नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आज आम आदमी पार्टी ने वोटिंग मशीन में छेड़छाड़ का डेमो दिखाया. आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने डेमो करके दिखाया कि कैसे सीक्रेट कोड से ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है. सौरभ ने डेमो में दिखाया कि कैसे सीक्रेट कोड की मदद से आम आदमी पार्टी को जाने वाले वोट बीजेपी को चले जाते हैं और बिना वोट मिले भी बीजेपी चुनाव जीत जाती है.


चुनाव आयोग ने खारिज किए आरोप
आम आदमी पार्टी के आरोपों को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया. चुनाव आयोग ने कहा कि जो ईवीएम विधानसभा में दिखाई गई उसका इस्तेमाल नहीं करता. दिल्ली विधानसभा में ईवीएम जैसी मशीन का इस्तेमाल हुआ ना कि ईवीएम का. चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि ईवीएम जैसी दिखने वाली मशीन पर कोई जादू दिखा सकता है.


जानें और क्या कहा चुनाव आयोग ने ?




  • आम आदमी पार्टी के डेमो में इस्तेमाल ईवीएम दरअसल ईसीआई है. चुनाव में उपयोग होने वाला ईवीएम नहीं है.

  • ईवीएम में किसी कोड का नहीं होता इस्तेमाल

  • विधानसभा में हुए डेमो में पहले से प्रोग्राम किए गए ईवीएम का इस्तेमाल हुआ

  • ईवीएम के बैलेट यूनिट का बटन एक बार दबाने के बाद, बाकी बटन ब्लॉक हो जाते हैं.

  • कंट्रोल यूनिट से ही अगले वोट के लिए फ्री होता है.

  • ईवीएम के मदरबोर्ड को आम आदमी नहीं खोल सकता जो दावा किया गया है, सिर्फ प्रशिक्षित तकनीशियन ही खोल सकता है.


ईवीएम पर उठ रहे सवालों पर चुनाव आयोग लगातार जवाब देता रहा है


सवाल- क्या ईवीएम मशीनों को हैक किया जा सकता है ?
जवाब- नहीं, 2006 से लेकर अब तक जो भी मशीनें बनायी गयी हैं उन्हें हैक नहीं किया जा सकता. मशीनें कंप्यूटर या इंटरनेट से नहीं जुड़ी होती इसलिए रिमोट से भी हैकिंग मुमकिन नहीं है. ईवीएम में वायरलेस डाटा के लिए डिकोडर नहीं है इसलिए दूसरे उपकरणों से नहीं जोड़ा जा सकता.


सवाल- क्या ईवीएम बनाने वाले इसमें छेड़छाड़ कर सकते हैं ?
जवाब- मशीनों को 2006 से लेकर अलग-अलग साल में बनाकर कई राज्यों में भेजा गया. मशीन बनाने वाली कंपनियां सालों पहले निर्वाचन क्षेत्र, उम्मीदवारों और मत पत्र पर उनके नंबर के बारे में नहीं जान सकतीं.


सवाल- क्या मशीन के चिप में ट्रोजन हॉर्स (हानिकार कंप्यूटर प्रोग्राम) डाला जा सकता है ?
जवाब- नहीं, मशीनों में सुरक्षा के जो उपाय हैं उसमें ट्रोजन हॉर्स डालना नामुमकिन है.


सवाल- क्या ईवीएम मशीनों के पुर्जे चुपचाप बदले जा सकते हैं ?
जवाब- 2013 के बाद बनीं M3 मॉडल की मशीन टेंपर डिटेक्शन और सेल्फ डायग्नोस्टिक जैसी तकनीक से लैस है. जैसे ही कोई मशीन खोलेगा, ईवीएम पूरी तरह से निष्क्रिय हो जाएगी. ईवीएम में इस्तेमाल होने वाले माइक्रो कंट्रोलर सिर्फ एक बार ही प्रोग्राम किए जा सकते हैं.


सवाल- क्या चुनाव आयोग विदेश में बने ईवीएम का इस्तेमाल करता है ?
जवाब- नहीं, विदेश में बनी ईवीएम भारत में इस्तेमाल नहीं की जाती. ईवीएम को भारत इलेक्ट्रॉनिक्स, बेंगलूरु और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, हैदराबाद में बनाया जाता है. सॉफ्टवेयर कोड यहीं लिखा जाता है जिन्हें मशीन कोड में बदलकर चिप बनाने वाली कंपनियों को भेजा जाता है. ईवीएम में इस्तेमाल होने वाली चिप बनाने की सुविधा देश में नहीं है.


सवाल- विकसित देश जैसे अमेरिका और यूरोपियन यूनियन ईवीएम का इस्तेमाल क्यों नहीं करते हैं ?
जवाब - इन देशों में ईवीएम पूरी तरह से कंप्यूटर नियंत्रित और नेटवर्क से जुड़ी होती हैं.कंप्यूटर और नेटवर्क से जुड़े रहने की वजह से इनके हैक होने का खतरा बना रहता है.


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