क्या बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन टूट जाएगा? जानें क्या वजह बताई जा रही है
सूत्रों के मुताबिक, आरजेडी जितनी सीटें कांग्रेस को दे रही है उसमें वह राजी है लेकिन इसके बाद भी एक ऐसा मुद्दा है जो टूट की सियासी पटकथा लिख रहा है.
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नई दिल्ली: क्या बिहार में महागठबंधन में अब तक की सबसे बड़ी दरार पड़ने वाली है? लंबे समय से एक दूसरे के साथी रहे कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन टूटना लगभग तय माना जा रहा है. इतना ही नहीं कांग्रेस ने बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अकेले लड़ने की दिशा में कदम भी आगे बढ़ा दिया है और उम्मीदवारों के नाम की सूची तैयार की जा रही है. कांग्रेस के उच्च पदस्थ सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी है.
सूत्रों की मानें तो आरजेडी, कांग्रेस को 73-75 सीटें देने के लिए राजी हो गई. कांग्रेस भी इतने ही सीटों की मांग कर रही थी लेकिन इसके बाद भी मामला फंस गया. अब सवाल है कि जब मन मुताबिक सीटें मिल रही हैं फिर भी कांग्रेस महागठबंधन से अलग होने का फैसला क्यों लेगी?
मन मुताबिक सीटें मिलने के बाद भी टूट क्यों?
दरअसल, मामला सीटों की संख्या के बाद सीटों के नाम (विधानसभा) को लेकर फंस गया. सूत्रों की मानें तो आरजेडी 73-75 सीटें कांग्रेस को देने के लिए तैयार है लेकिन इसमें से 10 सीटें शहरी इलाके में यानी अर्बन सीटें हैं. यानी 10 अर्बन सीटों की शर्त के साथ आरजेडी कांग्रेस को 73-75 से सीटें देने के लिए राजी है लेकिन कांग्रेस को ये मंजूर नहीं. कांग्रेस को लगता है कि इन शहरी सीटों पर मैदान में उतरना फायदे का सौदा नहीं रहेगा. इन 10 सीटों पर कैडर उस तरह से तैयार नहीं हैं और अगर ऐसे में पार्टी यहां चुनाव लड़ने में हामी भरती है तो नुकसान होगा.
इस तरह कांग्रेस का कहना है कि आरजेडी भले ही 73-75 सीटें देने के तैयार हो लेकिन इसे वह 63-65 मान कर चल रही है और ये संख्या सम्मानजनक नहीं है. इसलिए दोनों दलों के रास्ते अलग होने लगभग तय हो गए हैं.
अब कांग्रेस का अगला कदम क्या होगा?
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस अब सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की दिशा में आगे बढ़ रही है. उम्मीदवारों के नाम तैयार किए जा रहे हैं. बुधवार रात या फिर गुरुवार सुबह तक उम्मीदवारों के नाम का एलान संभव है.
कुल मिलाकर सीटों को लेकर महागठबंधन में एक नतीजे तक पहुंचने का सफर बहुत कठिन होता जा रहा है. बता दें कि पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव में भी सीट बंटवारे में देरी हुई थी. कांग्रेस ने इससे सीख लेते हुए कहा था कि विधानसभा चुनाव के समय देरी नहीं होनी चाहिए. कांग्रेस के कई नेताओं ने मीडिया में बयान दिए कि चुनाव से पहले एक तय समय तक सीटों का बंटवारा हो जाना चाहिए ताकि नेताओं और कार्यकर्ताओं को तैयारी करने का समय मिले.
मांझी और कुशवाहा हो चुके हैं अलग
हम पार्टी के मुखिया जीतन राम मांझी और आरएलएसपी सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन का साथ छोड़ चुके हैं. मांझी नीतीश कुमार से जाकर मिल गए और कुशवाहा अब बीएसपी के साथ गठबंधन में बिहार का चुनाव लड़ेंगे.
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