EXCLUSIVE: राम मंदिर निर्माण की पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल ने कहा मंदिर निर्माण से हज़ारों साल के अपमान का परिमार्जन होगा
कामेश्वर चौपाल ने कहा कि, संघ के प्रचारक होने के नाते मैं भी संकल्पित हूँ और मैं भी इन संस्कारों को सीखा हूँ. इस मोक्ष की इच्छा नही यह स्वर्ग केवल धूल है. छोड़कर आँचल जननी का ठानना जग भूल है. संसार में सबसे बड़ा हमारे लिए इस भारत माता का आँचल है.
1989 में रामजन्म भूमि के निर्माण की पहली शिला यानि ईंट रखने वाले बिहार के कामेश्वर चौपाल ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का बनना हज़ारों साल के अपमान को धोना है. हम समझ रहे कि हिन्दू समाज के मन में एक टीस थी जो इस काल में हमारे देवों को अपमानित किया गया, उसको अपने हाथों से परिमार्जन कर स्वाभिमान का अनुभव करेगा. संघर्ष में कभी इस प्रकार का माहौल नही आया कि समाज के संस्कृति और सभ्यता के नाते गौरव का अनुभव कर सके. यह राम जन्मभूमि हजारों साल के अपमान के पीड़ा को ढोने वाला है और हिन्दू समाज प्रेरणा लेकर फिर से इसे तैयार करने में जुटे हैं और मुझे लगता है मंदिर निर्माण से व्यक्ति के चरित्र में भी खास परिवर्तन होगा.
एबीपी न्यूज़ के बिहार संपादक प्रकाश कुमार से बात चीत में कामेश्वर चौपाल ने कहा कि वह दलित हैं पर दलित तो हम स्वार्थ से हैं. देश की राजनीति में जाति व्यवस्था ध्रुव सत्य है. आरएसएस के प्रचारक रहे कामेश्वर चौपाल लालू यादव के आरएसएस के विरोध पर कहते हैं कि लालू अभी बहुत कष्ट में है. समय रहता तो कुछ दिन सानिध्य में बैठकर संघ बनाते तो लालू जी को संघ समझ में आता. संघ ऐसा चीज है जो दूर से नही समझा जा सकता जैसे किसी गूंगा को रसगुल्ले का स्वाद समझ नही आता वैसे ही दृष्टिहीन को कभी सूरज दिखाई नही देगा. कामेश्वर चौपाल से जब पूछा गया कि आरएसएस के बारे में कहा जाता है कि हिन्दू और मुसलमानों के बारे में नफरत फैलाता है तो उन्होंने कहा कि किसी भी धर्म से विद्रोह नही करता है लेकिन जब शत्रु आएगा और शत्रु भाव से जब कहेगा तो स्वाभाविक है कि रिएक्शन वैसा होता है, लेकिन हमारा धर्म किसी के प्रति घृणा और विद्वेष का नही है और आरएसएस कभी सपनो में ये नही दिखाता लेकिन आरएसएस ये जरूर कहता है कि यह हमारी मातृभूमि है हमारा व्यक्ति धर्म जो भी हो, हमारा एक राष्ट्र धर्म होना चाहिए जिसमें सबो को लेकर चले जो हमारे पूर्वजों का संकल्प है. सर्वे भवंतुः सुखिन, सर्वे भवंतुः निरामयः यह समाज तब स्वरूप होगा तो इसप्रकार का हमारे संघ का सोच है. बिहार के सीएम नीतीश कुमार के टीका और टोपी दोनों को साथ लेकर चलने औऱ नरेंद्र मोदी के ईद या इफ्तार नहीं करने के सवाल पर कहा कि मोदी आडंबर नहीं करते.
ऐसा कुछ नहीं है जो बाहरी चीजें हैं उसके आडंबर से नही होता है.आडंबर से हमारे यहां यह काम होता है पर उसमे दम नही होता है.दम दिल से होता है,यदि आप दिल से चाहते हैं तो उसके लिए आडंबर की कोई आवश्यकता नहीं है.आरएसएस और नरेंद्र मोदी पर उठ रहे सवालों का जवाब देते हुए कहा कि ऐसे लोग अल्पबुद्धि है उनका कोई अध्ययन नही है. आरएसएस को वो समझ नहीं पाते हैं इसलिए वो ऐसा कहते हैं. आरएसएस कबीर के उन शब्दों पर उतरता है.
" कबीरा खड़ा बाजार में लिए लुकाठी हाथ, जो घर जारे आपनो चले हमारे साथ"
आरएसएस होना बहुत कठिन है, नरेंद्र मोदी को गाली देना आसान है पर नरेंद्र मोदी बनना बहुत कठिन. उसी तरह संघ को गाली देना आसान पर उसका चरित्र जीना आसान नही है. संघ के पूर्व संचालक डॉक्टर थे वो चाहते तो अपना जीवन ऐश्वर्य से जी सकते थे पर उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत कर दिया.दूसरे संचालक उस समय के जाने माने व्यक्ति थे वो भी चाहते तो जीवन में सभी सुख प्राप्त कर सकते थे पर अपना सबकुछ उन्होंने इस मातृभूमि पर समर्पित कर दिया तो ऐसा जीवन उन्होंने जीया.
जितने भी संघ प्रचारक हैं वो संपूर्ण सर्वस्व दे देता है, अन्य लोग तो सात पीढ़ी तक सोचते हैं पर संघ में ऐसे लोग हैं जिनके न पत्नी है न पुत्र है, नही पीछे कोई मोह ममता है, केवल एक ही सपना है उनका तेरा वैभव अमर रहे मां. संघ के प्रचारक होने के नाते मैं भी संकल्पित हूँ और मैं भी इन संस्कारों को सीखा हूँ. इस मोक्ष की इच्छा नही यह स्वर्ग केवल धूल है. छोड़कर आँचल जननी का ठानना जग भूल है. संसार में सबसे बड़ा हमारे लिए इस भारत माता का आँचल है. बीजेपी के नफरत फैलाने वाली राजनीति पर सफाई दी और कहा कि बीजेपी जिस स्कूल से पढ़ी है उसमे नफरत सिखाया नही जाता है. इसलिए नफरत शब्द उनके पास नही है. नफरत वैसे लोगों को हैं जो उनसे कंपटीशन में उनके पास सटते नही. हरेक तेज व्यक्ति का दोष उससे कमजोर व्यक्ति निकलता है और राजनीति में तो ऐसा ही दोष दर्शन है.राजनीति में दलित को मुद्दा बनाए जाने पर कहा कि दलित तो हम अपने स्वार्थ से है, हमको यदि कुछ प्राप्त करना हो तो एक प्रमाण पत्र प्राप्त करते हैं. दलित पिछड़ा कोई शास्त्र नही बना रहा है. ये तो संविधान के तहत लोग बन रहा है.कोई ब्राम्हण दलित का प्रमाणपत्र नही ले सकता तो हम जाति को संविधान के व्यवस्था के तहत बनाये हैं ताकि जो समाज पिछड़ा है उसे सुविधा देकर आगे लाया जा सके.