नई दिल्ली: अब देश की हर घड़ी एक ही समय दिखायगी. देश में एक छोर से दूसरे छोर के बीच फिलहाल 17 सेकेंड का अंतर होता है जो ख़त्म हो जाएगा. ऐसा मोदी सरकार के एक नए कदम से संभव होगा. सरकार का दावा है कि इस कदम से उपभोक्ताओं को तो फायदा होगा ही आगे चलकर इसका सामरिक महत्व भी होने वाला है. उपभोक्ता मंत्रालय ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. अब देश में हमें और आपको अपनी घड़ी में समय मिलाने के लिए किसी और देश की तरफ देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी.


भारत में समय मापने के लिए अभी क्या व्यवस्था है और नये व्यवस्था की जरूरत क्योें है?


वजन और माप की गुणवत्ता के लिए भारत के पास अंतर्राष्ट्रीय स्तर के उपकरण हैं लेकिन समय मापने के लिए ऐसा नहीं है. देश में समय मापने के लिए दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (National Physical Laboratory) में लगा एटॉमिक वॉच ही एक पैमाना है. केवल एक एटॉमिक वॉच होने के चलते भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में एकसमान और बिल्कुल सटीक समय माप पाना संभव नहीं हो पाता है.


ऐसे में भारत में काम कर रहे तमाम व्यवसायिक संस्थान, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स और मोबाइल कंपनियों को अमेरिका स्थित संस्थान, नेशनल इंस्टिच्युट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (National Institute of Science & Technology) की सेवाओं के सहारे रहना पड़ता है. इस सेवा के बदले कंपनियों को इस संस्थान को भारी भरकम किराया भी देना पड़ता है. इसका परिणाम ये भी है कि भारत में एक छोर से दूसरे छोर के बीच क़रीब 17 सेकेंड का अंतर पाया जाता है. इसी कमी को पाटने के लिए सरकार ने अब राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला की पांच क्षेत्रीय प्रयोगशालाओं में एटॉमिक वॉच लगाने का फैसला लिया है. बंगलुरू, फरीदाबाद, गुवाहाटी, अहमदाबाद और भुवनेश्वर में ऐसे एटॉमिक वॉच लगाने के बाद इन्हें वाराणसी और नागपुर में भी लगाया जा रहा है.


अब चूंकि देश के अलग अलग हिस्सों में लगे एटॉमिक वॉच हमें समय बताएंगे, लिहाज़ा समय ज़्यादा सटीक और सही हो सकेंगे. सूत्रों के मुताबिक ये सेकेंड के बीसवें हिस्से तक सटीक समय दे सकेंगे. ये सभी एटॉमिक वॉच भारत द्वारा अंतरिक्ष में छोड़े गए छह उपग्रहों की मदद से काम करेंगे.


लिहाजा आप जब अगली बार अपनी घड़ी का समय अपने मोबाइल या इंटरनेट से मिलाएंगे तो इस बात की संभावना होगी कि वो समय पहले से ज़्यादा सटीक और दूसरे छोर पर बैठे व्यक्ति के समान ही होगा. ऐसा करने वाला भारत दुनिया का सातवां देश बन जाएगा. फ़िलहाल अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी, रूस और जापान में ही ये तकनीक लागू है.


मोबाइल बिल में कमी में दिख सकता है


सरकार के मुताबिक़ इस कदम का फायदा लोगों को उन सभी क्षेत्रों में मिलेगा जो किसी न किसी रूप में समय से जुड़े हों. वो चाहे मोबाइल हो, कंप्यूटर हो, बैंकिंग क्षेत्र हो या फिर रेलवे हो. उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव अविनाश श्रीवास्तव के मुताबिक, ''सबसे त्वरित फ़ायदा तो हमारे और आपके मोबाइल बिल में कमी में दिख सकता है. देश की मोबाइल कंपनियों को अमरिका स्थित संस्थान को किराया देना पड़ता है. नयी व्यवस्था लागू होने के बाद इन कंपनियों को काफ़ी सस्ता या न के बराबर किराया देना पड़ेगा.'' बजट में इस योजना के लिए फ़िलहाल 100 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं और सूत्रों के मुताबिक अगले दो सालों के भीतर नयी व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी.