकर की जाएगी व्यवस्था
बता दें कि श्रम मंत्री से सवाल पूछे जाने पर कि जो ऑनलाइन ये सुविधा नहीं ले सकते उनके लिए क्या होगा इस पर जवाब देते हुए कहा कि प्रखंड स्तर पर और ज़िलास्तर पर अधिकारियों को उनका पंजीकरण कराने के लिए निर्देश दिए गए हैं. जो ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सकते उनके लिए शिविर लगाया जाएगा ताकि वो काम कर सकें. उनका कहना है कि अभी तक 19 लाख कामगारों का पंजीकरण किया जा चुका है.
श्रम मंत्री के अनुसार लेबरऐक्ट में प्रावधान लाए जाने के लिए केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी गई है. जिससे ऐसा प्रावधान लाया जाएगा जिसमें कोई भी कामगार अगर दूसरे राज्य जाता है उसे वही सुविधा मिले जो वहां के रहने वाले कामगारों को मिलती है. ऐप के ज़रिए का स्थायी रूप से काम मिले इसके लिए योजना है. ऐसा नहीं है की अभी मजदूरों को काम नहीं मिल रहा है. जल जीवन हरियाली, मनरेगा जैसे स्कीम के तहत उन्हें काम मिल रहा है.
पहले बिहार में रहने वाले मजदूर, प्रवासियों का नम्बर बाद में
श्रम मंत्री का कहना है कि जो पहले से यहां काम कर रहें हैं उनका काम छीना नहीं जाएगा. इसके साथ प्रवासी मजदूरों को भी काम मिलेगा. बिहारी प्रवासी के वापस आने से कई जगह लघु कुटीर बंद पड़े हैं. हमने उन्हें बिहार आमंत्रित किया है ताकि यहीं काम कर सके हमारे कुशल श्रमिक. गौरतलब है कि अबतक ट्रेन से बिहार पहुंचे श्रमिकों की कुल संख्या 21,68,784 है. जबकि इसके अलावा बड़ी संख्या में अन्य साधन से भी लोग बिहार पहुंचे हैं. कुछ दिनों पहले तक हमने तस्वीरें देखी थी कि किस तरह अलग-अलग राज्यों से श्रमिक पैदल ही अपने राज्य के निकल पड़े थे. ऐसे में उन श्रमिकों के लिए सरकार को व्यवस्था करना ही बड़ी चुनौती हो सकती है.
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