Exclusive: जानिए उस जज के बारे में जो अब करेंगे ज्ञानवापी मामले की सुनवाई
डा० विश्वेश के अनुभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके रिटायरमेंट में अब सिर्फ बीस महीने का ही वक़्त बचा है. न्यायिक सेवा में कदम रखने से पहले वह राजस्थान में लेक्चरर भी रह चुके हैं.
Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले की सुनवाई अब वाराणसी के जिला जज करेंगे. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मामले की गंभीरता के मद्देनजर मुकदमे की सुनवाई सिविल जज के बजाए जिला जज से करने का आदेश जारी किया है. वाराणसी के जिला जज का नाम डा. अजय कृष्ण विश्वेश है जो अब इस मामले की सुनवाई करने जा रहे हैं. डा.विश्वेश के पास ज्यूडिशियल सर्विसेज में काम करने का बत्तीस सालों का अनुभव है.
डॉ विश्वेश के अनुभव का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके रिटायरमेंट में अब सिर्फ बीस महीने का ही वक़्त बचा है. न्यायिक सेवा में कदम रखने से पहले वह राजस्थान में लेक्चरर भी रह चुके हैं. राजस्थान एजुकेशन सर्विसेज की लेक्चररशिप छोड़कर उन्होंने ज्यूडिशियल सर्विसेज में कदम रखा था. उनके पास ज्यूडिशियल सर्विसेज के सोलह ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल होने का भी लंबा अनुभव है.
डॉ विश्वेश मूल रूप से उत्तराखंड के हरिद्वार के रहने वाले हैं. हालांकि पिता शिव दत्त शर्मा का कार्यक्षेत्र हरियाणा होने की वजह से उनकी ज़्यादातर पढ़ाई कुरुक्षेत्र में हुई. पिता एसडी शर्मा कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में कार्यरत थे और उनको परिवार समेत रहने के लिए यूनिवर्सिटी कैंपस में ही मकान मिला हुआ था.
डॉ विश्वेश का जन्म सात जनवरी 1964 को हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई कुरुक्षेत्र के सीनियर मॉडल स्कूल से हुई. उन्होंने 1981 में बीएससी की डिग्री हासिल की. 1984 में एलएलबी और 1986 में एलएलएम किया. तीनों ही डिग्रियां उन्होंने सेकेंड डिवीजन में हासिल की. वकालत की पढ़ाई उन्होंने कुरुक्षेत्र युनिवर्सिटी से की.
कब शुरू किया था न्यायिक सेवा में अपना करियर ?
न्यायिक सेवा में उनकी शुरुआत करीब बत्तीस साल पहले 20 जून 1990 को हुई. उनकी पहली पोस्टिंग उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार में मुंसिफ मजिस्ट्रेट के तौर पर हुई थी. यहां उनको एक साल तक काम करने का मौका मिला. अब तक वह यूपी और उत्तराखंड में तीस जगहों पर तैनाती पा चुके हैं.
1991 में उनको दूसरी पोस्टिंग सहारनपुर में मिली. यहां वह करीब तीन साल तक रहे. 1994 में वह देहरादून में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट बने. 1995 में वहीं एडिशनल सिविल जज बने. 1999 में मेरठ में एसीजेएम के तौर पर पोस्टिंग पाई. 2003 में आगरा में स्पेशल सीजेएम बने तो उसी साल रामपुर में सिविल जज सीनियर डिवीजन के तौर पर तैनाती पाई. 2004 में रामपुर में ही सीजेएम हुए तो 2006 में इलाहाबाद से एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर शुरुआत की. साल 2009 में वह यूपी के न्याय विभाग में स्पेशल सेक्रेट्री नियुक्त हुए.
कब बने डिस्ट्रिक्ट जज ?
डिस्ट्रिक्ट जज के तौर पर उनकी पहली पोस्टिंग 2018 में संभल जिले में हुई. इसके बाद वह बदायूं -सीतापुर, बुलंदशहर और वाराणसी में जिला जज बने. जिला जज के तौर पर बनारस उनका चौथा जिला है. वाराणसी में डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज के तौर पर उन्होंने पिछले साल 21 अगस्त को कार्यभार ग्रहण किया. इससे पहले साल 2020 में वह डेप्यूटेशन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में स्पेशल विजिलेंस ऑफिसर के पद पर भी तैनात रहे. साल 2009 में न्याय विभाग में स्पेशल सेक्रेट्री के तौर पर भी वह डेप्युटेशन पर ही भेजे गए थे.
मुंसिफ मजिस्ट्रेट के तौर पर उनके करियर की शुरुआत 20 जून 1990 को हुई थी. एक मई 1999 को वह ज्यूडिशियल सर्विसेज में क्लास वन के ऑफिसर के तौर पर प्रमोट हुए. 15 दिसंबर 2008 को वह हायर ज्यूडिशियल सर्विसेज में आए. उम्मीद है कि रिटायरमेंट से पहले वह हाईकोर्ट के जज भी बन सकते हैं.
कितने साल का है न्यायिक करियर ?
डॉ अजय कृष्ण विश्वेश अपने बत्तीस साल के करियर में सोलह ट्रेनिंग प्रोग्राम में हिस्सा ले चुके हैं. रिफ्रेशर कोर्स के पहले ट्रेनिंग में वह साल 1993 के अप्रैल महीने में शामिल हुए थे. वह मुख्य रूप से इन्वेस्टिगेशन ऑफ क्राइम केसेस, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट, फारेस्ट एक्ट, साइंटिफिक एड्स तो इंटेरोगेशन, ज्यूडिशियल स्किल्स प्रोग्राम्स, लीडरशिप स्किल्स और मीडिएशन अवेयरनेस जैसे टॉपिक पर होने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हो चुके हैं.
डॉ अजय कृष्ण विश्वेश के परिवार के सदस्य अब हरियाणा से यूपी के झांसी में शिफ्ट हो चुके हैं. उनकी पत्नी पूनम यूपी के मुज़फ्फरनगर के बुढ़ाना कसबे की रहने वाली हैं. वह हाउस वाइफ हैं और सामाजिक कामों में बढ़- चढ़कर शामिल होती हैं.
परिवार में कौन-कौन है ?
डॉ अजय के दोनों बेटों अर्चिष्मान विश्वेश और अर्चित की शुरुआती पढ़ाई इलाहाबाद समेत कई शहरों में हुई. अर्चिष्मान आईआईटी रुड़की से एमटेक करने के बाद इंडियन आयल कार्पोरेशन में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर काम कर रहे हैं. दूसरे बेटे अर्चित विश्वेश आईआरएस हैं और केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय में असिस्टेंट कमिश्नर हैं. दोनों बेटों की शादी हो चुकी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ डॉ अजय कृष्ण विश्वेश ही अब वाराणसी के चर्चित ज्ञानवापी मामले की सुनवाई करेंगे. मुक़दमे की फ़ाइल 23 मई को उनके पास पहुंचेगी. फ़ाइल पहुंचने के बाद ही वह ये तय करेंगे कि इस मुक़दमे की सुनवाई कब से शुरू होनी है.