abp Exclusive: मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा- कृषि कानून लागू होने से किसानों को होगा फायदा
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन ने कहा कि सरकार पंत और पुजारा की तरह बैटिंग करके भारतीय अर्थव्यवस्था की मंदी को दूर करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि विकास दर में गिरावट कम हुई है. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कोरोना वैक्सीन सबको मुफ्त मिल सकती है.
नई दिल्लीः केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्यन की टीम की तरफ से तैयार किए गए इकोनॉमिक सर्वे में कई सुझाव दिए गए हैं. इन सुझावों में अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने, कोरोना टीकाकरण आदि से जुड़ी चीजें भी शामिल हैं. इकोनॉमिक सर्वे सहित कई मुद्दों पर सुब्रमण्यन ने एबीपी न्यूज से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
बातचीत में केवी सुब्रमण्यन ने संकेत दिया है कि कोरोना वैक्सीन सबको मुफ्त मिल सकती है. उन्होंने कहा कि इस वैक्सीन अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है. लोगों का टीकाकरण होने से सर्विस सेक्टर से जुड़े कई क्षेत्र फिर से सक्रिय होंगे. उन्होंने कहा कि इस विषय में काफी विचार-विमर्श हुआ है और इस सरकार ने क्या निर्णय लिया है. यह कल बजट में पता चलेगा.
अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तेजी से हो रहा कार्य सुब्रमण्यन ने कहा कि पंत और पुजारा की तरह भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी को दूर करने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि विकास दर में गिरावट पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में काफी कम हुई है और इसमें आगे सुधार होगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने कोरोना संकट के दौरान आवश्यकताओं पर ध्यान देते हुए कार्य किया. अब सरकार कार्य में तेजी ला रही है.
इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश से पैदा होंगे रोजगार सुब्रमण्यन ने कहा कि इकोनॉमिक सर्वे में इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देने का सुझाव दिया गया है क्योंकि इंफ्रास्ट्रक्चर से संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में रोजगार पैदा होते हैं. भारत 1998 से 2003 के बीच ऐसा कर चुका है और इसे फिर से दोहराया जा सकता है.
कृषि की विकास दर 3.5 से 4 फीसदी तक रहने की उम्मीद कृषि क्षेत्र पर बात करते हुए सुब्रमण्यन ने कहा कि कृषि इकोनॉमी के लिए बैक बोन बनने जा रही है. कृषि की विकास दर 3.5 से 4 फीसदी तक हो सकती है. किसानों पर अंतराष्ट्रीय निवेशकों का असर नहीं होगा, उल्टे कानून लागू होने से किसानों को लाभ होगा. ये कानून छोटे किसानों के लिए ज्यादा मददगार हैं
हेल्थ सेक्टर के लिए बनाया जाए रेग्युलेटर इकोनॉमिक सर्वे में महंगे इलाज पर दिए सुझावों के बारे में कहा कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर जीडीपी का एक फीसदी है. इसे बढ़ाकर 2.5 फीसदी कर दिया जाए तो गरीबी पर इलाज का बोझ कम किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि हेल्थ सिस्टम लचीला होना चाहिए. देश में सस्ते इलाज की बात करते हुए निजी अस्पतालों को लेकर रेग्युलेटर बनाने की जरूरत पर बल दिया. इससे इस क्षेत्र में विषमताओं को दूर किया जा सकता है.
यह भी पढ़ें
क्रिप्टोकरेंसी पर लगेगा बैन? बजट सत्र में नया बिल ला सकती है सरकार