EWS Quota: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता उदित राज ने जताई आपत्ति, कहा- SC की उच्च जाति समर्थक मानसिकता विरोध करता हूं
EWS Quota Case: चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने 7 दिनों तक मामले को विस्तार से सुना और फैसला सुरक्षित रखा था.
EWS Reservation Case: सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था को लेकर सोमवार (7 नवंबर) को केंद्र सरकार के फैसले पर मुहर लगा दी. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब सरकारी नौकरियों (Government jobs) और उच्च शिक्षा में ईडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत का आरक्षण बरकरार रहेगा.
केंद्र की बीजेपी सरकार ने जहां एक तरफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया है, वहीं, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता और पूर्व नौकरशाह उदित राज (Udit Raj) ने इसकी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट की उच्च जाति समर्थक मानसिकता को चुनौती देते हैं.
उदित राज ने उठाए सवाल
EWS आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस नेता उदित राज ने एतराज जताया है. उन्होंने अदालत के फैसले के बाद कहा कि वह ईडब्ल्यूएस आरक्षण का विरोध नहीं कर रहे है, बल्कि सुप्रीम कोर्ट की उच्च जाति समर्थक मानसिकता का विरोध कर रहे हैं. जब एससी-एसटी को आरक्षण देने की बात आती है तो वह इंदिरा साहनी मामले की दुहाई देकर एससी-एसटी और ओबीसी को 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का हवाला देते हैं. आज संविधान का हवाला देकर कहा जा रहा है कि, नहीं आरक्षण की कोई सीमा नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. कोर्ट ने इससे संबंधित 103वें संविधान संशोधन विधेयक को दो के मुकाबले तीन मतों के बहुमत से वैध ठहराया. शीर्ष अदालत ने शिक्षा संस्थानों में दाखिलों और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 फीसदी आरक्षण के प्रावधान को बरकरार रखा है.
गौरतलब है कि अदालत ने ईडब्ल्यूएस कोटे की वैधयता को चुनौती देने वाली 30 से ज्यादा याचिकाओं पर सुनवाई के बाद 27 सिंतबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. चीफ जस्टिस यूयू ललित (Chief Justice UU Lalit) की अध्यक्षता वाली पांच संदस्यीय संविधान पीठ इस मामले में अपना फैसला सुनाया है.
याचिकाकर्ताओं ने दी ये दलील
याचिकाकर्ताओं ने दलील है कि आरक्षण का मकसद सामाजिक भेदभाव झेलने वाले वर्ग का उत्थान था, अगर गरीबी आधार तो उसमें एससी-एसटी-ओबीसी को भी जगह मिले. ईडब्लूएस कोटा के खिलाफ दलील देते हुए कहा गया कि ये 50 फीसदी आरक्षण की सीमा का उल्लंघन है.
इसे भी पढ़ेंः-