एक्सक्लूसिव: संजय झा ने कहा- सीएम नीतीश ने की 44 डिग्री से लेकर 4 डिग्री तक में यात्राएं
बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने एबीपी न्यूज़ से एक्सक्लूसिव बातचीत में सीएम नीतीश कुमार के डिजिटल प्लान के बारे में खुलकर बात की.
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री जनता के बीच जाने को उतावला हो रहे हैं. बिहार में 15 साल में 14 यात्रा कर चुके हैं. डिजिटल पर काम करने की मजबूरी नहीं रहती तो जनता के बीच ही होते. बिहार के आपदा में हर बार जनता के बीच में जाते रहे हैं. लेकिन कोरोना की वजह से जनता के बीच नहीं जाना मजबूरी होती है. नीतीश ने कहा कि 44 डिग्री से लेकर 4 डिग्री तक में हर साल यात्रा में निकल चुके हैं. इस बार कोरोना नहीं होता तो यात्रा पर निकले हुए होते. पति-पत्नी राज करने लिए सत्ता में आए थे, लेकिन जनता ने मुझे मौका दिया तो हम रात दिन काम में ही लगे रहे. बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने एबीपी न्यूज़ के बिहार संपादक प्रकाश कुमार से नीतीश कुमार के डिजिटल प्लान के बारे में बात की.
संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार घर पर बैठ कर डिजिटल काम करने वाले बिल्कुल आदमी नहीं हैं. अब इलेक्शन कमिशन जब घोषणा करेगी तब वह गाइडलाइन भी जारी करेगी कि कैसे मीटिंग होगी, लेकिन अगर उन्हें मौका मिला तो वह बिल्कुल चाहेंगे कि वो जनता के बीच जाएं और अपनी बात रखें. लेकिन कोरोना को देखते हुए इलेक्शन कमिशन क्या फैसला लेती है यह देखना है. वैसे हम लोग डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल करने को पूरी तरह से तैयार हैं.
बिहार के हर घर में कम से कम एक व्यक्ति सोशल मीडिया पर है
यह बात सही है कि बिहार के लोगों का डिजिटल प्रेजेंस बहुत बड़ा है. मेरे लिए भी न्यूज़ था कि 2 करोड़ से ज्यादा लोग फेसबुक पर हैं बिहार में. मोबाइल बिल्कुल जनसंख्या के बराबर है. हर घर में मोबाइल दिखता है. डिजिटल पर भी आप मेकअप बनाकर कोई चीज़ को नहीं कर सकते हैं. सच्चाई को आप डिजिटल पर डालियेगा तभी न पब्लिक कनेक्ट होगा. हम लोग अपना अचीवमेंट लेकर जाते हैं तो लोग कनेक्ट कर पाता है. लेकिन झूठ कोई जाकर कहे कि हमको इतना लोग लाइक करता है तो वो सच्चाई से परे है और वो पब्लिक माइंड में भी नहीं जाता है.
तेजस्वी डिजिटल पर झूठ फैला रहे
मैं यह कह रहा हूँ कि जब आप डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी जाकर झूठ बोलेंगे, तो पब्लिक कनेक्ट कर लेती है. जनता समझदार है और वोट देने के समय भी वह सोच समझ कर वोट देती है. डिजिटल प्लेटफॉर्म महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म हो गया है लेकिन वहां भी आप सच्चाई बोलिएगा तो वो लोगों को समझ आएगा. डिजिटल पर जो मुख्यमंत्री जी ने पहले बात की है और आगे की भी प्लानिंग चल रही है. अभी क्लेरिटी नहीं है लेकिन आगे जब भी काम होगा तो मुख्यमंत्री जनता से उस प्लेटफार्म से जुड़ने का काम करेंगे.
नीतीश के लिए डिजिटल पर रहना एक चुनौती है
ओनेस्टली बताऊं तो यह चीज जिसने हमेशा जनता के बीच पॉलिटिक्स किया है उसे अचानक कह दीजिए कि आप कमरे में बैठ कर कैमरा लगाकर बोलिये वो डफिकल्ट चीज़ है. हम लोग डिजिटल थोड़ा समझ भी लेते हैं लेकिन उनका टेम्परामेंट एक जनता के बीच वाला टेम्परामेंट है. डिजिटल से वो कभी भी कम्फ़र्टेबल होंगे इसमें मुझे संदेह है. उनको अभी भी लगता है लोग कहते हैं कि 85 दिन रहे. नीतीश ने कई बार अधिकारियों से पूछा कब निकल सकते हैं
मेरे सामने उन्होंने कितनी बार लोगों से पूछा है कब निकल सकते हैं. कब जा सकते हैं. कहीं क्वारन्टीन सेंटर ही देख कर आएंगे. लेकिन उनके निकलने का मतलब एक साथ कई लोगों का निकलना. ऐसे में यह मुश्किल है.
चुनाव प्रचार में जनता से सामना नहीं होगा
डिजिटल पॉलिटिक्स का इनका टेम्परामेंट नहीं हैं. ट्रेडिशनल पॉलिटिक्स का जो इनलोग का छात्र जीवन से रहा है, वो लोगों के बीच जाकर ही वो मूड को भी गौज करते हैं. कुछ अच्छा कुछ बुरा समर्थन प्रोटेस्ट वो सब वहीं से गौज होता है. लेकिन इस कोविड में क्योंकि चुनाव बिहार में होना है इस साल यह लग रहा है कि मुश्किल है इस तरह का रैली या कार्यक्रम.
नीतीश का कमिटमेंट सलमान खान जैसा
संजय झा ने सलमान के कमिटमेंट जैसे सीएम नीतीश का भी कमिटमेंट वाले बात के संबंध में कहा कि नहीं मतलब उन्होंने कहा कि अगली बार मौका मिला तो हर खेत को पानी देंगे. तो मैं याद कर रहा था कि सलमान खान की फ़िल्म में एक डायलॉग था एक बार जो मैं कमिटमेंट कर देता हूँ तो मैं खुद की भी नहीं सुनता. लोगों ने बिहार में देखा है भाषण देने एक बात है लेकिन उन्होंने कमिटमेंट किया कि मैं बिजली नहीं दूंगा तो आप वोट करने बाहर मत निकलियेगा यहीं गांधी मैदान में उन्होंने यह बात कही थी. यह रेयर पॉलिटिक्स का हिस्सा है. अगर मैं सड़क बनाने के कमिटमेंट किया, लॉ एंड ऑर्डर को लागू करने का कमिटमेंट किया तो उसे पूरा किया. यह पब्लिक भी जानती है कि अगर नीतीश कुमार ने कुछ बोला है कुछ कमिटमेंट किया है तो उसे जरूर पूरा करेंगे.
तेजस्वी तो खुद बिल से बाहर निकला है
बिहार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय झा ने आरजेडी पार्टी कार्यालय के बाहर सीएम नीतीश के खिलाफ पोस्टर लगाए जाने के सम्बंध में कहा कि वो तो खुद भागे रहते हैं, उनको क्या पता है कि क्या काम हो रहा है. अभी 70 दिन से तो भागे हुए ही थे, जब पीक था और जनता बुरी तरह यहां घिरी हुई थी तब वो यहां थे क्या, वो तो यहां थे नहीं देखने के लिए कि यहां क्या काम हो रहा है. उनको क्या आईडिया है. चुनाव आ गया तो आ गए. नीतीश कुमार जी का अगर डे वन से कोई रूटीन जाकर फॉलो करे जिस दिन से लॉकडाउन हुआ है उससे आज तक तो देखेंगे कि कोई ऐसा दिन नहीं हुआ है कि उन्होंने किसी चीज को गंभीरता से ना देखा हो. तभी बाकी जगह की स्थिति खराब हो रही है, लेकिन ऊपर वाले की कृपा से बिहार में आउट ऑफ हैंड चीजें नहीं हुई हैं. इतने लोग बाहर से आएं हैं. 100 लोग को आप खाना खिलाते हैं तो आपको समस्या हो जाती है, लाखों लोग आए 14 दिन क्वारन्टीन में रहें आप उनसे जाकर सवाल पूछिये.
सही मायने में लीडर ऑफ ऑपोजिशिन का यह ड्यूटी है कि आपदा के समय में आप रहें और सरकार के काम को क्रिटिसाइज करें. इतने बड़े क्राइसिस में हम लोग के लाइफटाइम में इतना बड़ा क्राइसिस नहीं आएगा हम लोग के ऊपर के भी जनरेशन में. लेकिन इतने बड़े क्राइसिस में लीडर ऑफ ऑपोजिशिन अपने स्टेट से ही गायब हो जाए उसके बाद उनको पूछने का कोई अधिकार नहीं बच जाता है. जब आप यहां से खुद ही गायब हो गए थे और आप ट्रेंड देखिएगा जब भी क्राइसिस आया वो आपको दिखाई नहीं पड़ेंगे.
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