Exclusive: खुद पर सवाल खड़ा करने वालों को आनंद शर्मा का जवाब, कहा- भाषा में शुचिता का ख्याल रखना जरूरी
एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में आनंद शर्मा ने कहा कि सभी को भाषा में सम्मान और शुचिता का ख्याल रखना चाहिए. देश के सबसे बड़े नेताओं में से कई नेता राज्य सभा के सदस्य रहे हैं.
नई दिल्ली: कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आज़ाद आजाद के बाद अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने मौजूदा विवाद पर चुप्पी तोड़ी है. आनंद शर्मा ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत की. उन्होंने गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और खुद उनपर सवाल खड़ा करने वालों को दो टूक जवाब दिया.
दरअसल, सिब्बल और आजाद के बयानों के बाद कांग्रेस के कई नेता इन नेताओं पर ये कह कर हमला बोल रहे हैं कि आज सवाल खड़ा करने वाले और चुनावों की बात करने वाले खुद राज्य सभा में बैठे हैं.
एबीपी न्यूज़ से बातचीत में आनंद शर्मा ने कहा कि वरिष्ठ नेताओं कि राय पर ये कह कर सवाल खड़े करना बिल्कुल गलत है कि ये नेता सवाल खड़े करने वाले कौन होते हैं जो खुद राज्य सभा में बैठे हैं. उन्होंने कहा, “आज़दी के बाद से अब तक इस देश के सबसे बड़े नेताओं में से कई नेता राज्यसभा से रहे हैं. भाषा में सभी को सम्मान और शुचिता का ख्याल रखना चाहिए."
बयान देने वाले नेताओं को आड़े हाथों लेते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि बोलने से पहले "राजनीति और संसदीय इतिहास का ज्ञान होना चाहिए." उन्होंने जोर देकर कहा, "कोई ये ना भूले कि राज्यसभा सांसद भी चुन कर आते हैं. पार्टी उम्मीदवार तय करती है और फिर वो उम्मीदवार चुनाव लड़कर जीत कर आता या आती है." आनंद शर्मा ने कहा, "कोई भी पूर्व प्रधानमंत्री या मंत्री जो राज्य सभा में रहा वो मनोनीत नहीं था बल्कि राज्यसभा चुनाव लड़ा."
यही नहीं, उन्होंने हमला कर रहे कांग्रेस नेताओं को याद दिलाया कि खुद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी राज्यसभा से ही थे. आनंद शर्मा ने कहा, "हालिया सालों में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन खुद राज्य सभा के ही सांसद रहे और आज भी मनमोहन सिंह राज्य सभा के ही सांसद हैं. इंदिरा गांधी भी राज्य सभा सांसद रहीं और अटल बिहारी वाजपेयी और आई के गुजराल भी अलग-अलग वक्त पर राज्यसभा सांसद रहे."
आनंद शर्मा ने कहा ऐसे में ये न केवल संसदीय प्रणाली का अपमान है बल्कि उन सभी कद्दावर राजनेताओं का अपमान है जो राज्यसभा में रहे. उन्होंने कहा कि संसदीय प्रणाली में राज्यसभा को काउंसिल ऑफ स्टेट्स हैं जिसमें सभी सांसद चुनकर ही आते हैं.
आलोचना करने वालों पर कड़ी नाराज़गी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, "सिर्फ ओछी लोकप्रियता के लिए राज्यसभा की गरिमा का अनादर नहीं किया जाना चाहिए और ना ही राज्यसभा सांसदो का अपमान किया जाना चाहिए."
आनंद शर्मा ने आगे कहा, "राज्यसभा के लिए उम्मीदवार चुनना राजनीतिक दलों के बुद्धि-विवेक का काम है और राज्यसभा के सम्मान का अगर ऐसे अनादर होगा तो चोट लोकतंत्र को पहुंचेगी. लोकतंत्र में लोकसभा और राज्यसभा दोनों का अपना अपना महत्व है." उन्होंने कहा, "नेताओं-सांसदो को उनके संसद में योगदान के आधार पर आकना चाहिए जो संसदीय इतिहास में दर्ज होता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश में दो खाने की संसद की जरूरत संविधान निर्माताओं को समझ आई थी और आलोचना करने वालों को कंस्टीट्यूशन कमिटि में दिए गए पंडित जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अंबेडकर और गोपालस्वामी आयंगर के बयानों को सुनना चाहिए.