नई दिल्ली: किसान आंदोलन का आज तीसरा दिन है. लगभग एक महीना पूरा हो चुका है और किसान राजधानी दिल्ली के बॉर्डर ऊपर अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं, लेकिन न तो सरकार और न ही किसान किसी भी बात पर समझौते को तैयार नहीं हैं. ऐसे में पूर्व सैनिक भी अब किसानों के समर्थन में उतर आए हैं. गाजीपुर बॉर्डर की बात करें तो पिछले 10 दिनों से पूर्व सैनिक अनुराग लठवाल गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के समर्थन में यहां डटे हुए हैं. वह वेटरन्स इंडिया नामक पूर्व सैनिकों के संगठन से जुड़े हुए हैं और इस संगठन में राष्ट्रीय संयुक्त सचिव हैं. उनका कहना है कि मोदी सरकार को किसानों की सभी मांगे मान लेनी चाहिए और इन तीनों काले कानूनों को रद्द कर देना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होता है तो आने वाले दिनों में देश के पूर्व सैनिक संसद का घेराव करेंगे और घेराव करने वाले पूर्व सैनिक वे होंगे, जिन्होंने सन् 1999 में कारगिल युद्ध में फ्रंट पर दुश्मन सेना से लोहा लिया था.


किसान बाप हैं और हम किसान के बेटे


अनुराग लठवाल का कहना है कि हम किसान के बेटे हैं और किसान हमारे बाप हैं. किसान देश के अन्नदाता हैं, जो लगभग 1 महीने से इस आंदोलन को कल रहे हैं. सरकार को समझ लेना चाहिए कि अगर किसानों की बात नहीं मानी तो आने वाले दिन उसके दिन चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं.


1999 में पाकिस्तान बॉर्डर पर बिछाई थी 52 किलोमीटर लम्बी बारूदी सुरंग


अनुराग लठवाल का कहना है कि 1999 में कारगिल युद्ध के समय वह सेना में तैनात थे और उनकी पोस्टिंग फिरोजपुर बॉर्डर पर थी, जो भारत के पंजाब राज्य और पाकिस्तान का अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर है. अनुराग का कहना है कि हमें उस समय अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बारूदी सुरंग बिछाने का निर्देश दिया गया था, जिसके बाद मैंने व मेरे साथियों ने वहां पर 52 किलोमीटर लंबी बारूदी सुरंग बिछाई थी. जिसमें एंटी टैंक माइन आदि शामिल था.


आंदोलन के अंत तक रहेंगे साथ


अनुराग लठवाल ने यह भी कहा कि अभी तो इस आंदोलन को एक महीना पूरा हो रहा है, लेकिन आने वाले दिनों में यह आंदोलन कब तक चलेगा किसी को कुछ पता नहीं है. एक पूर्व सैनिक होने के नाते मैं इतना कहना चाहता हूं कि हम अंत तक किसानों के साथ हैं और जब तक यह आंदोलन जारी रहेगा पूर्व सैनिकों का हमारा संगठन किसानों के साथ इस लड़ाई में शामिल रहेगा.