कर्नाटक: कर्नाटक की राजनीति में चल रहे सियासी उठा-पटक के बीच बीएस येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया. आज शाम 6 बजे से 6.15 बजे तक शपथ ग्रहण समारोह होगा. जहां बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे. कल तक स्पीकर की ओर से दो कांग्रेस और एक निर्दलीय विधायक को बर्खास्त करने के फैसले को मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देखा जा रहा था. माना जा रहा था कि 16 बागियों में से दो कांग्रेस और एक पीजेपी विधायक जिसने कांग्रेस से विलय किया था इन तीनों को स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराए जाने के बाद बाकि विधायक वापस आ जाएंगे. लेकिन अब येदियुरप्पा स्पीकर के फैसले के बावजूद राजभवन पहुंच कर सरकार बनाने का दावा पेश कर चुके है और शाम को शपथ लेने को तैयार है.


येदियुरप्पा के इस फैसले के बाद बड़ा सवाल खड़ा हो गया कि अगर कांग्रेस व्हिप जारी करती हे तो सभी विधायकों को सदन में मौजूद रहना पड़ेगा और पक्ष में ही वोट करना होगा। ऐसा ना होने पर इन विधायकों को भी अयोग्य ठहराया जा सकता है. ऐसे में सवाल यहीं कि येदियुरप्पा किस तरह फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करेंगे?


सूत्रों की माने तो पार्टी हाईकमान से ग्रीन सिग्नल के बिना ही सरकार बनाने का दावा पेश करना येदियुरप्पा के बगावती सुर दिखा रहा है. दरअसल गुरुवार को दिल्ली में कर्नाटक के नेताओं ने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात की थी. अमित शाह के साथ मीटिंग इस बात का फैसला नहीं हो सका कि गर्वनर के पास दावा पेश करने के लिए कब जाना है. अमित शाह ने बागी विधायकों पर स्पीकर के फैसले आऩे तक इंतजार करने को कहा है, लेकिन येदियुरप्पा इंतजार करने के मूड में नहीं दिखे. लिहाज़ा सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंच ही गए.

तीन विधायक अयोग्य ठहराए गए


कर्नाटक विधानसभा के अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने कांग्रेस के दो बागी विधायकों रमेश जरकिहोली और महेश कुमठाल्ली को अयोग्य घोषित कर दिया है. इन दोनों विधायकों को 2023 में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य घोषित किया गया है. इनके अलावा कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने केपीजेपी विधायक आर. शंकर को भी 2023 में उनका कार्यकाल समाप्त होने तक सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया. आर शंकर अब तक कई बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच अपना स्टैंड बदलते रहे हैं.


स्पीकर ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि अगले कुछ दिनों में बाकी 14 बागी विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लिया जाएगा. स्पीकर ने यह भी कहा कि बागी विधायकों को उनके समक्ष उपस्थित होने का अब और मौका नहीं मिलेगा और अब यह अध्याय बंद हो चुका है.


येदियुरप्पा को सीएम बनाए रखना बीजेपी की मजबूरी?


बीजेपी के लिए रिटायरमेंट नियम 75 का रहा है, लेकिन आखिर क्या कारण है कि 76 साल के येदियुरप्पा के हाई कमांड के फैसले के ऊपर जाकर राज्यपाल से सरकार बनाने का दावा पेश करने के बावजूद उन्हें ये मानना पड़ा? दरअसल इस वक़्त अधिकतर विधायक येदियुरप्पा के कैंप के माने जा रहे हैं. ऐसे में येदियुरप्पा को सीएम नहीं बनाना बीजेपी के लिए मुश्किलें पैदा कर सकता है. वहीं अब तक ऑपरेशन कमल की कमान येदियुरप्पा ही संभालते रहे हैं. तीसरी मुख्य वजह यह भी कि येदियुरप्पा खुद लिंगायत है. राज्य में सबसे बड़ा वोट शेयर लिंगायतों का माना जाता है. करीब 19% लिंगायत है और लिंगायत बीजेपी के हार्ड कोर वोटर्स रहे हैं. येदियुरप्पा लिंगायतों के बड़े चेहरे के तौर पर देखे जाते हैं. यहां तक कि मठों में भी येदियुरप्पा की पकड़ मजबूत है ऐसे में येदियुरप्पा को नाराज़ कर बीजेपी लिंगायतों को नाराज़ नहीं कर सकती. 2011 में येदियुरप्पा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप के बाद येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाया गया था. उनके बाद डीवी सदानंद गौड़ा को मुख्यमंत्री बनाया गया था. जिसके बाद 2013 के चुनाव में येदियुरप्पा ने अपनी KJP पार्टी बनाई थी और वोट बंट गए थे जिससे बीजेपी को खासा नुकसान झेलना पड़ा था. बीजेपी दोबारा यह नहीं कर सकती.


वहीं वोक्कलिग्गा मुख्यमंत्री अगर बना भी लें तो इससे भी लिंगायतों की नाराज़गी झेलनी पड़ सकती है. वोक्कलिगा राज्य में 16% आबादी है. जो कि जेडीएस के हार्ड कोर वोटर्स रहे हैं. ऐसे में फिलहाल बीजेपी के पास येदियुरप्पा के अलावा कोई विकल्प नहीं दिखा रहा.


वहीं राज्य में SC/ST/Dalit आबादी करीब 23% है. जो कि एक वक़्त पर कांग्रेस के हार्ड कोर वोटर्स हुआ करते थे. अब यह वोट बैंक तीनो पार्टियों में बंट गया है. जिसका फायदा बीजेपी को लोक सभा में हुआ और 28 में से 25 सीटें जीत गई. साफ है येदियुरप्पा को नाराज़ कर लिंगायतों को नाराज़ करने का खामियाजा नहीं उठाएगी. यहीं कारण है कि 76 साल के होने के बावजूद येदियुरप्पा सीएम पद की कुर्सी संभालने को फिर एक बार तैयार है.


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