नई दिल्ली: इस महीने की शुरुआत यानी 1 मई के दिन अमेरिका के न्यूयॉर्क में 1 हजार 8 सौ 65 लोग कोरोना से संक्रमित हुए थे और उसी दिन मुंबई में साढ़े सात सौ पॉजिटिव केस हुए यानि न्यूयॉर्क के आधे से भी कम लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि ये कहानी अब पलट चुकी है. अब मुंबई में एक दिन में न्यूयॉर्क से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव हो रहे हैं.18 मई को न्यूयॉर्क में एक भी मरीज की मौत नहीं हुई, जबकि मुंबई में मौत का आंकड़ा रोज बढ़ रहा है. अकेले धारावी में जितने कोरोना मरीज हैं, वो ओडिशा, हरियाणा और झारखंड जैसे कई बड़े राज्यों से ज्यादा है. इन सबके बीच हर रोज जिस तरह मुंबई में सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ रही है उसके कारण सवाल उठ रहे हैं कि कहीं कोरोना के मामले में मुंबई की हालत न्यूयॉर्क जैसी तो नहीं हो जाएगी?



क्या मुंबई भारत का 'न्यूयॉर्क' बन जाएगा? आप सोच रहे होंगे ये सवाल क्यों लेकिन हमारे कहने का मतलब ये नहीं है कि मुंबई अब न्यूयॉर्क जैसा विकसित बनने वाला है, धनवान बनने वाला है. फिलहाल विकास के पैमाने पर दोनों शहरों की ऐसी तुलना बेमानी है और यहां बात कोरोना संक्रमण की है. दरअसल कोरोना मरीजों के आंकड़े में मुंबई उसी तरह बढ़ रहा है जैसे न्यूयॉर्क बढ़ा। अमेरिका के कुल कोरोना मरीजों के 12.19% सिर्फ न्यूयॉर्क में हैं तो मुंबई में भारत के 21.3% कोरोना मरीज हैं. वहीं मौते के मामले में भी मुंबई, न्यूयॉर्क की राह पर चल रहा है. अमेरिका में हुई कुल मौत का 22.32% अकेले न्यूयॉर्क में हुआ  जबकि भारत में हुई कुल मौत का 24.22% मुंबई में हुआ. हालांकि मौत की दर मुंबई में न्यूयॉर्क के मुकाबले बहुत कम है न्यूयॉर्क में मौत की दर 10 फीसदी से भी ज्यादा है जबकि मुंबई में ये आंकड़ा साढ़े 3 फीसदी के करीब है. चिंता की बात है मुंबई में रोजाना नए मरीजों की बढ़ती संख्या और यहां वो न्यूयॉर्क से आगे दिख रहा है. मई में मुंबई में कोरोना तेजी से फैला...पिछले 2 हफ्ते के दौरान ही मुंबई में करीब 60 फीसदी मामला सामने आया है. न्यूयॉर्क में रोजाना अब सिर्फ 49 केस आ रहे हैं जबकि एक मई को यहां 1865 नए केस आए थे लेकिन मुंबई में एक दिन में नए मरीजों की संख्या 1185 तक पहुंच गई. ये आंकड़े 18 मई के हैं. 19 मई को मुंबई में कोरोना के 1411 नए मरीज आए हालांकि कोरोना के कुल मरीजों की तुलना में मुंबई, न्यूयॉर्क से अभी काफी पीछे है लेकिन कोरोना की रफ्तार यहां और बढ़ सकती है और इसकी वजह है मुंबई की घनी आबादी.



न्यूयॉर्क का क्षेत्रफल 783 वर्ग किलोमीटर जबकि मुंबई का इलाका 603 वर्ग किमी का, लेकिन जहां न्यूयॉर्क में एक वर्ग मील में 28 हजार लोग रहते हैं वहीं मुंबई में एक वर्ग मील इलाके में 73 हजार लोग रहते हैं. इसी जनसंख्या घनत्व की वजह से कोरोना का खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है क्योंकि तब सोशल डिस्टेंसिंग का पालन मुश्किल हो जाता है. सोशल डिस्टेंसिंग का यही खतरा सबसे ज्यादा मुंबई के धारावी में है, जहां सिर्फ 2 वर्ग किलोमीटर के इलाके में करीब 7 लाख लोग रहते हैं, नतीजा ये है कि धारावी में धीरे धीरे कोरोना की रफ्तार बढ़ती जा रही है. सिर्फ धारावी में 1353 कोरोना पॉजिटिव हैं जबकि यहां 56 लोगों की मौत हो चुकी है. धारावी में एक-एक कमरे में 8 से 10 लोग रहते हैं, कॉमन टॉयलेट शेयर करते हैं, तंग गलियां हैं, गंदगी का अंबार है, कोरोना को हराने के लिए जरूरी सैनिटाइजेशन का नामो-निशान नहीं है और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना तो मुश्किल ही नहीं नामुमकिन भी है.



मुंबई में प्रवासी मजदूरों की वजह से भी सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है. कल ही बांद्रा ट्रर्मिनल पर ट्रेन पकड़ने के लिए मजदूरों की भारी भीड़ जमा हो गई. आज फिर बांद्रा ट्रर्मिनल के करीब प्रवासी मजदूरों की वैसी ही भीड़ दिखी जहां लोग एक दूसरे के करीब बैठे थे मनो जैसे कोरोना का खतरा ही खत्म हो गया हो. हालांकि आज पुलिस और रेल प्रशासन ने कल की गलतियों से सबक सीखते हुए काफी सख्ती दिखाई और सिर्फ उन्हीं लोगों को एंट्री दी गई, जिनका रजिस्ट्रेशन हो चुका है. हालांकि बसों से यात्रियों के उतरते वक्त कहीं भी सोशल डिस्टेंसिंग नजर नहीं आया.



ABP न्यूज़ की रिपोर्ट में भी दिखा कि सामाजिक दूरी का पालन नहीं हो रहा है. सवाल है कि क्या इसकी वजह मुंबई में पुलिस पर कोरोना का बढ़ता कहर है क्योंकि जिन पर कोरोना काल में नियमों को पालन कराने का जिम्मा है वो भी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. मुंबई पुलिस पर कोरोना की मार का आलम ये है कि पिछले 24 घंटे में 60 पुलिसकर्मी पॉजिटिव हो चुके हैं, महाराष्ट्र में करीब 1400 पुलिसकर्मी कोरोना पॉजिटिव हुए, जिनमें 142 अधिकारी भी शामिल हैं और कोरोना से 12 पुलिसवालों की जान जा चुकी है. यही वजह है कि मुंबई की सड़कों पर अर्द्धसैनिक बलों को उतारने की नौबत आ गई. अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुंबई में कोरोना का खतरा किस कदर बढ़ता जा रहा है और इसलिए यहां खतरा न्यूयॉर्क जितना ही बड़ा है. इस बात का अंदाजा सरकार को भी है और यही वजह है कि इलाज को लेकर तैयारी भी न्यूयॉर्क जैसी ही हो रही है.



आने वाले दिनों में अस्पतालों में बेड की कमी ना पड़ जाए, लिहाजा उद्धव सरकार ने बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में एक अस्थायी अस्पताल बनवाया है. 2 दिन पहले ही अस्पताल बीएमसी को सौंपा गया है. इसी तरीके से टेंट के भीतर अस्थायी अस्पताल की तस्वीरें एक महीने पहले न्यूयॉर्क से भी आई थी. मुंबई में इस टेंट वाले अस्पताल को बनाने में 20 करोड़ की लागत आई है. अस्पताल में कुल 1008 बेड हैं जिनमें 500 बेड उन मरीजों के लिये हैं जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है.



साल 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जब महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार कर रहे थे तो उन्होंने मुंबई की जनता से वादा किया था कि वो मुंबई को चीन के सर्वश्रेष्ठ शहर शंघाई की तरह बनाएंगे. मुंबई, शंघाई तो नहीं बनी लेकिन कोरोना के आंकड़ों को लेकर वो न्यूयॉर्क के रास्ते पर चल पड़ी है. ऐसे में जब खबर आती है कि मुंबई में कोरोना के मरीज अपना नाम, पता और फोन नंबर की गलत जानकारी दे रहे हैं तो चिंता और बढ़ जाती है और लगता है कि कहीं वाकई मुंबई कोरोना के मामले मे न्यूयॉर्क न बन जाये.


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