EVM-VVPAT Case: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) केस में मंगलवार (16 अप्रैल, 2024) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जजों ने इस दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील प्रशांत भूषण की इस बात के लिए खिंचाई की कि वह एक निजी एजेंसी के सर्वे के आधार पर दावा कर रहे हैं कि देश के लोग ईवीएम पर भरोसा नहीं करते हैं. जजों की तरफ से कहा गया कि ऐसी दलील कोर्ट में नहीं रखी जा सकती है. सुनवाई के दौरान एक वकील ने आपत्ति जताई कि ईवीएम सिस्टम पब्लिक सेक्टर यूनिट (पीएसयू) कंपनी बनाती है, जिसके बाद जज ने दो टूक पूछा, "तो क्या प्राइवेट सेक्टर बनाएगा, तब आप खुश होंगे? यह कैसी दलील है?"
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं में से एक एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के वकील प्रशांत भूषण ने तीन संभावित समाधान बताए. उन्होंने कहा कि चुनाव बैलेट पेपर से हों, वोटर को वीवीपैट पर्ची दे दी जाए और वीवीपैट मशीन को पारदर्शी बनाया जाए. हालांकि, जस्टिस संजीव खन्ना ने इस पर पूछा, "आपने जर्मनी का हवाला दिया पर वहां की आबादी क्या है?" प्रशांत भूषण ने जवाब देते हुए बताया कि वहां की आबादी पांच से छह करोड़ है. जस्टिस संजीव खन्ना इस पर बोले- हमारे यहां 98 करोड़ वोटर हैं. 60 करोड़ से अधिक वोट डालते हैं. आप चाहते हैं एक-एक वोट गिना जाए? हम 60 से ऊपर आयु के हैं. हमें याद है कि बैलेट पेपर मतदान में क्या-क्या होता था. शायद आप भूल गए होंगे.
EVM-VVPAT केस में सुनवाई के दौरान और क्या हुआ?
जज साहब के इतना कहने पर प्रशांत भूषण बोले, "पहले बूथ कैप्चरिंग की समस्या थी." इस पर जस्टिस संजीव खन्ना ने टोका और कहा, "सिर्फ यही नहीं था. हम वह सब (गड़बड़ियों और कमियों के संदर्भ में) गिनवाना नहीं चाहते हैं." प्रशांत भूषण ने आगे कहा कि एक सर्वे हुआ था, जिसमें लोगों से पूछा गया कि क्या वे ईवीएम पर भरोसा करते हैं. हालांकि, जज ने कहा कि वह इस मामले में कानूनी दलील दें. प्रशांत भूषण ने इस पर कहा कि ईवीएम को प्रोग्रामिंग से प्रभावित किया जा सकता है, जिस पर जज ने कहा- ऐसी दलीलें सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका है. आप फिर से वही दलीलें नहीं रख सकते हैं.
सरल भाषा में समझिए कि क्या है EVM-VVPAT मशीन
क्या है VVPAT?
वीवीपैट की मदद से वोटर यह देख पाता है कि उसका वोट (जिस कैंडिडेट को वह देना चाहता है) सही से दिया गया है या नहीं. वीवीपैट में एक कागज की पर्ची निकलती है, जो कि सील कवर में होती है. अगर कोई विवाद होता है तब उसे खोला भी जा सकता है.
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