Exclusive: संकट की घड़ी में हो रही रेमडेसिविर की कालाबाजारी, abp के स्टिंग ऑपरेशन में दिखे कोरोना काल के 'गिद्ध'
कोरोना काल में लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे ही लोगों का ABP News ने भंडाफोड़ किया है. हमारी टीम ने खुफिया कैमरे से उन चेहरों को बेनकाब करने की कोशिश की है, जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर कोरोना की दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं.
नई दिल्ली: पिछले दिनों मध्य प्रदेश में भोपाल पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने के आरोप में 4 लोगों को गिरफ्तार किया था. उनके पास से रेमडेसिविर के 4 इंजेक्शन भी बरामद किए गए थे. ये इंजेक्शन जरूरतमंदों को 12 से 18 हजार में बेचे जा रहे थे. सूरत और महाराष्ट्र के ठाणे और नवी मंबई में भी कालाबाजारी करने वाले पकड़े गए थे. कोरोना काल में लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाले ऐसे ही लोगों का ABP News ने भंडाफोड़ किया है. हमारी टीम ने खुफिया कैमरे से उन चेहरों को बेनकाब करने की कोशिश की है, जो लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर कोरोना की दवा की कालाबाजारी कर रहे हैं.
पैसे की हुई डील
दरअसल, ABP News के रिपोर्टर मनोज वर्मा को उनके एक करीबी ने बताया कि दिल्ली के शाहदरा इलाके में एक मेडिकोज में रेमडेसिविर इंजेक्शन मिल रहा है लेकिन कीमत है 18 हजार रुपये. रिपोर्टर मनोज वर्मा के दोस्त ने इस मेडिकोज की कालाबाजारी का एक वीडियो भी उन्हें भेजा. वीडियो के हाथ लगते ही ABP News की टीम ने रेडमेसिविर की कालाबीजारी को लेकर अपनी पड़ताल शुरू कर दी.
शनिवार रात को सबसे पहले रिपोर्टर मनोज वर्मा ने मेडिकोज के मैनेजर को फोन किया तो उन्हें छज्जूपुर, सहदेव गली, दिल्ली आने को कहा गया. रविवार को ABP News की टीम तय डील के मुताबिक सुबह करीब 9:30 बजे बताए गए पते छज्जूपुर इलाके में पहुंच गई.
कुछ देर इंतजार करने के बाद मेडिकोज के मैनेजर से रिपोर्टर मनोज वर्मा और सहयोगी कैमरामैन अजय तिवारी की मुलाकात हुई. मैनेजर ने आते ही मेडिकल के पेपर मांगे. खास बात ये है कि रिपोर्टर मनोज वर्मा ने मरीज के आधार कार्ड, डॉक्टर के प्रिशकिप्शन और कोविड रिपोर्ट में से सिर्फ प्रिसक्रिप्शन और मरीज का आधार ही मैनेजर को दिया. इस दौरान मैनेजर के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए लगातार फोन आ रहे थे.
ऑनलाइन पैसे लेने से इनकार
डील के मुताबिक एबीपी न्यूज़ ने मेडिकोज के मैनेजर से 4 इंजेक्शन मांगे थे लेकिन वो पैसे कैश में ही ले रहे थे. हांलाकि हमने उन्हें गूगल पे से चार इंजेक्शन के 78 हजार रुपये देने की बात कही लेकिन मैनेजर ने ऑनलाइन पैसे लेने से साफ इनकार कर दिया.
दरअसल, एबीपी न्यूज़ का मकसद चार इंजेक्शन खरीदना नहीं था. हमारा मकसद रेमडेसिविर की कालाबाजारी को आपके सामने लाना था. यही वजह है कि रिपोर्टर मनोज वर्मा ने मेडिकोज के मैनेजर से तीन इंजेक्शन बाद में लेने की बात कही और सिर्फ एक ही इंजेक्शन लिया और ये डील तय हुई 19 हजार 500 रुपये में.
मेड इन बांग्लादेश रेमडेसिविर
एबीपी न्यूज़ की टीम से पैसे लेकर मेडिकोज का मैनेजर वापस अपने घर गया और थोड़ी देर बाद रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर वापस लौट आया. खास बात ये है कि उसने हमें रेमडेसिविर का जो इंजेक्शन दिया वो मेड इन इंडिया नहीं बल्कि मेड इन बांग्लादेश निकला.
कोरोना के इलाज में काम आ रही एंटी वायरल दवा रेमडेसिविर की कालाबाजारी का भंडाफोड़ एबीपी न्यूज ने जनहित में किया है. हमारा मकसद उन चेहरों को बेनकाब करना है, जो चंद रुपयों की लालच में मरीजों की जान से खिलवाड़ करके लोगों के जानी दुश्मन बन गए हैं.
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