नई दिल्ली: कांग्रेस देश भर में मोदी विरोधी मोर्चा बनाने की कवायद में जुटी है. लेकिन दिल्ली में वो 'आप' (आम आदमी पार्टी) से हाथ मिलाने को तैयार नहीं है. दिल्ली में कांग्रेस के पास ना तो कोई सांसद है और ना ही विधायक. पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस तीसरे स्थान पर थी. ऐसे में कांग्रेस का 'आप' के साथ गठबंधन उसके लिए फायदे का सौदा लगता है. लेकिन इस संभावना को पार्टी के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने सिरे से खारिज कर दिया है. सवाल उठता है कि कांग्रेस के इस कॉन्फिडेंस की वजह क्या है?
दरसअल कांग्रेस ने पिछले दिनों आतंरिक सर्वे करवाया था जिसके नतीजों में उसे अपनी स्थिति काफी मजबूत लगी. इस सर्वे को पूर्व रक्षा मंत्री ए के एंटनी के बेटे अनिल एंटोनी ने अप्रैल के महीने में किया था. दिलचस्प यह है कि सर्वे करने वाली टीम में योगेंद्र यादव की टीम के कुछ पूर्व सदस्य भी शामिल हैं. यह सर्वे दिल्ली की 24 विधानसभाओं में किया गया और इस दौरान कुल 1276 सैम्पल लिए गए. एबीपी न्यूज़ के पास इस सर्वे की एक्सक्लुसिव कॉपी है. इस सर्वे के जरिए कांग्रेस अपनी ही पीठ ठोक रही है. इस सर्वे को सियासी गलियारे में अपने कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाने के तौर पर भी देखा जा रहा है.
सर्वे में कांग्रेस की मजबूत तस्वीर
सर्वे के मुताबिक अगर अभी लोकसभा या विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस नंबर एक पार्टी होगी और उसके लोकसभा की 4-5 सीट जीतने की संभावना है. प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी पहली पसंद हैं लेकिन 25 साल से कम उम्र के वोटरों की पहली पसंद नरेंद्र मोदी हैं. केजरीवाल मुख्यमंत्री की पहली पसंद हैं और मोदी सरकार के मुकाबले लोग उनकी सरकार से ज्यादा खुश हैं. वहीं, LG-अधिकारियों से टकराव उनके खिलाफ जाता है.
कांग्रेस के सर्वे में सबसे अहम बात ये है कि दिल्ली के ज्यादातर लोग शीला सरकार को बेहतर मानते हैं. कुल मिलाकर अपने आतंरिक सर्वे में कांग्रेस को अपनी स्थिति ना केवल सुधरती हुई नजर आ रही है बल्कि उसे लग रहा है कि वो दिल्ली में एक बार फिर पहले की तरह मजबूती से उभरेगी. हालांकि ये तभी होगा जब कांग्रेस गुटबाजी से दूर रह कर एकजुट होकर लड़े.
सर्वे बताता है कि कांग्रेस अपने नेताओं के बीच तालमेल बिठाने में कामयाब हो गई तो उसे दूसरी पार्टी से तालमेल की जरूरत नहीं पड़ेगी. शायद यही वजह है कि कांग्रेस आम आदमी पार्टी को भाव देने के मूड में नहीं है. सूत्रों के मुताबिक दिल्ली प्रदेश ने ये सर्वे आला कमान तक पहुंचा दिया है और कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व भी 'आप' को साथ लेने के पक्ष में नहीं है.
सर्वे की अहम बातें
- अभी चुनाव हुए तो कांग्रेस नम्बर- 1 और 'आप' नंबर तीन
- अभी लोकसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस को 41.2% , बीजेपी को 27.4% और 'आप' को 16.8% वोट मिलेंगे
- अभी विधानसभा चुनाव हुए तो कांग्रेस को 38%, बीजेपी को 23.9% और 'आप' को 22.9% वोट मिलेंगे
- 2019 लोकसभा में दिल्ली में कांग्रेस को 4-5 सीटें मिलने की संभावना है
- चांदनी चौक, नई दिल्ली, उत्तर पश्चिम दिल्ली, पश्चिम दिल्ली में कांग्रेस को जीत का पक्का भरोसा
- बीजेपी को 1-2 सीट और 'आप' को 1 सीट मिलती नज़र आ रही है
मुख्यमंत्री की रेस में केजरीवाल आगे
दिलचस्प ये है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री की पहली पंसद अरविंद केजरीवाल (28.2%)हैं, जबकि अजय माकन (26.7%) उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं. हालांकि, मुख्यमंत्री की पसंद में सिसोदिया और शीला दीक्षित के आंकड़ों को भी जोड़ दें तो कांग्रेस आगे निकल जाती है.
शीला सरकार को याद कर रहे लोग
शीला सरकार के 15 सालों के बारे में 69.4 % लोगों ने सकरात्मक बात कहीं, जबकि मोदी सरकार के चार सालों को केवल 38.4% लोगों ने सराहा. 'आप' सरकार को 50% लोगों ने अच्छा बताया.
मोदी बनाम राहुल में राहुल आगे
प्रधानमंत्री पद के लिए राहुल गांधी 39.8% लोगों की पसंद हैं जबकि नरेंद्र मोदी 35.3% लोगों की. लेकिन 25 साल से कम उम्र के वोटरों में मोदी की लोकप्रियता ज्यादा है. इनमें 49.1% मोदी जबकि 28.4% राहुल और 10.8% केजरीवाल को पसन्द करते हैं.
केंद्र सरकार बनाम दिल्ली सरकार में दिल्ली आगे
59.1% लोग केंद्र सरकार से असंतुष्ट हैं, जबकि 63% अपने सांसद से खुश नहीं है. वहीं केजरीवाल सरकार की छवि मोदी सरकार की तुलना में बेहतर है. 50% लोग सरकार के प्रदर्शन से संतुष्ट. केजरीवाल से 69% और सिसोदिया से 60% लोग संतुष्ट हैं.
सरकार से खुश, विधायक से नाराज
52.3% लोग केजरीवाल सरकार से संतुष्ट हैं, जबकि 58.3% अपने विधायक से सन्तुष्ट हैं.
सीलिंग, मेट्रो किराए के लिए केंद्र जिम्मेदार
सीलिंग अभियान, मेट्रो किराए में बढ़ोत्तरी के लिए ज्यादातर लोग केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताते हैं.
भ्रष्टाचार, मंहगाई पर लगाम नहीं
59.7% लोग मानते हैं कि केजरीवाल सरकार के दौरान भ्रष्टाचार बढ़ा, जबकि 80% मानते हैं कि मंहगाई बढ़ी है. 51.5% लोग राशन घोटाले के लिए केजरीवाल सरकार को जिम्मेदार मानते हैं.
बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य से इमेज अच्छी
बिजली के बिल कम करने के लिए 52.3%, सरकारी स्कूलों की शिक्षा में सुधार लाने के लिए 52.2%, सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए 48.5% लोगों ने केजरीवाल सरकार की सराहना की.
LG-अधिकारियों से टकराव से इमेज खराब
LG से टकराव के मुद्दे पर 58.5 % लोगों ने केजरीवाल सरकार को गलत बताया, अधिकारियों से सरकार की लड़ाई के लिए 52.4% लोगों ने सरकार को जिम्मेदार बताया.
गिरावट के बाद ऊपर की ओर कांग्रेस का ग्राफ!
पिछले चुनावों के आंकड़ों की बात करें तो 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 46.40%, 'आप' को 32.90%, कांग्रेस को 15.10% वोट मिले थे. 2015 विधानसभा चुनाव में 'आप' को 54.3% , बीजेपी को 32.3% कांग्रेस को 9.7% वोट मिले थे. लोकसभा में जहां मोदी की आंधी चली वहीं विधानसभा में केजरीवाल की. दोनों चुनाव में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसके बाद 2017 में हुए दिल्ली नगर निगम चुनाव में बीजेपी को 37%, 'आप' को 26%, कांग्रेस को 21% वोट मिले.
बीजेपी ने अपने वोटर वर्ग पर पकड़ बरकरार रखी वहीं 'आप' पहले से काफी नीचे आई और कांग्रेस का ग्राफ ऊपर चढ़ा. दिल्ली में हुए दो उपचुनाव में भी एक बीजेपी और दूसरी 'आप' के खाते में गई लेकिन कांग्रेस ने कड़ी टक्कर देकर ये साफ कर दिया कि वो मुकाबले में लौट आई है. कांग्रेस को नंबर एक बनने के लिए अभी काफी मिहनत की जरूरत है. सबसे ज्यादा जरूरी है कि पार्टी के नेता गुटबाजी खत्म करें. यानी प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का कैम्प एकजुट हो कर लड़ें.
बहरहाल, कांग्रेस का सर्वे बताता है कि लोकसभा चुनाव में दिल्ली में उसकी वापसी होने वाली है. इस बात से कांग्रेसी खेमे में उत्साह है कि उसका जो वोटर आम आदमी पार्टी में शिफ्ट हो गया था वो वापस आ रहा है. हालांकि अब भी आम आदमी पार्टी की चुनौती उसके सामने बरकरार है. सवाल ये भी है कि क्या इन दोनों के बीच बीजेपी मैदान मार ले जाएगी? लेकिन इन सबके बीच इस सर्वे ने कांग्रेस को उत्साहित कर दिया है और वो उन क्षेत्रों के लिए रणनीति बनाने में जुटी है जहां वो कमजोर है.
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