EXCLUSIVE: विक्रम जोशी हत्याकांड में सामने आई पुलिस की बड़ी लापरवाही, क्या बच सकती थी पत्रकार की जान ?
पत्रकार विक्रम जोशी की बहन ने उनकी मौत से ठीक 3 दिन पहले गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी को चिट्ठी लिखी थी. इस मामले में कार्रवाई नहीं हुई और परिणाम हुआ कि विक्रम जोशी की जान चली गई.
नई दिल्ली: गाजियाबाद के विजय नगर में अपने आवास के पास हमलावरों के गोली के शिकार हुए पत्रकार विक्रम जोशी का पिछले दिनों निधन हो गया. पत्रकार पर तब हमला किया गया था जब वह 20 जुलाई की रात अपनी दो बेटियों के साथ अपनी बहन के घर से लौट रहे थे. इस मामले में पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है. एबीपी न्यूज ने इस पूरे मामले की पड़ताल की और पता लगाया कि विक्रम जोशी की हत्या से पहले और बाद में क्या क्या हुआ था? पड़ताल में हमने पाया कि पत्रकार विक्रम जोशी की बहन के घर पर वो गुंडे धमकाने आए थे और वहां उनकी विक्रम से बहस भी हुई थी. इसके बाद विक्रम जोशी ने अपनी हत्या से ठीक एक घंटे पहले प्रताप विहार चौकी के इंचार्ज राघवेन्द्र सिंह को फोन किया.
फोन पर हुई इस पूरी बातचीत को यहां पढ़िए 20 जुलाई, 2020 रात 9: 26 बजे
चौकी इंचार्ज - हैलो विक्रम - आपकी तबीयत ठीक नहीं है, भैया नमस्कार चौकी इंचार्ज - हांजी विक्रम - भैया तबीयत ठीक ना है कुछ? चौकी इंचार्ज - नहीं तबीयत ठीक नहीं है. विक्रम - चलो सुबह बात करूंगा, वो लड़के दो चार लड़ने के लिए आए थे यहां कॉलोनी में ही. चौकी इंचार्ज - अच्छा कौन लड़के आए थे. विक्रम - वो जो रवि के साथ हैं, तीन चार जने. चौकी इंचार्ज - बहुत मुकदमेबाजी हो गई है, तुम्हें मुझे दिख रहा है. विक्रम - अच्छा ठीक है भैया, आप तबीयत ठीक कर लो, मैं सुबह मुलाकात कर लूं कब? चौकी इंचार्ज - ठीक है, ओके.
विक्रम जोशी की बहन ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया, ''प्रताप विहार चौकी इंजार्ज को कॉल किया गया था उन्होंने कहा था कि जोशी साहब मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मैं सुबह मुलाकात करूंगा... लेकिन वो किसी और को तो भेज सकते थे.''
आज पुलिस ने अपनी खानापूर्ति के लिए चौकी इंचार्ज को सस्पेंड कर दिया है, लेकिन क्या ये काफी है? अगर चौकी इंचार्ज ने उस रात किसी और को भेज दिया होता तो विक्रम जोशी जिंदा होते...क्योंकि इसके बाद ही विक्रम पर हमला हुआ, जब वो अपनी बेटियों के साथ अपनी स्कूटी से घर जा रहे थे.
जहां पत्रकार की हत्या की गई वहां से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर पुलिस स्टेशन है. 700-800 मीटर की दूरी पर पुलिस चौकी है. 20 जुलाई की रात को जैसे ही बदमाशों ने विक्रम जोशी को गोली मारी, उनकी भांजी ने तुरंत विक्रम के दोस्त को फोन किया. ये फोन कॉल रात में 10 बजकर 44 मिनट पर किया गया.
विक्रम गाजियाबाद में लोकल जर्नलिस्ट थे, उन्हें गोली मारे जाने की खबर तुरंत फैल गई. उसी रात को विक्रम के मोबाइल पर उनके संपादक का फोन आया, जिसे विक्रम के भांजे ने उठाया. उसने उन्हें पूरी कहानी बताई. इसके बाद विजयनगर थाने के SHO राजीव कुमार का फोन भी विक्रम जोशी के मोबाइल पर आया. उन्होंने भी पूरी जानकारी लेकर फोन रख दिया. दरअसल, इस हत्या को लेकर सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि विक्रम जोशी की बहन ने हत्या से ठीक 3 दिन पहले गाजियाबाद के एसएसपी कलानिधि नैथानी को चिट्ठी लिखी थी.
इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा है, ''प्रार्थिनी की पुत्रियां लगभग 9 बजे रात में घर के बाहर खड़ी थीं, तभी वहां पर अचानक से चार लड़के रवि, छोटू और उनके साथ दो अज्ञात लड़के आए और पुत्रियों पर गंदे गंदे कमेंट करने शुरू कर दिए. अश्लील हरकतें और छेड़छाड़ भी की. लड़कियों के भाई ने विरोध किया, तो इन चारों ने उसके साथ मारपीट कर दी. चारों लडकों ने प्रार्थिनी की पुत्रियों के साथ मौका मिलने पर रेप की धमकी दी और भाग गए. प्रार्थिनी डरी हुई है कि कहीं ये उसे उठाकर ना ले जाएं या कोई अनहोनी घटना ना घटित हो जाए. इसलिए इनके खिलाफ केस दर्ज किया जाए.''
वरिष्ठ अधिकारी को लिखी गई इस चिट्ठी के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई और यही वजह रही ही पत्रकार विक्रम जोशी की जान चली गई. घटना के बाद गाजियाबाद से सांसद जनरल वीके सिंह भी परिवार वालों से मिलने पहुंचे. उन्होंने कहा कि जब गलती होती है, तभी गलतियों का पता चलता है. पुलिस प्रशासन को बताया गया कि है आगे ऐसा ना हो.