नई दिल्ली: बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुंओं के खिलाफ हिंसा लगातार जारी है. बांग्लादेश सरकार हिंसा के आरोप में गिरफ्तारी भी कर रही है और इस हिंसा पर रोक लगाने के कोशिशों के दावे भी कर रही है. अब इन हमलों से तालिबान के तार भी जुड़ गए हैं. पूर्व सूचना मंत्री और बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष हसनुल हक इनु ने एबीपी न्यूज से खास बातचीत में कहा है कि इस हिंसा के पीछे तालिबान और पाकिस्तान का हाथ हो सकता है. जानिए बांग्लादेशी संसद के अध्यक्ष ने क्या कुछ कहा है.
हिंसा में तालिबानी तार जुड़े होने का शक
एबीपी न्यूज ने जब बांग्लादेशी संसद अध्यक्ष हसनुल हक इनु ने हिंसा को लेकर सवाल किया तो उन्होंने हिंसा में तालिबानी तार जुड़े होने का ही शक जता दिया. उन्होंने कहा, ‘’इतिहास में देखें तो जमात इस्लामी और मौलिक संगठनों पर धार्मिक पाकिस्तानी खुफिया नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और अतीत में वे पुराने तालिबान यानी ओसामा बिन लादेन से जुड़े हुए थे. उनमें से कई अब हिरासत में हैं, लेकिन जब तालिबान ने 20 साल पहले सत्ता संभाली थी, कई अफगानिस्तान ट्रेंड कर रहे थे. इसलिए शेख हसीना की एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक सरकार को गिराने के लिए तालिबान के सत्ता में आने के बाद स्थिति को अस्थिर करने की साजिश हो सकती है. हमें विदेशी शरारती संगठनों का एक गुप्त हाथ दिखाई देता है." उन्होंने आगे कहा, "पिछले 12-13 सालों से हमने देखा है कि न केवल मंदिरों पर बल्कि सूफियों, साथियों, मजारों, बौद्ध मठों, बुद्धिजीवियों, लेखकों और यहां तक कि मुस्लिम नेताओं इमामों पर भी हमले हुए हैं. जो तालिबानी राजनीति या जमाती इस्लामियों पाकिस्तान द्वारा समर्थित धार्मिक कट्टरपंथियों के संगठनों से अलग हो जाते हैं. हम यहां बांग्लादेश में कुछ ऐसे कोबर्ट संगठनों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हैं, जो पिछले 30 सालों से इस्लाम के नाम पर चल रहे हैं. कम से कम 15 से ज्यादा संगठन हैं.’’
300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है- हसनुल
हसनुल हक इनु ने कहा कि इस समय हम यह पहचानने की कोशिश कर रहे हैं कि कौन सा संगठन शामिल है, क्योंकि जांच पूरी होनी बाकी है. हम यह नहीं कह सकते कि वास्तव में असली व्यक्ति कौन हैं, वीएनपी और वहां के नेता और पूर्व प्रधान मंत्री खालिदा जिया जो उत्साही जमाती इस्लामी के सिर पर हमेशा छाता रखती हैं. रिपोर्ट आने पर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा." उन्होंने बताया, ‘’हिंसा के बाद अब चीजें नियंत्रण में हैं और 300 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. सरकार बाकी दोषियों की तलाश कर रही है.’’
हसनुल ने बताया, "यह एक आंतरिक मामला है. शेख हसीना धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र और संवैधानिकता की नीति पर प्रहार कर रही हैं. हम साम्प्रदायिक कट्टरवाद के खिलाफ सामाजिक समरसता के पक्षधर हैं, इसलिए अगर यह नियंत्रण में नहीं है तो वे निश्चित रूप से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में जा सकते हैं.
भारत और बांग्लादेश के कैसे हैं रिश्ते?
हसनुल ने कहा, "भारत सरकार के साथ हमारी उत्कृष्ट मित्रता है और भारत सरकार ने शेख हसीना की कड़ी कार्रवाई की भूमिका की सराहना करते हुए बहुत सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त की है. इसलिए विदेश मंत्रालय दंगे से बचने के लिए शेख हसीना की बहुत साहसिक सख्त कार्रवाई की सराहना कर रहा है. हम मोदी जी की सरकार की सराहना करते हैं.
बांग्लादेशी सियासत के कद्दावर नेता है हसनुल हक इनु
ये बयान इसलिए अहम है, क्योंकि ये कोई मामूली शख्स नहीं बल्कि बांग्लादेशी सियासत के कद्दावर नाम हैं. इनु की मानें तो ये हमले सिर्फ हिंदुओं पर नहीं, उन सभी लोगों पर हो रहे हैं जो तालिबानियों के खिलाफ जा रहे हैं. इनु ने पूरे मामले की जांच का भरोसा भी दिया है, लेकिन दिक्कत ये है कि हिंदुओं पर अत्याचार कम नहीं हो रहे हैं.
8 दिन बीत जाने के बाद हिंसा थमी नहीं
- बांग्लादेश में लगातार हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है.
- हिंदुओं के घर और बस्तियां जलाए जा रहे हैं.
- हिंदु समुदाय की दुकानों को भी जलाया जा रहा है.
- हिंदुओं के मंदिरों में तोड़फोड़ करके आग लगाई जा रही है.
- अब तक 450 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
- हिंसा के मामले में 70 से ज्यादा मामले दर्ज किये गये हैं.
इस्कॉन मंदिर पर हुआ हमला
बांग्लादेश के नोआखाली में इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ तो विवाद और गहरा गया . 15 अक्टूबर को यहां इस्कॉन टेंपल में सैकड़ों दंगाइयों की भीड़ घुसी और जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की. यहां इस्कॉन सोसायटी के संस्थापक एसी भक्तिवेदांत स्वामी प्रभूपाद की मूर्ति थी. दंगाइयों ने सबसे पहले इसी मूर्ति के हाथ काटे और फिर आग लगा दी. यहीं पर जगन्नाथ जी का रथ भी रखा हुआ था, उसमें भी आग लगा दी गई.
अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हुए इन हमलों की वजह से बांग्लादेश सरकार की भी बड़ी बदनामी हो रही है. भले ही बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के लिए कह रही हों, लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि जब हिंदू समुदायों पर 13 तारीख को ही हमले शुरू हो गए थे तो पूरे देश में उन्हें सुरक्षा क्यों नहीं मिली?
यह भी पढ़ें-