कोरोना महामारी ने सिखाया सबकः असंगठित क्षेत्र के माइग्रेंट लेबर्स का नेशनल डेटाबेस तैयार कर रही सरकार
असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस उनके 12-अंकीय आधार संख्या का इस्तेमाल करके श्रमिकों के डेटाबेस को मेन्टेन करेगा. इतना ही नहीं डेटाबेस प्रवासी मजदूरों सहित सभी असंगठित मजदूरों को एनरोल करेगा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने, व अन्य लाभ देने में सरकार की सहायता करेगा.
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सरकार ने असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का डेटाबेस बनाने पर काम शुरू कर दिया है. इसी कारण श्रम और रोजगार मंत्रालय ने असंगठित क्षेत्र में प्रवासी श्रमिकों और अन्य लोगों के लिए एक नया डेटाबेस बनाने के लिए अन्य मंत्रालयों से मदद मांगी है. इसके अगले साल मई जून में पूरा होने की उम्मीद है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए श्रम सचिव ने बताया कि सरकार, प्रवासी श्रमिकों के लिए एक अनूठे रजिस्ट्रेशन के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के डेटा के साथ-साथ महात्मा राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना और वन नेशन, वन राशन कार्ड जैसी योजनाओं के मौजूदा डेटाबेस में टैप करेगी.
गौरतलब है कि चूंकि कई डेटाबेस का इस्तेमाल किया जाएगा, इसलिए आधार डेटा का उपयोग करने वाली एक डी-डुप्लीकेशन प्रैक्टिस नए पोर्टल के लिए रजिस्ट्रेशन से पहले की जाएगी. इसे राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) विकसित कर रहा है.
खास उद्देश्यों के लिए लेना चाहते हैं मंत्रालयों के डेटाबेस
उन्होंने बताया कि प्लेटफ़ॉर्म कामगारों और अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की डिटेल्स भी अलग से इस डेटाबेस में जोड़ी जाएगी और इसके लिए मंजूरी मिल गई है और हमने एनआईसी के साथ दो-तीन बैठकें भी की हैं, जोकि पोर्टल को बना रही है. अब इसके लिए फंड उपलब्ध हैं. हम संबंधित मंत्रालयों के साथ बातचीत कर रहे हैं.चंद्रा ने कहा कि, सबसे पहले, हम कुछ खास उद्देश्यों के लिए कुछ मंत्रालयों का डेटाबेस लेना चाहते हैं. उदाहरण के लिए, नरेगा, वन नेशन, वन राशन के डेटाबेस हम लेना चाहते हैं. इसके बाद सॉफ़्टवेयर की तैयारी की जाएगी. उन्होंने कहा कि एनआईसी ने पोर्टल पर काम पूरा करने के लिए छह महीने की अवधि का अनुमान लगाया है.
प्रवासी श्रमिकों के लिए बनेगा ऑनलाइन पोर्टल
श्रम सचिव ने बताया कि, प्रवासी और अन्य असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए एक व्यापक डेटाबेस कोविड -19 महामारी के मद्देनजर बेहद जरूरी है. सरकार ने बीमारी के प्रकोप और लॉकडाउन के बाद बड़े स्तर पर प्रवास के बाद प्रवासी श्रमिकों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने की घोषणा की थी. चंद्रा ने कहा कि सरकार का अनुमान है कि 20-25 करोड़ असंगठित श्रमिकों को अगले चार या पांच साल में पोर्टल से जोड़ दिया जाएगा. “नरेगा” के तहत लगभग 8-10 करोड़ श्रमिक पंजीकृत हैं.लगभग 10-15 लाख गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर होंगे.
वहीं वन नेशन, वन राशन कार्ड एक बड़ा डेटाबेस है, इसके अंतर्गत लगभग 30-35 करोड़ लोग आते हैं. लेकिन नरेगा और वन नेशन, वन राशन के बीच बहुत कुछ सामान्य होगा. वहीं उन्होंने कहा कि आम आधार-लिंक्ड डेटाबेस भी सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के तहत असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा उपायों को शुरू करने की दिशा में पहला कदम होगा.
परियोजना पर खर्च होंगे 650 करोड़ रुपये
बता दें कि श्रम सचिव ने यह भी कहा है कि असंगठित श्रमिकों का राष्ट्रीय डेटाबेस उनके 12-अंकीय आधार संख्या का इस्तेमाल करके श्रमिकों के डेटाबेस को मेन्टेन करेगा. इतना ही नहीं डेटाबेस प्रवासी मजदूरों सहित सभी असंगठित मजदूरों को एनरोल करेगा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने, रोजगार मुहैया कराने और असंगठित मजदूरों को आसानी से अन्य लाभ देने में सरकार की सहायता करेगा. इस परियोजना पर कुल लागत 650 करोड़ रुपये होने की उम्मीद जताई जा रही है.
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