Exclusive: आर्थिक संकट से कैसे उबरेगा भारत, मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने जानें क्या कहा?
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा कि पहली बार इतना बड़ा संकट आया है. आर्थिक मंदी की वजह कोरोना महामारी है.
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नई दिल्ली: देश में अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालत पर भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने कहा कि पहले क्वार्टर में जो विकास दर आई है उसपर कोरोना महामारी का प्रभाव है. भारत की रणनीति लोगों की जिंदगी बचाने की रही है. जीडीपी ग्रोथ वापस आ रही है और आएगी लेकिन मरे हुए व्यक्ति को वापस नहीं लाया जा सकता. बता दें कि पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई.
केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि दिख रही है. इसी तरह पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स 52 है. इसका मतलब ये है कि 52 फीसदी लोग ये मानते हैं कि आगे चलकर वृद्धि आएगी. मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अच्छी रिकवरी देखी जा रही है. जब तक वैक्सीन नहीं आ जाती, सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर सर्विस सेक्टर जैसे ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर है उसमें थोड़ी बहुत चिंता बनी रहेगी. उसको हम अभी नकार नहीं सकते.
सर्विस सेक्टर का उभार कब आएगा?
इस सवाल के जवाब में केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि इस पर आर्थिक कारणों से असर नहीं पड़ा रहा है, इसका मुख्य कारण महामारी है. इसलिए सरकार वैक्सीन पर जोर दे रही है. इनका ट्रायल किया जा रहा है. जब वैक्सीन आ जाएगा तब लोग अपना नॉर्मल जनजीवन शुरू कर पाएंगे और जब ऐसा होगा तो स्वाभावित है कि सर्विस सेक्टर में भी सुधार आएगा.
लॉकडाउन से प्रभावित मिडिल क्लास के लिए सरकार क्या करेगी?
इस मुद्दे पर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा कि सरकार इस विषय पर ध्यान दे रही है. ये हमें जरूर ध्यान रखना है कि ये सिर्फ भारत का ही नहीं, विश्व में ये हालात हैं. विश्व में जितने देश हैं, इस साल जो उनकी जीडीपी घटेगी वो 150 सालों में पहली बार होगा. सरकार इसे उबरने के लिए जरूर फैसले लेगी. प्रवासी मजदूरों के सामने रोजगार का सवाल पर उन्होंने कहा कि इस पर भी सरकार ध्यान दे रही है. अर्बन एंप्लॉयमेंट पर सरकार काम रही है.
क्या हेल्थ सेक्टर में लॉन्ग टर्म योजना की जरूरत है?
केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि लॉकडाउन में इस सेक्टर में सुधार दिखा. मार्च महीने में पीपीई किट्स नहीं थे लेकिन दो महीनों में तैयार हो गए. कई सारे कोविड बेड्स बन गए. लॉकडाउन नहीं होता तो मृत्यु दर इतनी कम नहीं होती.
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