कृषि कानूनों के खिलाफ लंब समय से जारी आंदोलन में दरार पड़ती दिख रही है. ये फूट भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी के बयान की वजह से पड़ी है. उन्होंने पंजाब के किसान नेताओं से चुनाव लड़ने की अपील कर नए विवाद को जन्म दे दिया है. राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं. एबीपी न्यूज़ के सहयोगी चैनल एबीपी सांझा से गुरनाम सिंह चढूनी ने एक्सक्लूसिव बातचीत की है.


पंजाब किसान नेताओं के चुनाव लड़ने वाले बयान पर चढूनी ने कहा कि सिस्टम को बदलना जरूरी है. अगर कोई पार्टी जीतकर सत्ता में आती है तो इसकी क्या गारंटी है कि वो तीनों कृषि कानूनों को रद्द कर दे और एमएमसपी पर कानून की गारंटी दे. उन्होंने दावा किया कि विपक्ष ने किसानों का साथ नहीं दिया.


गुरनाम सिंह चढूनी ने साफ किया कि हम अपने आंदोलन से एक कदम पीछे नहीं हटेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा प्रदर्शन को लेकर जो कार्यक्रम तय करेगा उसमें हमारा संगठन सबसे ज्यादा भागीदारी देगा. बातचीत में उन्होंने आगे कहा, “आज संयुक्त मोर्चे में पंजाब के जो लोग शामिल हैं और प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी तरफ पूरा पंजाब देख रहा है. उन्हीं लोगों से मैंने कहा कि आज समय है कि पंजाब में एक मॉडल पेश किया जाए. जैसे एक फिल्म में एक दिन का मुख्यमंत्री बना था और उसने कर के दिखाया...आप लोग चुनाव लड़िये, अच्छे लोगों को आगे लेकर आइए. अगर आपने कुछ कर के दिखाया तो 2024 में पूरा देश आपके पीछे आएगा.”


गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने उन्हें सात दिनों के लिए सस्पेंड किया है लेकिन सात दिन बाद भी वे सस्पेंड करने के लिए तैयार रहें क्योंकि उनका बयान नहीं बदलने वाला है. उन्होंने कहा, “चुनाव लड़ना जरूरी है और मैं अपनी बात पर कायम हूं.”


इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर तीनों कृषि कानून वापस हो जाएंगे तो किसानों की मौत नहीं होगी लेकिन वो ‘वेंटिलेटर’ पर ही रहेगा. किसानों को मौत से बचाने के लिए आंदोलन का रास्ता है और उनको वेंटिलेटर से उठाने के लिए ‘मिशन पंजाब’ का रास्ता है.


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