नई दिल्ली: पूर्व चीफ जस्टिस और राज्यसभा सदस्य रंजन गोगोई ने उन आरोपों को निराधार बताया जिनमें कहा जा रहा था कि उन्हें रामजन्मभूमि समेत कई अन्य फैसलों के बदले बीजेपी राज्यसभा सीट मिली है. अंग्रेजी चैनल इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में गोगई ने राम मंदिर, राफेल समेत अपने चीफ जस्टिस के कार्यकाल के दौरान दिए गए तमाम फैसलों पर खुलकर बात की.
गोगई ने कहा कि मैंने सोचा था कि राज्यसभा जाकर कुछ संरचनात्मक कार्य करूंगा. रिटायरमेंट के एक साल के भीतर मोदी सरकार की ओर से राज्यसभा भेजे जाने पर गोगोई ने कहा कि मुझे इस बात की परवाह नहीं है कि मुझे किस पार्टी ने भेजा है. मेरे पास कोई निर्वाचन क्षेत्र नहीं है, पूरा देश मेरे लिए निर्वाचन क्षेत्र है.
राम जन्मभूमि फैसले पर गोगई ने कहा कि लोग राम जन्मभूमि फैसले को मोदी सरकार की सबसे बड़ी सफलता के तौर पर देखते हैं. यह लोग एक न्यायिक आदेश और एक राजनीतिक निर्णय के बीच महीन भेद करने में नहीं कर पाते. उन्होंने कहा कि कोर्ट का आदेश एक पक्ष के लिए फायदे वाला होगा तो दूसरे लिए पक्षपात वाला. जिस क्षण आप फैसला सुनाते हीं उसी क्षण जज के दुश्मन भी बन जाते हैं.
राफेल पर फैसले को लेकर हुए विवाद पर भी रंजन गोगोई ने साफगोई से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि बातें करना आसान है लेकिन जब आप मुख्य न्यायधीश की कुर्सी पर बैठते हैं तब मुश्किल होती है. उन्होंने कहा कि अगर मेरी नीयत सही है तो फिर कितनी आलोचना हो, इससे फर्क नहीं पड़ता.
उन्होंने कहा, ''राफेल केस बेहद आसान था. सवाल जहाजों की खरीद को लेकर था. क्या हम जहाज खरीद के लिए भी वही प्रक्रिया अपनाएंगे जो एक बिल्डिंग बनाने के लिए अपनाते हैं. मैं कहूंगा, नहीं. एयरक्राफ्ट की खरीद में पैरामीटर और सख्त होंगे.''
फैसलों के बदले राज्यसभा सीट के आरोप पर गोगोई ने कहा, ''मुझे थोड़ा तो क्रेडिट दीजिए. जिसने अयोध्या, राफेल और सबरीमला जैसे फैसले वो मोलभाव नहीं करेगा? अगर यह मोलभाव होता तो बहुत बड़ा होता. सिर्फ एक राज्यसभा इसके लिए मोलभाव नहीं हो सकती.
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