हाथरस कांड पर ABP न्यूज ने एक बड़ा खुलासा किया है. हाथरस मामले में लड़की की मेडिकल रिपोर्ट सबसे अहम है. पीड़िता का मेडिकल करने वाली डॉक्टर ने कहा है कि लड़की के साथ अन्याय नहीं होने दूंगी.



हाथरस कांड में आरोपियों के घरवाले इस बात को झुठला रहे हैं कि आरोपी मौका-ए-वारदात पर नहीं थे. उनको बचाने के लिए यही दलाल दी जा रही है. तो क्या सचमुच ऐसा हुआ? क्या वाकई आरोपी उस वारदात के वक्त कहीं और थे? इसकी तहकीकात करते-करते एबीपी न्यूज की अंडर कवर टीम ने जो सच कैमरे में कैद किया है. वो ये साबित करता दिखता है कि लड़की के साथ जोर-जबर्दस्ती हुई थी. और ये भी कि उस वक्त दो आरोपी घटनास्थल पर मौजूद थे.


आरोपी लव कुश की मां ने कहा, "मेरा बेटा निर्दोष है, मैं लव कुश के पास ही थी चारा काट रही थी, निर्दोष फंसाया जा रहा है, मैंने तो खुद पानी मंगाया और मां को कहा लो भाभी पानी पिला दो." वहीं आरोपी राम कुमार के पिता ने कहा, "मेरा बच्चा घटना के दिन गांव में नहीं था वो 7 बजे ड्यूटी चला गया, घटना बिलकुल असत्य है." मुख्य आरोपी संदीप के पिता ने कहा, इनमें से मौके पर कोई नहीं था, मेरा बच्चा मेरे पास था.


क्या मौका ए वारदात पर संदीप और राम कुमार मौजूद नहीं थे ?

एबीपी न्यूज की अंडर कवर टीम हाथरस के बुलगढ़ी गांव पहुंचीं और वहां संपर्क किया इस पूरे मामले में बेहद मुखरता से आरोपियों के पक्ष में खड़े नजर आ रहे गांव के प्रधान से. बुलगढ़ी गांव में इस प्रधान का संपर्क और प्रभाव दोनों अच्छा खासा है. हमारे अंडरकवर रिपोर्टर्स ने गांव के प्रधान राम कुमार से बातचीत शुरू की.


शुरुआत में राम कुमार हमारी बातचीत में ज्यादा दिलचस्पी नहीं ले रहे थे.लेकिन फिर हमारे अंडरकवर रिपोर्टरों ने जब उन्हें कुरेदना शुरू किया. तब उन्होंने घटनाक्रम को एक एक करके खोलना शुरू किया. हमारे रिपोर्टर्स ने जब गांव के प्रधान राम कुमार से पूछा कि घटना के समय लव कुश कहां था.. तो एबीपी न्यूज के खुफिया कैमरे पर ग्राम प्रधान की ये गवाही रिकॉर्ड हुई.


रिर्पोटर ने पूछा लव-कुश कहां था…? प्रधान ने कहा, 'वही तो बता रहा हूं...घटना के बाद उसने पानी पिलाया...पूरी गांव के सामने...इस की मां ने हल्ला किया...मार गया...मार गया... जब वो खेत में दिख गए... खेत से निकल कर आए तब हल्ला किया. उसकी मां कह रही थी कि मेरी लड़की है वो...संदीप खींच ले गया और गला दबा दिया... फिर वो पानी लेकर आया लव-कुश...सब को मालूम है...पानी पिलाया उसका नाम भी आ-गया.'


क्या है हाथरस मामला
हाथरस में 14 सितंबर को 19 साल की एक दलित लड़की से कथित गैंगरेप किए जाने का आरोप है. 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान पीड़िता की मौत हो गयी थी. इसके बाद लड़की के शव का 29/30 सितंबर की दरम्यानी रात प्रशासन ने अंतिम संस्कार करा दिया. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने शव को जबरन पेट्रोल डालकर जलाया था, जबकि पुलिस का दावा है कि परिजन की रजामंदी से ही अंतिम संस्कार किया गया था.

इसके बाद से हाथरस मामले को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं. इस मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा. योगी सरकार ने इसकी सीबीआई जांच की भी सिफारिश की. राज्य सरकार हाथरस मामले में अंतरराष्ट्रीय साजिश का दावा कर रही है. पुलिस का कहना है कि सरकार को बदनाम करने के लिए यह साजिश रची गयी है. इस मामले में करीब डेढ़ दर्जन मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं. वहीं अपर पुलिस महानिदेशक कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हवाले से दावा किया था कि लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ है.


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