नई दिल्ली: आज से शुरू हो रही VHP की धर्मसंसद में भी राम मंदिर का मुद्दा छाए रखने की उम्मीद है. वीएचपी की धर्मसंसद में संघ प्रमुख मोहन भागवत, राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास, राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. राम विलास वेदांती भी शामिल होंगे.
लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर निर्माण की चर्चा जोरों पर हैं. दो दिन पहले ही मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अयोध्या में गैर विवादित जमीन लौटाने की अर्जी दी है. इस बीच प्रयागराज में कल हुई परमधर्म संसद में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने 21 फरवरी से राम मंदिर के निर्माण का ऐलान कर दिया है. शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कि बसंत पंचमी के बाद साधु-संत प्रयागराज से अयोध्या के लिए कूच करेंगे और वहां मंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखेंगे.
यहां आपको बता दें कि बीजेपी के कद्दावर नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विवादित जमीन को लेकर साल 2002 में बड़ा और अहम बयान दिया था. वाजपेयी ने कहा था, ''सरकार जमीन की वैधानिक मालिक है. अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है." बता दें कि साल 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने भी विवादित जमीन को लेकर यथास्थिति बनाए रखने की बात कही थी.
जमीन पर सरकार की अर्जी, जानें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सरकार ने गैर विवादित जमीन लौटाने की मांग की. साल 1993 में केंद्र ने 67.7 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था. सरकार की मांग है कि .313 एकड़ विवादित जमीन छोड़कर बाकी लौटा दी जाएं. 0.313 एकड़ जमीन का वो हिस्सा है जहां 1992 से पहले विवादित ढांचा हुआ करता था.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन पर फैसला दिया था. इसमें विवादित स्थल के आसपास राम चबूतरा और सीता रसोई वाला हिस्सा भी शामिल है. इसी परिसर के चारों तरफ है वो 67.7 एकड़ जमीन जो विवादित नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने इस 67.7 एकड़ जमीन पर भी निर्माण पर रोक लगा रखी है.
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राम मंदिर मुद्दा: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी यथास्थिति बनाए रखने के पक्ष में थे
एबीपी न्यूज, वेब डेस्क
Updated at:
31 Jan 2019 10:54 AM (IST)
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या जमीन विवाद पर कहा था कि सरकार जमीन की वैधानिक मालिक है. उन्होंने कहा था कि अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है.
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