Sharad Yadav Demise: बिहार की राजनीति में एक बड़े चेहरे के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले दिग्गज नेता शरद यादव का निधन हो गया है. उनका 75 साल की उम्र में निधन हुआ, जिसकी जानकारी उनके परिवार की तरफ से दी गई. शरद यादव के निधन पर देशभर के तमाम नेताओं ने दुख जताया है और उनके राजनीतिक सफर को सभी याद कर रहे हैं. छात्र राजनीति से शुरुआत करने वाले शरद यादव ने राजनीति में काफी ऊंचा मुकाम हासिल किया और कई बार लोकसभा तक पहुंचे. 


छात्र राजनीति से शुरुआत
शरद यादव का जन्म एक जुलाई 1947 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद में हुआ. वो एक किसान परिवार में पैदा हुए, जिसके बाद वहीं उनकी शुरुआती पढ़ाई हुई. युवावस्था में आते ही यादव को राजनीति में दिलचस्पी होने लगी, उन्होंने जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से पढ़ाई की. इस वक्त वो छात्र राजनीति में भी काफी सक्रिय हो गए थे, साथ ही पढ़ाई में भी टॉप किया था. शरद यादव राम मनोहर लोहिया के विचारों से काफी ज्यादा प्रभावित थे. 


शानदार रहा राजनीतिक सफर
शरद यादव के राजनीतिक करियर की अगर बात करें तो वो 1974 में पहली बार जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. इस दौरान वो जेपी आंदोलन से भी जुड़े रहे. इसके बाद शरद यादव ने राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा. उन्हें 1977 में फिर से जबलपुर लोकसभा सीट से ही सांसद चुना गया. इस दौरान वो युवा जनता दल के अध्यक्ष भी थे. 


इसके बाद 1986 में पहली बार शरद यादव राज्यसभा पहुंचे. 1989 में यूपी की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव जीते. इसके बाद इसी साल उन्हें केंद्रीय मंत्री का पद भी मिला. यादव को 1997 में जनता दल का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी चुना गया. यादव का आगे का सफर भी काफी शानदार रहा. साल 1991 से लेकर 2014 तक शरद यादव बिहार की मधेपुरा सीट से सांसद चुने गए.  


साल 2014 में शरद यादव को मधेपुरा लोकसभा सीट से हार का सामना करना पड़ा था. यादव नीतीश की पार्टी जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे, उन्हें नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है.


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