नई दिल्ली: कभी उग्र हिंदुत्ववादी विचारधारा के लिए मशहूर रही शिवसेना अब सेक्युलर हो गई है. शिवसेना को मुस्लिम नेताओं ने सेक्युलर बना दिया है. महाराष्ट्र की राजनीति में महीने भर पहले तक उद्धव ठाकरे होने का मतलब हिंदुत्व का प्रतीक होता था. उद्धव ठाकरे का मतलब महीने पर पहले तक भगवा का पुजारी हुआ करता था. लेकिन अब देश में उद्धव और शिवसेना होने का मतलब बदल चुका है.


कहने के लिए अब शिवसेना सेक्युलर हो चुकी है. एबीपी न्यूज के रिपोर्टर जैनेंद्र ने गुरुवार को शपथ लेने के बाद जब सेक्युलर पर सवाल पूछा तो उद्धव ठाकरे उसका जवाब दे नहीं पाये और गुस्सा गये. जब बात शिवसेना के सेक्युलर होने की आएगी तो लोग ये जानना चाहेंगे कि कट्टर हिंदुत्ववादी छवि वाली शिवसेना को सेक्युलर बनाने के पीछे कौन लोग हैं?


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चार मुस्लिम चेहरे जिसने शिवसेना को बदल लिया


शिवसेना को बदलने में अहमद पटेल, नवाब मलिक, अबु आजमी और अब्दुल सत्तार का हाथ है. ये वो नाम हैं जिन्हें महाराष्ट्र में हिंदुत्व का मुसलमान कहा जा सकता है. इन्हीं लोगों की बदौलत महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस एनसीपी के नेतृत्व वाली महाविकास आघाड़ी की सरकार बनी है.


इन नेताओं में सबसे पहला और सबसे बड़ा नाम अहमद पटेल का है. अहमद पटेल ही वो नेता हैं जो सोनिया गांधी के कहने पर मुंबई में उद्धव ठाकरे से मिले थे. सोनिया का संदेश लेकर अहमद पटेल ने ही कट्टर हिंदुत्व वाली पार्टी शिवसेना को साथ आने के लिए तैयार किया. कॉमन मिनमिम प्रोग्राम से लेकर उद्वव के नेतृत्व में बनने वाले कांग्रेसी मंत्रियों का नाम भी अहमद पटेल ने ही तय किया.


कांग्रेस में अहमद पटेल शिवसेना को हिंदुत्व की राह से अलग राह पर ले जाने के लिए आगे थे तो एनसीपी में शरद पवार की आंख नाक कान बनकर नवाब मलिक हमेशा आगे रहे. नवाब मलिक पहले दिन से ही कैमरे के सामने शिवसेना को रूप बदलने के लिए तैयार करने वाले नेता के रूप में नजर आते रहे. जो नवाब मलिक शिवसेना को सांप्रदायिक कहते थकते नहीं थे वो ये कहने लगे कि शिवसेना सांप्रदायिक नहीं है और उनका साथ तीस सालों का है.


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इन दोनों मुस्लिम नेताओं के अलावा तीसरे मुस्लिम नेता अबु आजमी हैं. अबु आजमी समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं. न जानें उन्होंने अब कितनी बार शिवसेना और बीजेपी को कोसा होगा. मुंबई में उनकी राजनीति शिवसेना विरोध के नाम पर ही चलती थी. लेकिन अबु आजमी ने बीजेपी को रोकने के लिए शिवसेना से हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं किया. अब जब अबु आजमी शिवसेना के साथ खड़े हो चुके हैं तो ये जानना जरूरी हो जाता है कि छह महीने पहले तक यही अबु आजमी शिवसेना के बारे में क्या राय़ रखते थे. वे कहते थे कि शिवसेना और बीजेपी सबसे बड़ी कम्युनल है.


इन लोगों के अलावा एक और चौथा नाम अब्दुल सत्तार का है. अब्दुल सत्तार शिवसेना के इकलौते मुस्लिम विधायक हैं. कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनवाने के लिए उन्होंने बीजेपी के सिर फोड़ने तक की बात कही थी. पहले अब्दुल सत्तार अकेले थे और अब इनके साथ ये नए चेहरे हिंदुत्व के झंडाबरदार रहे शिवसेना के मुसलमान बन गये हैं. बदला हुआ शिवसेना का रूप कब तक ऐसा ही दिखेगा, ये देखने वाली बात होगी.