नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारत पहले परमाणु हमला नहीं करने के अपने वचन पर अडिग है. उन्होंने कहा कि भारत एक ‘अनिच्छुक’ परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र है और देश ने परमाणु हथियारों के पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.


मनमोहन सिंह ने ये बातें एक किताब विमोचन अवसर पर कही. उन्होंने कहा कि कुछ पुराने हथियार नियंत्रण समझौतों को इतिहास बनाने की कोशिशों से मौजूदा परमाणु वैश्विक व्यवस्था पर तनाव बढ़ रहा है.

पिछले 70 सालों में परमाणु विज्ञान और प्रौद्योगिकी के परिपक्व होने का जिक्र करते हुए पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि अब ऐसे हथियार तक पहुंच और उन्हें हासिल करना आसान है, जिसके कारण नए प्रसार जोखिम और नई चुनौतियां पैदा हो गई हैं. उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, अंतरिक्ष में बढ़ती पहुंच और साइबर जगत की संवेदनशीलताओं के घटनाक्रमों ने ज्यादा अनिश्चितता को जन्म दिया है.


पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कई नेता चिंतित हैं कि इससे पूर्व अनुमान नहीं लगा पाने की प्रवृति बढ़ेगी और निर्णय लेने की समय-सीमा में कमी आएगी. इससे बिना इरादे के ही तनाव बढ़ सकता है, परमाणु हमले की आशंका बढ़ सकती है और कुछ ऐसा हो सकता है जिसे 1945 के बाद से दुनिया ने नहीं देखा है.’’


मनमोहन सिंह ने कहा कि बहुध्रुवीयता वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक वास्तविकता बन गई है, लेकिन राजनीतिक ढांचे अब भी जड़त्व की पुरानी पड़ चुकी सोच से उबर नहीं सके हैं. उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति को लेकर अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है.


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