EVM और गोपीनाथ मुंडे की मौत पर कथित हैकर के दावों से सनसनी, जेटली बोले- बकवास
EVM hacking: चुनाव आयोग ने कहा कि वह ईवीएम में कोई गड़बड़ी संभव नहीं है और वह इस बात पर विचार कर रहा है कि मामले में क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और क्या कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये.
लंदन: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जिन्न ने एक बार फिर सत्तापक्ष और विपक्ष को आमने-सामने ला दिया है. इस बार ईवीएम हैकिंग के दावे लंदन से एक कथित हैकर सैयद शुजा ने किए. इस मौके पर कांग्रेस के नेता वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल भी व्यक्तिगत तौर पर मौजूद थे. अमेरिका में राजनीतिक शरण चाह रहे एक कथित हैकर ने कहा कि भारत में 2014 के आम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये ‘धांधली’ हुई थी.
यही नहीं कथित हैकर ने दावा किया कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और तत्कालीन केंद्रीय मंत्री गोपीनाथ मुंडे की ‘हत्या’ की गई थी क्योंकि उन्हें 2014 के आम चुनावों में ईवीएम को हैक किये जाने के बारे में जानकारी थी. मुंडे की मई 2014 में नई दिल्ली में सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी. शुजा ने यह भी दावा किया कि मुंडे की मौत की जांच कर रहे एनआईए अधिकारी तंजील अहमद इस बात का पता लगने के बाद हत्या का मामला दर्ज करने की योजना बना रहे थे, लेकिन उन्हीं की हत्या हो गई.
ईवीएम में धांधली के आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज किया है और दावा करने वाले कथित हैकर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही है. वहीं इस मसले पर एक बार फिर एक तरफ बीजेपी तो दूसरी विपक्ष है.
कथित हैकर्स के दावे स्काइप के जरिये लंदन में प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए सैयद शुजा ने दावा किया कि अपनी टीम के कुछ सदस्यों के मारे जाने के बाद वह भारत से भाग गए क्योंकि उन्हें देश में अपनी जान को खतरा था. इसलिए वह स्काइप के जरिये स्क्रीन पर सामने आए लेकिन उनका चेहरा ढंका हुआ था.
शुजा ने दावा किया कि टेलीकॉम क्षेत्र की बड़ी कंपनी रिलायंस जियो ने कम फ्रीक्वेंसी के सिग्नल पाने में बीजेपी की मदद की थी ताकि ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सके. हालांकि, उन्होंने अपने दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिया. हालांकि, जियो का 2014 में कोई अस्तित्व नहीं था और उसकी सेवाएं सितंबर 2016 में शुरू हुई थीं.
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शुजा ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि बीजेपी के अलावा एसपी, बीएसपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस भी ईवीएम के जरिये धांधली में शामिल है. उन्हें ‘इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (यूरोप)’ के तत्वावधान में संवाददाता सम्मेलन में बुलाया गया था.
शुजा ने बताया कि बीजेपी राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में चुनाव जीत जाती अगर उनकी टीम ने इन तीनों राज्यों में ट्रांसमिशन हैक करने की बीजेपी की कोशिश को पकड़ नहीं लिया होता.
लंदन में शुजा ने दावा किया कि उन्होंने 2009-14 तक ईसीआईएल में काम किया. उन्होंने दावा किया कि वह उस टीम का हिस्सा थे जिसने 2014 के चुनाव में इस्तेमाल हुए ईवीएम को डिजाइन किया था. उन्होंने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को ईसीआईएल ने इस बात का पता लगाने के लिये निर्देश दिया था कि क्या ईवीएम को हैक किया जा सकता है और इसे कैसे किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘‘2014 के आम चुनावों में धांधली हुई थी.’’ बीजेपी नीत एनडीए 2014 के चुनाव में कांग्रेस नीत यूपीए को हराकर केंद्र की सत्ता में आया था. शुजा ने यह भी आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और दिल्ली चुनाव दौरान भी नतीजों में धांधली हुई. स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ ने आरोप लगाया था कि बीजेपी ने मोड्यूलेटर का इस्तेमाल करके ईवीएम को हैक किया था. ये मोड्यूलेटर मिलिट्री ग्रेड फ्रीक्वेंसी को ट्रांसमिट करते हैं.
उन्होंने दावा किया, ‘‘दिल्ली में 2015 के विधानसभा चुनाव में हम ट्रांसमिशन को टैप करने में सफल रहे जिससे आप 70 में से 67 सीटों पर जीत गई. अन्यथा बीजेपी की जीत होती.’’ शुजा ने कहा कि उनकी टीम के कुछ सदस्यों की हत्या कर दी गई और उनपर भी कथित तौर पर हमला हुआ था, लेकिन वह बच गए. उन्होंने कहा कि वह एक जाने-माने भारतीय पत्रकार से मिले थे और ईवीएम में कथित धांधली के बारे में पूरी कहानी उन्हें बताई थी. चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों को संवाददाता सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था लेकिन सिर्फ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल आए.
चुनाव आयोग ने क्या कहा? चुनाव आयोग ने कहा कि वह ईवीएम में कोई गड़बड़ी संभव नहीं है और वह इस बात पर विचार कर रहा है कि मामले में क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और क्या कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिये.
चुनाव आयोग ने कहा, ‘‘इस दुर्भावना से प्रेरित बहस का हिस्सा बनने को लेकर सावधान है और वह भारतीय चुनावों में इस्तेमाल होने वाले ईसीआई के ईवीएम की पुख्ता प्रकृति के अनुभवजनित तथ्यों के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ा है.’’
आयोग ने एक बार फिर से दोहराया कि उसके द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) बेहद कड़ी निगरानी और सुरक्षा दशाओं में करते हैं.
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आयोग ने कहा कि 2010 में गठित जाने-माने तकनीकी विशेषज्ञों की समिति की निगरानी में सभी चरणों में कठोर मानक संचालन प्रक्रियाओं के पालन पर बारीक नजर रखी जाती है. शुजा ने दावा किया कि वह ईसीआईएल में एक टीम का हिस्सा थे.
बीजेपी ने दावों को खारिज किया सत्ताधारी बीजेपी ने भी हैकर के आरोपों को खारिज किया है और कहा कि कांग्रेस की मूर्खता संक्रामक होती जा रही है. वित्ती मंत्री अरूण जेटली ने आरोपों पर ट्वीट कर कहा, ‘‘क्या चुनाव आयोग और ईवीएम के निर्माण, प्रोगामिंग तथा चुनाव कराने में शामिल लाखों कर्मचारियों की बीजेपी के साथ साठगांठ थी - यह पूरी तरह से बकवास है.’’
उन्होंने कहा कि क्या कांग्रेस को लगता है कि लोग इतनी आसानी से धोखा खाने वाले हैं कि वे किसी भी कूड़े को निगल लेंगे? कांग्रेस पार्टी में मूर्खता संक्रामक होती जा रही है. वहीं दावे को ‘गंभीर’ करार देते हुए कांग्रेस ने कहा कि इससे जुड़े तथ्यों की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
कांग्रेस बोली-जांच हो कांग्रेस ने यह भी कहा कि ईवीएम से जुड़े ‘संदेह’ को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग आगामी लोकसभा चुनाव में 50 फीसदी वीवीपैट का मिलान सुनिश्चित करे. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं स्पष्ट कर दूं कि कांग्रेस का इससे (लंदन के आयोजन) कोई सरोकार नहीं है. कपिल सिब्बल ने खुद कहा है कि वहां वह कांग्रेस का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहे हैं. भाजपा की शुरू ये ही रुख रहा है कि संदेश देने वाले को निशाना बनाया जाए ताकि संदेश को गुम कर दिया जाए.’’
आम आदमी पार्टी ने भी हैकिंग के आरोपों को खारिज किया है. पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि आप यह प्रदर्शित करने के लिये ‘कई लोगों’ के संपर्क में थी कि ईवीएम को हैक किया जा सकता है लेकिन शुजा उनमें नहीं था. कई राजनीतिक दलों ने आरोप लगाया है कि ईवीएम में छेड़छाड़ की जा सकती है और फिर से मतपत्र के जरिये चुनाव कराने की मांग की है.
लंदन में शुजा के संवाददाता सम्मेलन करने के तुरंत बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि विपक्ष शुजा द्वारा किये गए दावों को चुनाव आयोग के समक्ष उठाएगा. ममता ने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘हमारे महान लोकतंत्र की रक्षा की जानी चाहिये. आपका हर वोट बहुमूल्य है. सभी विपक्षी पार्टियों ने संयुक्त विपक्ष की रैली के बाद ईवीएम के मुद्दे पर चर्चा की थी. हम करीब से साथ मिलकर काम कर रहे हैं और 19 जनवरी को ही चुनाव आयोग के समक्ष मामले को निरंतर उठाने का फैसला किया था. हां, हर वोट का महत्व है.’’