Exclusive: असम के नए सीएम हेमंत बिस्वा सरमा ने कोविड तैयारी से लेकर ऑक्सीजन प्लांट और CAA पर की बात
एबीपी न्यूज ने असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा से एक्सक्लूसिव बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय रखी. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कोरोना से लड़ने को लेकर उठाए गए कदमों के साथ-साथ कई अन्य मुद्दों पर अपनी बात रखी.
दिसपुरः असम के मुख्यमंत्री बनने के बाद हेमंत बिस्वा सरमा से एबीपी न्यूज ने एक्सक्लूसिव बातचीत की है. इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी राय खुलकर रखी और कई मुद्दों को विस्तार से बताया. बातचीत के दौरान मुख्यमंत्री सरमा ने राज्य के लिए अपनी प्रथमिकताएं गिनाईं तो सीएए और एनआरसी के अलावा बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर भी अपनी राय रखी.
मुख्य तीन एजेंडा कौन से हैं
हेमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि तीन एजेंडा यह तो बोलने की बात है ही नहीं कि कोविड से लड़ना आज के दिन में हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है. हम सब लोग को मिलकर इस चुनौती का सामना करना पड़ेगा. साथ ही साथ हमने जो तमाम वादे किए हैं हमारे चुनावी घोषणापत्र में जैसे विकास की राजनीति, पहचान की राजनीति इन दोनों मुद्दों पर हमलोगों ने जितनी भी प्रतिबद्धता जताई है उसको हमें आगे बढ़वाना होगा और यही मेरे सामने सबसे बड़ी चुनौती भी है.
सीएए और एनआरसी
NRC के मुद्दे पर असम में कोई विरोध नहीं है. कांग्रेस भी असम के संदर्भ में NRC का स्वागत करती है. UDF भी स्वागत करती है. तमाम राजनीतिक दल के लोग NRC का स्वागत करते हैं क्योंकि लोगों का मानना है कि NRC के माध्यम से ही विदेशी राष्ट्रीय मुद्दे का हल निकाला जा सकता है. अभी एक NRC का फाइनल लिस्ट निकला गया. सुप्रीम कोर्ट में हमारे NRC समन्वयक ने याचिका दाखिल की है और अगर सुप्रीम कोर्ट इजाजत दे तो हमलोग एक बार 20 प्रतिशत सैंपल को रीवेरिफिकेशन कर सकते हैं. जहां तक CAA का मुद्दा हैं यह संसद में पास हो चुका है. नागरिकता केंद्रीय मुद्दा है यह राज्य सरकार के अधीन नहीं हैं और अब CAA को लेकर कानून भारत सरकार बनाएगी. उन कानूनों को अमल करने के लिए अगर राज्य सरकार को कुछ करना होगा तो हमलोग करेंगे. लेकिन, नागरिकता पूरी तरह से केंद्र के अधीन है.
शरणार्थी और मुस्लिम घुसपैठ के मुद्दे पर ये कहा
आइडेंटिटी इश्यू में जो राय बीजेपी की है वही राय हमारी भी होगी. हम यह चाहते हैं कि हमारे यहां अर्थव्यवस्था में घुसपैठ ना हो. जो हमारे यहां नागरिकों के लिए सुविधाएं होनी चाहिए वो हम अभी भी नहीं दे पा रहे हैं. प्रधानमंत्री की ओर से सबके लिए मकान बनाने का जिम्मा हमें मिला है, सड़क नेटवर्क की कमी है, जल की समस्या है, अभी पाइपलाइन से पानी की सुविधाएं प्राप्त नहीं हो पा रही है तो हमें यह सब काम करना है. लेकिन अगर हजारों लोग बाहर से आते हैं तो हम यह काम कैसे कर पायेंगे? आर्थिक प्रवास ख़त्म होना चाहिए.
कोरोना के मुद्दे पर तैयारी को बताया
हमने कुछ पाबंदियां लगाई हैं. जैसे दोपहर 2 बजे से कर्फ्यू, कार्यालयों को बंद किया गया है. पिछले 3-4 दिन में कोरोना मामलों की संख्या कम हुई है. पहले गुवाहाटी में 1600 तक मामले सामने आते थे लेकिन 3 दिनों में 1100-1200 के आसपास मामले सामने आए हैं. मेरा मानना है कि हमारी जो पॉलिसीस हैं जिसमें 3 टी हैं जिसका मतलब है कि ट्रेस, ट्रैक, ट्रीट उसमें हमलोग काम शुरू किए हैं और अगर हम इसी रास्ते पर चलें तो कोरोना में कमी देखने को मिलेगी.
ऑक्सीजन प्लांट पर दी ये जानकारी
प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि छोटे-छोटे ऑक्सीजन प्लांट हॉस्पिटल में लगवाए जाएं तब हमने 13 ऐसे प्लांट बनवाये थे. 6 प्लांट का काम अभी चल रहा है. असम में ऑक्सीजन की व्यवस्था रहे इसके लिए हमने कदम उठाए हैं. आज के दिन हम अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर को ऑक्सीजन दे रहे हैं. केंद्र सरकार ने हमें 50 मीट्रिक टन का आवंटन किया हैं और हमारा जो खुद का उत्पादन 70 मीट्रिक टन यह दोनों मिला कर अभी हमारा काम चल रहा है. अभी तक असम में ऑक्सीजन के लिए कोई घबराने की बात नहीं है.
NEDA कनवेनर के साथ नई जिम्मेदारी पर बोले सीएम
मैं NEDA का संयोजक था और अभी असम के मुख्यमंत्री का दायित्व भी मेरे ऊपर है. नॉर्थ ईस्ट के सारे स्टेट को मिल कर काम करना है. प्रधानमंत्री जी का यह सपना है कि उत्तर पूर्वी भारत, देश के लिए एक नया विकास का इंजन बने. 7 स्टेट्स मिल कर काम कर रहे हैं. सिक्किम भी साथ में हैं और यह आठों राज्य साथ मिल कर काम करेंगे. जैसे कोरोना काल में हम एक दूसरे की सहयता कर रहे हैं ऐसे ही हम पर्यटन, कनेक्टिविटी, कानून एवं व्यवस्था पर भी हम लोगों को मिल कर काम करना होगा और तभी कुछ ना कुछ समाधान और तरक्की देखने को मिलेगी. असम के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ NEDA का भी दायित्व भी मेरे ऊपर है और इसीलिए मुझे लगता है कि असम के साथ समन्वय अच्छा होगा और हम लोग नॉर्थ ईस्ट में एक साथ मिलकर प्रधानमंत्री का सपना साकार करने का काम करेंगे.
असम में BJP
सोनोवाल साहब BJP में AGP से आये थे और मैं कांग्रेस से आया था. अंतर एक ही है कि सोनोवाल साहब 2 साल पहले आये थे और मैं 2 साल बाद आया हूं. लेकिन हम लोग मिल कर BJP के विकास के लिए कुछ ना कुछ जरूर किए हैं. चुनाव के बाद नेतृत्व ने यह निर्णय लिया कि मुझे असम संभालना है और सोनोवाल जी को कुछ अलग काम करना है. यह एक पार्टी का फैसला है, पार्टी के सामने कोई ज़िद नहीं चलती है. 2019 में मैंने पार्टी के अंदर बात रखी कि मुझे MP चुनाव लड़ने का मौका दिया जाये लेकिन पार्टी ने मना कर दिया था तो हम नहीं लड़े. BJP एक परिवार हैं और यहां जीत का कोई स्थान नहीं हैं यहां हमें दायित्व दिया जाता हैं और हमें उस दायित्व को निभाना पड़ता है.
बंगाल में बीजेपी की हार पर क्या बोले असम के सीएम
मैं बंगाल में BJP की हार को नहीं मानता हूं. 3 से 75 की संख्या पर पहुंचना और एक सिटिंग मुख्यमंत्री को हराना, मुझे लगता है कि यह बहुत बड़ी राजनीतिक उपलब्धियां हैं. तो मेरे हिसाब से बंगाल की राजनीति अलग है और जैसे जनसंख्या पैटर्न का जो दबाव है उसी हिसाब से मुझे लगता है की BJP ने बहुत अच्छा परिणाम दिया है और यह तो सेमी फाइनल है. हमारा प्रयास आगे चलता रहेगा.
बंगाली सभ्यता का मूल्य
असम में चुनाव हुआ और आप जानते हैं कि असम में मिलिटेंसी है. यहां आंदोलन और अशांति भी है लेकिन जब चुनाव के परिणाम के बाद आज तक 15 दिन हो गए हैं लेकिन कोई एक राजनतिक हिंसा तो छोड़िये कोई BJP का कार्यकर्ता कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अपशब्द तक नहीं बोला है. मेरे शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए कांग्रेस, BPF, UDF को फ़ोन किया और सारे दल के विधायक मेरे शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित रहे. अभी आप बंगाल को देखिये जहां से हम सीख लेते हैं जहां से हमें संस्कृति की शिक्षा मिलती हैं, वो रबीन्द्रनाथ टैगोर, सुभाषचंद्र बोस की धरती है, लेकिन उस धरती में जैसे ही चुनाव के नतीजे आये उसके बाद जो लोगों ने देखा, जो BJP के कार्यकर्ता के ऊपर अत्याचार हुआ, महिलाओ के साथ रेप की घटनाएं सामने आईं यह बहुत ही दुखदायक है. आज मैं असम के नागरिक के रूप में बहुत ही गर्व महसूस करता हूं कि चुनाव के बाद हमने डेमोक्रटिक एथिक्स और वैल्यूज को माना है. बंगाल हमसे बहुत बड़ा राज्य हैं, बड़ी सभ्यता का इतिहास है. लेकिन जनतंत्र का अगर कोई मुकाबला हो तो असम बंगाल को हरा कर बहुत आगे निकल जाएगा. आज बंगाल से यहां भाई, बहन, माताएं आईं हमने जितना संभव हुआ उनकी मदद की. मेरा मानना है कि बंगाल सरकार ने मेरे भाई, बहन, मां-बाप, को अपने घर तक वापस ले जाना चाहिए यह उनकी ज़िम्मेदारी है. यह ज़िम्मेदारी उनको निभानी चाहिए.
बंगाल हिंसा
साल 2019 चुनाव के दौरान मेरे ऊपर भी पत्थर पड़ा था. उस दौरान मैं मेदिनीपुर क्षेत्र में एक रैली में था. वो सोचते भी नहीं हैं की इस पत्थर से किसी की जान जा सकती है. ऐसी राजनीतिक हिंसा मैंने कहीं नहीं देखी जिसमें पत्थर उठा कर लोगों पर निशाना साधा जाए. कोई कानून की व्यवस्था नहीं थी उस दिन मैंने यह खुद अनुभव किया था. जब बंगाल में हिंसा की शिकायतें आई तब लोगों ने बोला कि यह तो पुराना वीडियो है. मैं अपने 2019 के अनुभव से इतना बोल सकता हूं कि हर आरोप कम हैं इससे भी ज़्यादा हिंसा हुई हैं. बहुत लोगों ने डर के मारे शिकायत भी दर्ज नहीं करवाई है. उन लोगों ने चुप-चाप सब सह लिया है. ममता दीदी से मेरा अनुरोध है कि चुनाव का परिणाम छोड़ दीजिए लेकिन जो तुष्टिकरण की राजनीति है उससे आपको मुख्यमंत्री की गद्दी मिल सकती हैं लेकिन बंगाल की जो सभ्यता है उसे क़द्र करना आपका दायित्व है. आप खुद असम आइये और हमारे यहां के राहत शिविर में जो लोग हैं उनको ले जाइये तब लोग आपको सम्मान देंगे और आपके शुक्रगुजार होंगे.
बंगाल से आये लोग पर क्या कहा
अगर मैं बंगाल में हल्ला करने जाऊं तो आप मुझे एयरपोर्ट पर रुकवा दीजिये, मैं कोई राज्य में जाऊं और मेरे जाने के कारण उस राज्य में कानून एवं व्यवस्था की दिक्क्त होती हैं तो आप मुझे भी मना कर सकते हैं. यह CRPC में एक धारा भी है. लेकिन जब बंगाल से 700-800 परिवार अपने घर छोड़ कर असम आए तो हमने उन्हें अपनी ताकत के अनुसार उनके लिए व्यवस्था करने की कोशिश की. अगर एक दिन महुआ मोइत्रा को एयरपोर्ट में रुकवा दिया तो NRC प्रकाशन के दिन उनको आने की क्या जरूरत थी. ऐसा तो नहीं है कि मैं किसी को भड़काने जाऊंगा.
सिल्क असामीज
वो हमारे पारंपरिक वस्त्र हैं. हमारे लोग वही वस्त्र पहनते हैं. आज भी अगर हम बोरडोवा में जाते हैं जहा महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव ने जन्म लिया था तो हमें वही वस्त्र पहना अनिवार्य होता है. हम लोग इसको बहुत करीब से देखते हैं और यह हमारे सभ्यता के मूल्यों को दर्शाता है.
परिवार के बारे में हेमंत बिस्वा सरमा ने ये कहा
हेमंत बिस्वा सरना ने कहा कि आप मेरे घर इंटरव्यू करने आये हैं और देख सकते हैं कि परिवार के साथ मेरा समायोजित होना मुश्किल है क्योंकि मुझे काम करना होता है. मेरे घर में एक परिवार हैं लेकिन जो असम के तमाम लोग हैं वो भी मेरे परिवार के ही लोग हैं तो मुझे अपने दोनों परिवार को समय देना पड़ेगा.
सर्बानंद सोनोवाल के लिए ये कहा
शपथ ग्रहण के बाद जब मेरे कैबिनेट का निर्माण हुआ, पहले ही दिन सुबह पूरी कैबिनेट के साथ सर्बानन्द सोनोवाल जी के घर गया और नाश्ता किया. उनसे दिशा निर्देश लिया. कल मैं माजुली में था अभी तक मैं अपने विधानसभा में नहीं गया लेकिन मैं माजुली गया और उनसे कहा की पहले आपके एक मुख्यमंत्री थे लेकिन अब आपके दो-दो मुख्यमंत्री हैं. सर्बानंद सोनोवाल जी हमारे नेता थे और रहेंगे. आप असम की घटनाओं को ट्रैक करें लेकिन कोई भी नहीं बोल पायेगा कि सर्बानंद सोनोवाल और हिमंता बिस्वा सरमा के बीच थोड़ा भी अंतर है.