Satya Pal Malik on Jayant Singh: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व नेता और चार राज्यों के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) चीफ जयंत सिंह के नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (एनडीए) में शामिल होने पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. हालांकि, उन्होंने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न पुरस्कार देने के केंद्र सरकार के फैसले की सराहना भी की. उनका मानना है कि इस फैसले से लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी को फायदा मिलेगा. 


सत्यपाल मलिक ने चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के पीछे बीजेपी की रणनीति पर बात रखी. उन्होंने यह भी दावा किया कि चौधरी चरण सिंह को यह पुरस्कार देने में काफी देरी हुई है. वह इसके हकदार थे ऐसे में बीजेपी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का यह सही कदम है पर यह काफी पहले हो जाना चाहिए था.  


'Chaudhary Charan Singh को Bharat Ratna देना सही'


पूर्व राज्यपाल ने यूट्यूब न्यूज चैनल 'यूपी तक' से बातचीत में कहा, "मुझे इसका अंदाजा था. जिस तरह से जयंत चौधरी को लेकर बातें चल रही थीं तो मुझे अंदाजा था कि पीएम नरेंद्र मोदी चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देकर बड़ा तुरुप (ताश में पत्ता) मार देंगे. इन्हें भारत रत्न मिलना काफी समय से बकाया था. इस फैसले से हर कोई खुश है. कोई इसे राजनीति से नहीं देख रहा है. मैंने चौधरी चरण सिंह के साथ काफी काम किया है इसलिए मैं जानता हूं कि यह सही कदम है. सरकार ने कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दे दिया, जबकि वह चरण सिंह के सामने कम कद के नेता थे. ऐसे में अब इन्हें भारत रत्न देना जरूरी था."


'BJP को कई राज्यों में हो सकता है सियासी फायदा'


सत्यपाल मलिक के मुताबिक, "मैं पीएम नरेंद्र मोदी को इस काम के लिए बधाई दूंगा. इसका असर चुनावों पर जरूर पड़ेगा. अब चौधरी चरण सिंह का वोटर नरेंद्र मोदी के लिए सॉफ्ट (नर्म) हो जाएगा." हालांकि, उन्होंने आगे यह भी बताया कि इस फैसले से जाट वोट पर बहुत ज्यादा तो नहीं पर कुछ फर्क पड़ेगा. यूपी, हरियाणा और राजस्थान में चौधरी चरण सिंह के सपोर्टर बीजेपी के पक्ष में आ सकते हैं.


'Jayant Singh नहीं चला सकते पार्टी'


यूपी के बागपत से ताल्लुक रखने वाली शख्सियत ने जयंत सिंह को लेकर भी काफी कुछ कहा. वह बोले, "जयंत चौधरी के बीजेपी के साथ जाने पर आरएलडी को फायदा होगा. वह नौजवान हैं, उनके लिए अच्छी धारणा रखता हूं लेकिन वह पार्टी नहीं चला सकते. उस तरह का माद्दा उनमें नहीं है. पार्टी चलाने के लिए एक संघर्षशील व्यक्ति की जरूरत होती है. आज कल सारे नेता सड़क से गायब हैं. हर कोई हिसाब किताब की राजनीति में लगा है. जयंत चौधरी भी वही कर रहे हैं. वह अब समझौते की राजनीति कर रहे हैं, उन्हें यह मुबारक लेकिन मैं होता तो ऐसा नहीं करता."


'SP-RLD का गठबंधन व्यवहारिक नहीं था'


सपा और आरएलडी के रिश्तों पर सत्यपाल मलिक ने बताया, "आरएलडी और सपा का गठबंधन काफी व्यवहारिक नहीं था. पश्चिमी यूपी के जाटों के बीच सपा की छवि अच्छी नहीं है. इसके अलावा आरएलडी को आगामी लोकसभा चुनाव में जितनी सीटें सपा देने को तैयार थी, उसे लेकर भी जाट नेता खुश नहीं थे. सपा और आरएलडी के नेता काफी लंबे समय से एक दूसरे के खिलाफ ही रहे हैं."


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